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==इतिहास==
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तेनौपल का क्षेत्रफल लगभग 3,375 वर्ग किलोमीटर है और ऊँचाई 760 से 3,048 मीटर तक है। राजा पखांगों ने यहाँ 33 ई. में एक वंश की स्थापना की थी, जो वर्ष [[1947]] में भारतीय संघ में विलय होने तक मौजूद रहा। स्थानीय साहित्य की एक [[पांडुलिपि]] 1074 में राजा इरेंग्बा के शासन काल में लिखी गई। इस क्षेत्र पर 1631 ई. में [[चीन]] ने आक्रमण किया था और वर्ष [[1942]] में द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानियों ने बमबारी की थी।
====झील तथा वनस्पति====
====झील तथा वनस्पति====
यहाँ मणिपुर और बरक नदियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हैं। इनमें बरक संकरी घाटियों से होकर गुजरती हैं। तेनौपल ज़िले में कई झीलें भी हैं, जो महत्त्वपूर्ण मत्स्यपालन की सुविधा उपलब्ध कराती हैं। [[झील]] की वनस्पतियों में [[कमल]] और कुमुदिनी शामिल हैं और आर्किड मैदानों में पाये जाते हैं। हिमालयी हिरन, खारसा (जंगली सूअर), [[शेर]], [[तेंदुआ]] और ग्रेलैग (कलहंस, गीज़) का जंगली क्षेत्रों में पर्यावास है।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*भारत ज्ञानकोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 380
==संबंधित लेख==
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08:39, 16 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

तेनौपल
तेनौपल
तेनौपल
विवरण यह भूतपूर्व मध्य ज़िले का एक हिस्सा है, जो इंफाल घाटी के दक्षिण में पूर्वी हिमालय का पहाड़ी क्षेत्र है।
राज्य मणिपुर
ज़िला चन्डेल ज़िला
क्षेत्रफल 3,375 वर्ग किलोमीटर
ऊँचाई 760 से 3,048 मीटर
भाषा मणिपुरी भाषा
मुख्य फसलें चावल, गेहूँ, तिल, आलू, दलहन आम और नींबू
अन्य जानकारी स्थानीय साहित्य की एक पांडुलिपि 1074 में राजा इरेंग्बा के शासन काल में लिखी गई। इस क्षेत्र पर 1631 ई. में चीन ने आक्रमण किया था और वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानियों ने बमबारी की थी।

तेनौपल मणिपुर राज्य, पूर्वोत्तर भारत का एक नगर और ज़िला है। यह भूतपूर्व मध्य ज़िले का एक हिस्सा है, जो इंफाल घाटी के दक्षिण में पूर्वी हिमालय का पहाड़ी क्षेत्र है। इस क्षेत्र पर 1631 ई. में चीन ने आक्रमण किया था। तेनौपल ज़िले में कई झीलें हैं, जो महत्त्वपूर्ण मत्स्यपालन की सुविधा उपलब्ध कराती हैं। यहाँ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि है। यहाँ पर छोटे-छोटे व बिखरे हुए खेतों में कृषि की जाती है। तेनौपल के निवासी अधिकांशत: मणिपुरी बोलते हैं।

इतिहास

तेनौपल का क्षेत्रफल लगभग 3,375 वर्ग किलोमीटर है और ऊँचाई 760 से 3,048 मीटर तक है। राजा पखांगों ने यहाँ 33 ई. में एक वंश की स्थापना की थी, जो वर्ष 1947 में भारतीय संघ में विलय होने तक मौजूद रहा। स्थानीय साहित्य की एक पांडुलिपि 1074 में राजा इरेंग्बा के शासन काल में लिखी गई। इस क्षेत्र पर 1631 ई. में चीन ने आक्रमण किया था और वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानियों ने बमबारी की थी।

झील तथा वनस्पति

यहाँ मणिपुर और बरक नदियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हैं। इनमें बरक संकरी घाटियों से होकर गुजरती हैं। तेनौपल ज़िले में कई झीलें भी हैं, जो महत्त्वपूर्ण मत्स्यपालन की सुविधा उपलब्ध कराती हैं। झील की वनस्पतियों में कमल और कुमुदिनी शामिल हैं और आर्किड मैदानों में पाये जाते हैं। हिमालयी हिरन, खारसा (जंगली सूअर), शेर, तेंदुआ और ग्रेलैग (कलहंस, गीज़) का जंगली क्षेत्रों में पर्यावास है।

अर्थव्यवस्था

तेनौपल की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। यहाँ पर छोटे व बिखरे हुए खेतों में कृषि की जाती है। फ़सलों में चावल, गेहूँ, तिल, आलू और दलहन शामिल हैं। आम और नींबू भी उगाया जाता है।

उद्योग

उद्योगों में हथकरघा, बुनाई और कढ़ाई प्रमुख हैं। यहाँ की मणिपुरी साड़ी अपनी मजबूती और शानदार कढ़ाई के लिए मशहूर है। अन्य उद्योगों में लुहारगिरी, कृषि उपकरण का निर्माण और सुनारगिरी शामिल हैं। यहाँ पर मिट्टी के बर्तन, बेंत के उत्पाद, साबुन और काग़ज़ का भी निर्माण होता है। सेंधा नमक, तांबा, चूना पत्थर और लौह अयस्क का कम मात्रा में खनन होता है।

जनसंख्या

तेनौपल ज़िले की आबादी में मुख्यत: मंगोलियाई मूल की विभिन्न जनजातियाँ हैं, जो मणिपुरी बोलती हैं। एक राष्ट्रीय राजमार्ग यहाँ के ज़िला मुख्यालय चांदेल को राज्य की राजधानी इम्फाल से जोड़ता है। बरक नदी में छोटी नावों से परिवहन होता है। यहाँ की जनसंख्या वर्ष 1991 की जनगणना के अनुसार 21,215 थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • भारत ज्ञानकोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 380

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