|
|
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 8: |
पंक्ति 8: |
| | | | | |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {'प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी' किसकी पंक्ति है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[दादू दयाल|संत दादूदयाल]]
| |
| +[[रैदास]]
| |
| -संत पीपा
| |
| -संत पल्टू दास
| |
| ||[[चित्र:Ravidas.jpg|रैदास|100px|right]]मध्ययुगीन संतों में प्रसिद्ध रैदास के जन्म के संबंध में प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ विद्वान [[काशी]] में जन्मे रैदास का समय 1482-1527 ई. के बीच मानते हैं। रैदास का जन्म [[काशी]] में चर्मकार कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम 'रग्घु' और माता का नाम 'घुरविनिया' बताया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रैदास]]
| |
|
| |
| {'एक भारतीय आत्मा' नाम से कविता की रचना किसने की?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[मैथिलीशरण गुप्त]] ने
| |
| -सोहन लाल द्विवेदी ने
| |
| +[[माखन लाल चतुर्वेदी]] ने
| |
| -बाल कृष्ण शर्मा नवीन ने
| |
| ||[[चित्र:Makahan-Lal-Chaturvedi.gif|माखन लाल चतुर्वेदी|100px|right]]चतुर्वेदी जी की रचनाओं की प्रवृत्तियाँ प्रायः स्पष्ट और निश्चित हैं। राष्ट्रीयता उनके काव्य का कलेवर है तो भक्ति और रहस्यात्मक प्रेम उनकी रचनाओं की आत्मा। आरम्भिक रचनाओं में भी वे प्रवृत्तियाँ स्पष्टता परिलक्षित होती हैं। ''प्रभा'' के प्रवेशांक में प्रकाशित उनकी कविता 'नीति-निवेदन' शायद उनके मन की तात्कालीन स्थिति का पूरा परिचय देती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माखन लाल चतुर्वेदी]]
| |
|
| |
| {[[अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन|अज्ञेय]] की कौन-सी रचना यात्रा पर आधारित है?
| |
| |type="()"}
| |
| +एक बूंद सहसा उछली
| |
| -आत्मनेपद
| |
| -बावरा अहेरी
| |
| -जयदोल
| |
|
| |
| {इनमें से कौन [[भरतमुनि]] के रस-सूत्र का व्याख्याकार है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[मम्मट]]
| |
| +भट्टलोल्लट
| |
| -भामह
| |
| -क्षेमेन्द्र
| |
|
| |
| {'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून' में कौन-सा [[अलंकार]] है?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[श्लेष अलंकार|श्लेष]]
| |
| -[[यमक अलंकार|यमक]]
| |
| -भ्रांतिमान
| |
| -दृष्टांत
| |
| || जिस जगह पर ऐसे शब्दों का प्रयोग हो, जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ निलकते हो, वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्लेष अलंकार]]
| |
|
| |
| {[[जयशंकर प्रसाद]] की 'चन्द्रगुप्त' निम्नांकित में से क्या है?
| |
| |type="()"}
| |
| -कहानी
| |
| -खंडकाव्य
| |
| +नाटक
| |
| -उपन्यास
| |
|
| |
| {[[तुलसीदास]] की किस रचना का सम्बन्ध ज्योतिष से है?
| |
| |type="()"}
| |
| -रामलला नहछू
| |
| -जानकी मंगल
| |
| -हनुमान-बाहुक
| |
| +रामाज्ञा प्रश्न
| |
|
| |
| {'कवि सम्राट' इसे कहा जाता है?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
| |
| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
| |
| -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
| |
| -[[जयशंकर प्रसाद]]
| |
| ||[[चित्र:Ayodhya-Singh-Upadhyay.jpg|अयोध्यासिंह उपाध्याय|100px|right]]हिन्दी कविता के विकास में 'हरिऔध' जी की भूमिका नींव के पत्थर के समान है। उन्होंने [[संस्कृत]] छंदों का [[हिन्दी]] में सफल प्रयोग किया है। 'प्रियप्रवास' की रचना संस्कृत वर्णवृत्त में करके जहाँ 'हरिऔध' जी ने खड़ी बोली को पहला [[महाकाव्य]] दिया, वहीं आम हिन्दुस्तानी बोलचाल में 'चोखे चौपदे', तथा 'चुभते चौपदे' रचकर उर्दू जुबान की मुहावरेदारी की शक्ति भी रेखांकित की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
| |
|
| |
| {निम्न में से स्त्रीलिंग शब्द कौन-सा है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[जल]]
| |
| -[[दूध]]
| |
| -तेल
| |
| +ठंडाई
| |
|
| |
| {हिन्दी ग़ज़ल लेखन का कार्य किसने प्रारंभ किया?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[गोपाल दास नीरज]]
| |
| -हुल्लड़ मुरादाबादी
| |
| +[[दुष्यंत कुमार]]
| |
| -[[हरिवंशराय बच्चन]]
| |
|
| |
|
| {निम्नलिखित में कौन-सी हिन्दी पत्रिका है? | | {निम्नलिखित में कौन-सी [[हिन्दी]] [[पत्रिका]] है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +केरल ज्योति | | +केरल ज्योति |
पंक्ति 96: |
पंक्ति 23: |
| +विरह और रहस्य | | +विरह और रहस्य |
|
| |
|
| {'बरवै रामायण' किसकी रचना है? | | {'[[बरवै रामायण]]' किसकी रचना है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[सूरदास]] | | -[[सूरदास]] |
पंक्ति 102: |
पंक्ति 29: |
| +[[तुलसीदास]] | | +[[तुलसीदास]] |
| -[[केशवदास]] | | -[[केशवदास]] |
| ||[[चित्र:Tulsidas-2.jpg|तुलसीदास|100px|right]]अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]] | | ||[[चित्र:Tulsidas-2.jpg|तुलसीदास|100px|right]]अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]] |
|
| |
|
| {निम्नलिखित में से अर्द्ध स्वर कौन-सा है? | | {निम्नलिखित में से अर्द्ध स्वर कौन-सा है? |
पंक्ति 114: |
पंक्ति 41: |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -लौकिक संस्कृत | | -लौकिक संस्कृत |
| -मागधी | | -[[मागधी]] |
| +वैदिक संस्कृत | | +वैदिक संस्कृत |
| -शौरसेनी अपभ्रंश | | -शौरसेनी अपभ्रंश |
पंक्ति 128: |
पंक्ति 55: |
| __INDEX__ | | __INDEX__ |
| __NOTOC__ | | __NOTOC__ |
| | {{Review-G}} |