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'''अंतरिक्ष सीढ़ी''' का निर्माण नासा के वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में एक लाख कि.मी. की ऊँचाई तक जाने के लिए किया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा नैनोट्यूब्स से बनी, एल्यूमिनियम से कोटेड, [[काग़ज़]] से भी पतली ये सीढ़ी बनायी जा रही है। इनके द्वारा 23 हज़ार टन सामान को 22 हज़ार 300 मील {{मील|मील=30}} की दूरी पर स्थित प्लेटफ़ार्म तक ले जाया जायेगा। इतनी ऊँचाई पर [[पृथ्वी]] व [[चंद्रमा]] का [[गुरुत्व|गुरुत्वाकर्षण]] शून्य होता है। सभी यूरोपीय देश व [[चीन]] तथा [[जापान]] इसके सदस्य हैं। | '''अंतरिक्ष सीढ़ी''' का निर्माण नासा के वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में एक लाख कि.मी. की ऊँचाई तक जाने के लिए किया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा नैनोट्यूब्स से बनी, एल्यूमिनियम से कोटेड, [[काग़ज़]] से भी पतली ये सीढ़ी बनायी जा रही है। इनके द्वारा 23 हज़ार टन सामान को 22 हज़ार 300 मील {{मील|मील=30}} की दूरी पर स्थित प्लेटफ़ार्म तक ले जाया जायेगा। इतनी ऊँचाई पर [[पृथ्वी]] व [[चंद्रमा]] का [[गुरुत्व|गुरुत्वाकर्षण]] शून्य होता है। सभी यूरोपीय देश व [[चीन]] तथा [[जापान]] इसके सदस्य हैं। | ||
07:01, 11 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
अंतरिक्ष सीढ़ी का निर्माण नासा के वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में एक लाख कि.मी. की ऊँचाई तक जाने के लिए किया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा नैनोट्यूब्स से बनी, एल्यूमिनियम से कोटेड, काग़ज़ से भी पतली ये सीढ़ी बनायी जा रही है। इनके द्वारा 23 हज़ार टन सामान को 22 हज़ार 300 मील (लगभग 48 कि.मी.) की दूरी पर स्थित प्लेटफ़ार्म तक ले जाया जायेगा। इतनी ऊँचाई पर पृथ्वी व चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण शून्य होता है। सभी यूरोपीय देश व चीन तथा जापान इसके सदस्य हैं।
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