"रसिक सुमति": अवतरणों में अंतर
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रवि सों चलै, न कंज की दीपति ससि हरि लेय</poem></blockquote> | रवि सों चलै, न कंज की दीपति ससि हरि लेय</poem></blockquote> | ||
14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
रसिक सुमति रीति काल के कवि और ईश्वरदास के पुत्र थे। संवत 1785 इनका कविता काल है।
- इन्होंने 'अलंकार चंद्रोदय' नामक एक अलंकार ग्रंथ कुवलया नंद के आधार पर दोहों में बनाया। पद्य रचना साधारणत: अच्छी है।
- 'प्रत्यनीक' का लक्षण और उदाहरण इस प्रकार है-
प्रत्यनीक अरि सों न बस, अरि हितूहि दु:ख देय।
रवि सों चलै, न कंज की दीपति ससि हरि लेय
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