"शहीद स्मारक माल रोड़ मेरठ": अवतरणों में अंतर
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'''शहीद स्मारक''' [[मेरठ]] के मालरोड पर स्थित है। शहीद स्मारक पर स्थापित मूर्ति [[1857]] में [[भारत]] की आज़ादी हेतु महासंग्राम के अन्तर्गत लड़ी गयी लड़ाई को परिभाषित करती है। | '''शहीद स्मारक''' [[मेरठ]] के मालरोड पर स्थित है। शहीद स्मारक पर स्थापित मूर्ति [[1857]] में [[भारत]] की आज़ादी हेतु महासंग्राम के अन्तर्गत लड़ी गयी लड़ाई को परिभाषित करती है। | ||
*यह केवल सिपाहियों का विद्रोह मात्र नहीं था, बल्कि एक ऐसा युद्ध था जिसमें अंग्रेजी सेना में कार्यरत भारतीय सिपाहियों तथा भारत के शहरों से लेकर ग्रामीण आँचलों के योद्धाओं ने एक जुट होकर [[ब्रिटिश साम्राज्य|अंग्रेजी साम्राज्य]] से लोहा लिया था। | *यह केवल सिपाहियों का विद्रोह मात्र नहीं था, बल्कि एक ऐसा युद्ध था जिसमें अंग्रेजी सेना में कार्यरत भारतीय सिपाहियों तथा भारत के शहरों से लेकर ग्रामीण आँचलों के योद्धाओं ने एक जुट होकर [[ब्रिटिश साम्राज्य|अंग्रेजी साम्राज्य]] से लोहा लिया था। | ||
*इस मूर्ति में एक भारतीय सैनिक अंग्रेजी | *इस मूर्ति में एक भारतीय सैनिक अंग्रेजी फ़ौज की वर्दी में तथा दूसरा साधारण भारतीय नागरिक को एक साथ आक्रामक मुद्रा में दिखाया गया है। | ||
*इनकी पोशाक इत्यादि को 1857 के अभिलेखों में उपलब्ध रेखचित्रों से लिया गया है। | *इनकी पोशाक इत्यादि को 1857 के अभिलेखों में उपलब्ध रेखचित्रों से लिया गया है। | ||
*इस मूर्ति के नीचे तीन शिलालेख हैं। जिसका विवरण इस प्रकार है - | *इस मूर्ति के नीचे तीन शिलालेख हैं। जिसका विवरण इस प्रकार है - |
13:06, 9 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
शहीद स्मारक मेरठ के मालरोड पर स्थित है। शहीद स्मारक पर स्थापित मूर्ति 1857 में भारत की आज़ादी हेतु महासंग्राम के अन्तर्गत लड़ी गयी लड़ाई को परिभाषित करती है।
- यह केवल सिपाहियों का विद्रोह मात्र नहीं था, बल्कि एक ऐसा युद्ध था जिसमें अंग्रेजी सेना में कार्यरत भारतीय सिपाहियों तथा भारत के शहरों से लेकर ग्रामीण आँचलों के योद्धाओं ने एक जुट होकर अंग्रेजी साम्राज्य से लोहा लिया था।
- इस मूर्ति में एक भारतीय सैनिक अंग्रेजी फ़ौज की वर्दी में तथा दूसरा साधारण भारतीय नागरिक को एक साथ आक्रामक मुद्रा में दिखाया गया है।
- इनकी पोशाक इत्यादि को 1857 के अभिलेखों में उपलब्ध रेखचित्रों से लिया गया है।
- इस मूर्ति के नीचे तीन शिलालेख हैं। जिसका विवरण इस प्रकार है -
- पूर्वीलेख में उन 85 सिपाहियों के नाम हैं जिन्होंने 24 अप्रैल 1857 को मेरठ में चर्बीयुक्त कारतूसों के प्रयोग से इंकार किया था।
- पश्चिमी लेख में उन कुछ गांवों के नाम लिखे हैं जो अंग्रेजी अभिलेखों में बागी गांव थे।
- दक्षिणी लेख में 1857 की क्रांन्ति का संक्षित विवरण है।
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