"इंसाफ़ की डगर पे": अवतरणों में अंतर

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13:27, 2 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण

संक्षिप्त परिचय

इंसाफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के

दुनिया के रंज सहना और, कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
इंसाफ़ की डगर पे...

अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखों क़दम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के
इंसाफ़ की डगर पे...

इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
इंसाफ़ की डगर पे...


टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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