"श्री पर्वत शक्तिपीठ": अवतरणों में अंतर
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*पुस्तक- महाशक्तियाँ और उनके 51 शक्तिपीठ | लेखक- गोपालजी गुप्त | पृष्ठ संख्या-92 | प्रकाशक- पुस्तक महल | |||
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11:07, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
श्री पर्वत शक्तिपीठ
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वर्णन | श्री पर्वत शक्तिपीठ भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। |
स्थान | लद्दाख (कश्मीर) |
देवी-देवता | शक्ति- 'श्री सुंदरी' और शिव- 'सुंदरानंद' |
संबंधित लेख | शक्तिपीठ, सती, शिव, पार्वती |
धार्मिक मान्यता | सती के "दक्षिण तल्प" (कनपटी) का निपात हुआ था। |
अन्य जानकारी | श्री पर्वत शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर मतांतर है। कुछ विद्वान इसे लद्दाख (कश्मीर) में मानते हैं, तो कुछ असम के सिलहट से 4 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्यकोण) में जौनपुर में मानते हैं। |
श्री पर्वत शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
- श्री पर्वत शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर मतांतर है। कुछ विद्वान इसे लद्दाख (कश्मीर) में मानते हैं, तो कुछ असम के सिलहट से 4 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्यकोण) में जौनपुर में मानते हैं।
- यहाँ सती के "दक्षिण तल्प" (कनपटी) का निपात हुआ था।
- यहाँ की शक्ति 'श्री सुंदरी' और शिव 'सुंदरानंद' हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक- महाशक्तियाँ और उनके 51 शक्तिपीठ | लेखक- गोपालजी गुप्त | पृष्ठ संख्या-92 | प्रकाशक- पुस्तक महल