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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| | | {निम्नलिखित में से कौन-सा [[तबला वादक]] चारों [[घराना|घराने]] के तबला वादन में सिद्ध रहा- |
| {कौन-सा वाद्य [[सारिका|सारिकायुक्त]] है?
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| |type="()"}
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| -[[वायलिन]]
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| +[[सारंगी]]
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| -[[सितार]]
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| -[[तानपुरा]]
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| ||[[चित्र:Sarangi.jpg|70px|right|सारंगी]] सारंगी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक ऐसा [[वाद्य यंत्र]] है जो गति के शब्दों और अपनी धुन के साथ इस प्रकार से मिलाप करता है कि दोनों की तारतम्यता देखते ही बनती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सारंगी]]
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| {'[[संगीत रत्नाकर]]' ग्रंथ के रचयिता कौन हैं?
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| |type="()"}
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| -कल्लिनाथ
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| -लोचन
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| +[[शारंगदेव]]
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| -[[मम्मट]]
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| ||'शारंगदेव' आयुर्वेदाचार्य विशिष्ट दार्शनिक और संगीतशास्त्र के प्रवीण विद्वान थे। उनकी कृति '[[संगीत रत्नाकर]]' सांगीतिक विषय वस्तुओं का अत्यन्त व्यवस्थित विषय विन्यास की दृष्टि से सप्त अध्याय की व्यवस्था के लिए विशेष रूप से महत्व रखती है। यह भारतीय संगीत के ऐतिहासिक ग्रन्थों में अनन्य है। 12वीं सदी के पूर्वार्द्ध में लिखे गये सात अध्यायों वाले इस [[ग्रंथ]] में [[संगीत]] व [[नृत्य]] का विस्तार से वर्णन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शारंगदेव]]
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| {निम्नलिखित में से कौन मैहर घराने से सम्बन्धित हैं? | |
| |type="()"}
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| -[[अल्लाउद्दीन ख़ाँ]]
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| -[[निखिल बैनर्जी]]
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| -[[रवि शंकर|पं. रवि शंकर]]
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| +उपर्युक्त सभी
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| {कौन-सा [[लोक नृत्य]] [[गुजरात]] से सम्बन्धित है?
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| |type="()"}
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| -[[गिद्दा]]
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| -[[रास नृत्य|रास]]
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| +[[गरबा नृत्य|गरबा]]
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| -नाचनी
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| ||[[चित्र:Garba-Dance.jpg|70px|right|गरबा नृत्य]] '''गरबा नृत्य''' [[गुजरात]] राज्य का एक लोकप्रिय [[लोक नृत्य]] है, जो गीत, नृत्य और नाटक की समृद्ध परम्परा का निरुपण करता है। यह [[मिट्टी]] के मटके, जिसे गरबो कहते हैं, को पानी से भर कर इसके चारों ओर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गरबा नृत्य]]
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| {निम्नलिखित में से कौन [[ठुमरी]] गायिका हैं?
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| |type="()"} | |
| +[[गिरिजा देवी]]
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| -[[शरन रानी]]
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| -सिद्धेश्वरी देवी
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[चित्र:Girija-Devi.jpg|right|100px|गिरिजा देवी]]'गिरिजा देवी' [[भारत]] की प्रसिद्ध [[ठुमरी]] गायिका हैं। उन्हें 'ठुमरी की रानी' कहा जाता है। वे बनारस घराने से सम्बन्धित हैं। [[1949]] में आकाशवाणी से अपने गायन का प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने [[1951]] में [[बिहार]] के आरा में आयोजित एक संगीत सम्मेलन में गायन प्रस्तुत किया। इसके बाद गिरिजा देवी की अनवरत संगीत यात्रा शुरू हुई, जो आज तक जारी है। गिरिजा जी ने स्वयं को केवल मंच-प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि [[संगीत]] के शैक्षणिक और शोध कार्यों में भी अपना योगदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गिरिजा देवी]]
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| {मुख्यत: वाद्यों के कितने वर्ग हैं?
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| |type="()"}
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| -तीन
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| +चार
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| -पाँच
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| -छ:
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| {निम्नलिखित में से कौन [[सितार]] वादक नहीं है?
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| |type="()"}
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| -[[रवि शंकर|पं. रवि शंकर]]
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| +[[शिवकुमार शर्मा]]
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| -बुद्धादित्य मुखर्जी
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| -रहीम ख़ाँ
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| ||[[चित्र:Shivkumar-Sharma-2.jpg|right|100px|शिवकुमार शर्मा]] इन विकल्पों में शिवकुमार शर्मा के अतिरिक्त सभी सितार वादक हैं। शिवकुमार शर्मा [[भारत]] के प्रसिद्ध संतूर वादक है। आज संतूर की लोकप्रियता का सर्वाधिक श्रेय शिवकुमार शर्मा को ही जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शिवकुमार शर्मा]]
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| {निम्नलिखित में से कौन मुख्यत: [[ध्रुपद]] गायक नहीं है?
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| |type="()"}
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| +[[भीमसेन जोशी]]
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| -फ़ैमुद्दीन डागर
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| -गुन्देचा बन्धु
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| -ए. रहीमुद्दीन डागर
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| ||[[चित्र:Bhimsen-Joshi-2.jpg|70px|right|भीमसेन जोशी]] भीमसेन जोशी किराना घराने के शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र से गायन शुरू किया था और वह पिछले सात दशकों से शास्त्रीय गायन करते रहे। भीमसेन जोशी ने [[कर्नाटक]] को गौरवान्वित किया है। उनकी योग्यता का आधार उनकी महान संगीत साधना है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीमसेन जोशी]]
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| {[[राग]] शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस [[ग्रंथ]] में हुआ?
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| |type="()"}
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| -[[संगीत रत्नाकर]]
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| -राग तरंगिणी
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| -[[नाट्यशास्त्र]]
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| +बृहद्देशी
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| {[[संगीत]] के सौन्दर्य पर सर्वाधिक लेखन करने वाला कौन है?
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| |type="()"}
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| -डॉ. एस. के. सक्सेना
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| -प्रो. अशोक डी. रानाडे
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| +के. सी. डी. बृहस्पति
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| -बी .सी. देव
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| {निम्नलिखित में से कौन-सा [[तबला]] वादक चारों घराने के तबला वादन में सिद्ध रहा-
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| |type="()"} | | |type="()"} |
| +अहमद जान थिरकवा | | +[[अहमद जान थिरकवा]] |
| -सामता प्रसाद | | -[[सामता प्रसाद]] |
| -[[किशन महाराज]] | | -[[किशन महाराज]] |
| -मुन्ने ख़ाँ | | -मुन्ने ख़ाँ |
| | || [[चित्र:Ahmadjan-thirakhwa.jpg|70px|right|अहमद जान थिरकवा]] 'अहमद जान थिरकवा' [[भारत]] के प्रसिद्ध [[तबला वादक|तबला वादकों]] में गिने जाते थे। [[लखनऊ]], [[मेरठ]] और [[फ़र्रूख़ाबाद ज़िला|फ़र्रूख़ाबाद]] आदि कई घरानों का इन्हें बाज याद था। [[अहमद जान थिरकवा|थिरकवा]] जी विशेष रूप से [[दिल्ली]] और फ़र्रूख़ाबाद का बाज बजाने में निपुण थे। सन [[1953]]-[[1954]] में थिरकवा को 'राष्ट्रपति पुरस्कार' मिला था। इसके बाद सन [[1970]] में भारत सरकार द्वारा उन्हें '[[पद्मभूषण]]' उपाधि देकर सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अहमद जान थिरकवा]] |
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| {बसंत ताल में कितनी मात्राएँ होती हैं? | | {बसंत ताल में कितनी मात्राएँ होती हैं? |
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| |type="()"} | | |type="()"} |
| -पालघाट मणि अय्यर | | -पालघाट मणि अय्यर |
| +टी. आर. महालिंगम | | +[[टी. आर. महालिंगम]] |
| -मदुराई मणि अय्यर | | -[[मदुराई मणि अय्यर]] |
| -चेंबई वैद्यनाथ अय्यर | | -चेंबई वैद्यनाथ अय्यर |
| | ||[[चित्र:T-R-Mahalingam.jpg|border|right|100px|टी. आर. महालिंगम]]'टी. आर. महालिंगम' भारतीय फ़िल्म अभिनेता, गायक और प्रसिद्ध संगीतकार थे। मुख्यत: वे सन [[1940]] से [[1950]] के दशक में सक्रिय थे। वह अपने मधुर गीतों के लिए जाने जाते थे, जो ज्यादातर रोमांटिक या भक्तिपूर्ण विषयों पर आधारित थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहार]], [[टी. आर. महालिंगम]] |
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| {20वीं शताब्दी का गायक कौन है? | | {20वीं शताब्दी का गायक कौन है? |
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| -चेम्बई वैद्यनाथ अय्यर | | -चेम्बई वैद्यनाथ अय्यर |
| -मुथुस्वामी दीक्षितर | | -मुथुस्वामी दीक्षितर |
| +त्यागराज | | +[[त्यागराज]] |
| -सुब्रह्मण्यम भारती | | -[[सुब्रह्मण्यम भारती]] |
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| {[[आन्ध्र प्रदेश]] की [[गोंड|गोंड जनजाति]] का प्रसिद्ध [[नृत्य]] कौन-सा है? | | {[[आन्ध्र प्रदेश]] की [[गोंड|गोंड जनजाति]] का प्रसिद्ध [[नृत्य]] कौन-सा है? |
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| {{कला सामान्य ज्ञान}} | | {{कला सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| {{प्रचार}}
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| [[Category:सामान्य ज्ञान]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान]] |
| [[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]] |