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'''संन्यासी विद्रोह''' [[भारत]] की आज़ादी के लिए [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में [[अंग्रेज़]] हुकूमत के विरुद्ध किया गया एक प्रबल विद्रोह था। संन्यासियों में अधिकांश [[शंकराचार्य]] के अनुयायी थे। इतिहास प्रसिद्ध इस विद्रोह की स्पष्ट जानकारी [[बंकिमचन्द्र चटर्जी]] के उपन्यास '[[आनन्दमठ]]' में मिलती है।
#REDIRECT [[संन्यासी विद्रोह]]
*बंगाल में अंग्रेज़ी हुकूमत के क़ायम होने पर ज़मींदार, कृषक, शिल्पकार सभी की स्थिति बदतर हो गई थी।
*इसके अलावा बंगाल का 1770 ई. का भयानक अकाल तथा अंग्रेज़ी सरकार द्वारा इसके प्रति बरती गई उदासीनता इस विद्रोह का प्रमुख कारण थी।
*भारतीय जनता के [[तीर्थ]] स्थानों पर जाने पर लगे प्रतिबन्ध ने शान्त संन्यासियों को भी विद्रोह पर उतारू कर दिया।
*इन सभी तत्वों (जमींदार, कृषक, शिल्पी व संन्यासियों) ने मिलकर अंग्रेज़ी सरकार का विरोध किया।
*इन संन्यासियों में अधिकांश [[शंकराचार्य]] के अनुयायी थे।
*संन्यासी विद्रोह की स्पष्ट जानकारी [[बंकिमचन्द्र चटर्जी]] के उपन्यास '[[आनन्दमठ]]' में मिलती है।
*इस विद्रोह को कुचलने के लिए [[वारेन हेस्टिंग्स]] को कठोर कार्यवाही करनी पड़ी थी।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{साँचा:आन्दोलन विप्लव सैनिक विद्रोह}}
[[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:इतिहास कोश]]
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