"इतिहास सामान्य ज्ञान 54": अवतरणों में अंतर
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{ | {[[अनेकांतवाद]] निम्नलिखित में से किसका क्रोड सिद्धांत एवं [[दर्शन]] है? | ||
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-[[बौद्ध]] | -[[बौद्ध]] | ||
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-[[सिक्ख]] | -[[सिक्ख]] | ||
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||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|80px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]]'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। जैन धर्म | ||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|80px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]] 'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। जैन धर्म अर्थात् 'जिन' भगवान् का धर्म। वस्त्र-हीन बदन, शुद्ध शाकाहारी भोजन और निर्मल वाणी एक जैन अनुयायी की पहली पहचान होती है। यहाँ तक कि [[जैन धर्म]] के अन्य लोग भी शुद्ध शाकाहारी होते हैं तथा अपने धर्म के प्रति बड़े सचेत रहते हैं। '[[स्यादवाद]]' या '[[अनेकांतवाद]]' या 'सप्तभंगी' का सिद्धान्त इस धर्म के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[जैन धर्म]] | ||
{[[सिन्धु सभ्यता]] से सम्बद्ध किन स्थलों से [[चावल]] की खेती के प्रमाण मिले हैं? | {[[सिन्धु सभ्यता]] से सम्बद्ध किन स्थलों से [[चावल]] की खेती के प्रमाण मिले हैं? | ||
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-[[कालीबंगा]] और [[रोजदी (गुजरात)|रोजदी]] | -[[कालीबंगा]] और [[रोजदी (गुजरात)|रोजदी]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|120px|लोथल के अवशेष]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में भोगावा नदी के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ की खुदाई वर्ष [[1954]]-[[1955]] ई. में रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई थी। [[लोथल]] में दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। यह | ||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|120px|लोथल के अवशेष]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में भोगावा नदी के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ की खुदाई वर्ष [[1954]]-[[1955]] ई. में रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई थी। [[लोथल]] में दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। यह छह खण्डों में विभक्त था। लोथल में गढ़ी और नगर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे। यहाँ से अन्य अवशेषों में [[चावल]], [[फ़ारस]] की मुहरों एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[लोथल]], [[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | ||
{'[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' में [[विनोबा भावे]] को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था? | {'[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' में [[विनोबा भावे]] को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था? | ||
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-[[सी. राजगोपालाचारी]] | -[[सी. राजगोपालाचारी]] | ||
-[[सरदार वल्लभभाई पटेल]] | -[[सरदार वल्लभभाई पटेल]] | ||
||[[चित्र:Jawaharlal-Nehru-And-Mahatma-Gandhi.jpg|right|100px|[[गाँधीजी]] तथा [[जवाहरलाल नेहरू]]]]पंडित जवाहरलाल नेहरू संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में 'गुटनिरपेक्ष' नीतियों के लिए विख्यात हुए थे। [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[भारत]] के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से वे एक थे। [[जवाहरलाल नेहरू]] पहले राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्होंने [[1963]] ई. में [[रूस]], [[इंग्लैण्ड]] तथा [[अमेरिका]] के बीच आंशिक परमाणविक परीक्षण-निषेध संधि पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया था। [[लोकसभा]] के कुछ उपचुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवारों की विफलता के कारण [[कांग्रेस]] ने उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें, ताकि कांग्रेस के कुछ गण्यमान्य नेता दल को पुनर्गठित करने में अपना पूर्ण समय दे सकें। | ||[[चित्र:Jawaharlal-Nehru-And-Mahatma-Gandhi.jpg|right|100px|[[गाँधीजी]] तथा [[जवाहरलाल नेहरू]]]]पंडित जवाहरलाल नेहरू संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में 'गुटनिरपेक्ष' नीतियों के लिए विख्यात हुए थे। [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[भारत]] के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से वे एक थे। [[जवाहरलाल नेहरू]] पहले राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्होंने [[1963]] ई. में [[रूस]], [[इंग्लैण्ड]] तथा [[अमेरिका]] के बीच आंशिक परमाणविक परीक्षण-निषेध संधि पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया था। [[लोकसभा]] के कुछ उपचुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवारों की विफलता के कारण [[कांग्रेस]] ने उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें, ताकि कांग्रेस के कुछ गण्यमान्य नेता दल को पुनर्गठित करने में अपना पूर्ण समय दे सकें। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[पंडित जवाहरलाल नेहरू]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? | {निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? | ||
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-[[खालसा]] - [[मुग़ल]] सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि। | -[[खालसा]] - [[मुग़ल]] सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि। | ||
-इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति। | -इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति। | ||
||[[चित्र:Akbar.jpg|right|80px|बादशाह अकबर]]'मनसब' [[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था|मुग़ल शासन काल]] में [[अकबर|बादशाह अकबर]] के समय दिया जाने वाला एक 'पद' या 'ओहदा' होता था। राज्य के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उनके [[मनसब]] के अनुसार ही वेतन दिया जाता था। मनसब प्रणाली [[मुग़ल साम्राज्य]] की रीढ़ समझी जाती थी। जिस व्यक्ति को मनसब दिया जाता था, उसे '[[मनसबदार]]' कहते थे। अकबर ने कुछ [[राजपूत]] राजाओं, जैसे- | ||[[चित्र:Akbar.jpg|right|80px|बादशाह अकबर]]'मनसब' [[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था|मुग़ल शासन काल]] में [[अकबर|बादशाह अकबर]] के समय दिया जाने वाला एक 'पद' या 'ओहदा' होता था। राज्य के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उनके [[मनसब]] के अनुसार ही वेतन दिया जाता था। मनसब प्रणाली [[मुग़ल साम्राज्य]] की रीढ़ समझी जाती थी। जिस व्यक्ति को मनसब दिया जाता था, उसे '[[मनसबदार]]' कहते थे। अकबर ने कुछ [[राजपूत]] राजाओं, जैसे- भगवान दास, [[राजा मानसिंह]], [[बीरबल]] एवं [[टोडरमल]] को उच्च मनसब प्रदान किया था। अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनसब]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन '[[काकोरी काण्ड]]' से संबंधित नहीं था? | {निम्नलिखित में से कौन '[[काकोरी काण्ड]]' से संबंधित नहीं था? | ||
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-[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]] | -[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]] | ||
+[[मास्टर सूर्य सेन]] | +[[मास्टर सूर्य सेन]] | ||
||[[चित्र:Master-Surya-Sen.jpg|right|100px|मास्टर सूर्य सेन]] [[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। "चटगाँव आर्मरी रेड" के नायक [[मास्टर सूर्य सेन]] ने [[अंग्रेज़]] सरकार को सीधे | ||[[चित्र:Master-Surya-Sen.jpg|right|100px|मास्टर सूर्य सेन]]मास्टर सूर्य सेन [[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। "चटगाँव आर्मरी रेड" के मुख्य नायक [[मास्टर सूर्य सेन]] ने [[अंग्रेज़]] सरकार को सीधे चुनौती दी थी। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के अंतर्गत उन्हें पहली सफलता तब मिली, जब उन्होंने दिन-दहाड़े [[23 दिसम्बर]], [[1923]] को [[चटगाँव]] में [[आसाम]]-[[बंगाल]] रेलवे के ट्रेजरी ऑफिस को लूटा। लेकिन उनको सबसे बड़ी सफलता 'चटगाँव आर्मरी रेड' के रूप में मिली थी, जिसने अंग्रेज़ सरकार को झकझोर कर रख दिया। यह सरकार को खुला सन्देश था कि भारतीय युवा मन अब अपने प्राण देकर भी दासता की बेड़ियों को तोड़ देना चाहता है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[मास्टर सूर्य सेन]] | ||
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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