"अलगोज़ा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{{पुनरीक्षण}} '''अलगोजा''' बाँसुरी के समान एक [[वाद्य यंत...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Alagoza.jpg|thumb|अलगोज़ा]] | |||
''' | '''अलगोज़ा''' [[बाँसुरी]] के समान एक [[वाद्य यंत्र]] है। अलगोज़ा को कालवेलिए भी कहते है। | ||
*वादक दो अलगोजे मुँह में रखकर एक साथ बजाता है। | *वादक दो अलगोजे मुँह में रखकर एक साथ बजाता है। | ||
*[[राजस्थान]] में अनेक प्रकार के अलगोजे प्रचलित हैं। | *[[राजस्थान]] में अनेक प्रकार के अलगोजे प्रचलित हैं। | ||
*राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों, विशिष्ट रूप से आदिवासी क्षेत्रों में इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है। | *राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों, विशिष्ट रूप से आदिवासी क्षेत्रों में इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है। | ||
* | *अलगोज़ा जब कलाकार के होंठों का स्पर्श पाता है तब फ़िज़ा में ऐसी सुरीली तान घुलने लगती है कि सुनने वाला मदमस्त हो जाता है और प्रकृति और प्रणय के मधुर रसों का आस्वादन करने लगता है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
13:18, 30 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
अलगोज़ा बाँसुरी के समान एक वाद्य यंत्र है। अलगोज़ा को कालवेलिए भी कहते है।
- वादक दो अलगोजे मुँह में रखकर एक साथ बजाता है।
- राजस्थान में अनेक प्रकार के अलगोजे प्रचलित हैं।
- राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों, विशिष्ट रूप से आदिवासी क्षेत्रों में इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
- अलगोज़ा जब कलाकार के होंठों का स्पर्श पाता है तब फ़िज़ा में ऐसी सुरीली तान घुलने लगती है कि सुनने वाला मदमस्त हो जाता है और प्रकृति और प्रणय के मधुर रसों का आस्वादन करने लगता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख