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==जन्म तथा शिक्षा==
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;परिवार
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====स्वतंत्रता सेनानी====
====स्वतंत्रता सेनानी====
जब उमाशंकर दीक्षित बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र थे, तभी '[[असहयोग आन्दोलन]]' में सम्मिलित हो गए थे। वे [[गणेश शंकर विद्यार्थी]] के सहयोगी थे। उन जीवन पर [[स्वामी विवेकानन्द]], रामतीर्थ और [[गांधीजी]] के विचारों का गहरा प्रभाव था। जेल यात्राओं में स्वाध्याय से उन्होंने विविध विषयों का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था। [[मोतीलाल नेहरू]] और [[जवाहरलाल नेहरू]] से उनका निकट का सम्बन्ध था।
जब उमाशंकर दीक्षित बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र थे, तभी '[[असहयोग आन्दोलन]]' में सम्मिलित हो गए थे। वे [[गणेश शंकर विद्यार्थी]] के सहयोगी थे। उन जीवन पर [[स्वामी विवेकानन्द]], रामतीर्थ और [[गांधीजी]] के विचारों का गहरा प्रभाव था। जेल यात्राओं में स्वाध्याय से उन्होंने विविध विषयों का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था। [[मोतीलाल नेहरू]] और [[जवाहरलाल नेहरू]] से उनका निकट का सम्बन्ध था।
==राज्य सभा सदस्य==
==राज्य सभा सदस्य==
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उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और कोषाध्यक्ष थे। वे कुछ वर्षों तक 'नेशनल हेराल्ड' आदि [[समाचार पत्र|पत्रों]] के प्रबंध संचालक भी रहे थे। तदुपरान्त वे [[राज्य सभा]] के सदस्य चुन लिए गए। उनको केंद्र सरकार में नगर निर्माण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, यातायात और गृहमंत्री का पदभार सौंपा गया। वर्ष [[1971]] से [[1975]] तक उन्होंने [[कर्नाटक]] के [[राज्यपाल]] का पद भी संभाला।
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====निधन====
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उमाशंकर दीक्षित
उमाशंकर दीक्षित
उमाशंकर दीक्षित
पूरा नाम उमाशंकर दीक्षित
जन्म 12 जनवरी, 1901 ई.
जन्म भूमि उन्नाव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 30 मई, 1991
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
अभिभावक पिता- राम सरूप, माता- शिव प्यारी
संतान विनोद दीक्षित, संदीप दीक्षित
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी
आंदोलन 'असहयोग आन्दोलन' में भाग लिया।
कार्य काल राज्यपाल (कर्नाटक) - 1976 से 1977 तक; राज्यपाल (पश्चिम बंगाल) - 1984 से 1986 तक।
विद्यालय क्रिस्ट चर्च कॉलेज', कानपुर
अन्य जानकारी आप गणेश शंकर विद्यार्थी के सहयोगी थे। इनके जीवन पर स्वामी विवेकानन्द, रामतीर्थ और गांधीजी के विचारों का गहरा प्रभाव था।

उमाशंकर दीक्षित (अंग्रेज़ी: Umashankar Dikshit; जन्म- 12 जनवरी, 1901 ई., उन्नाव, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 30 मई, 1991, नई दिल्ली) 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' के पुरोधा एवं मानवता के पुजारी और राष्ट्रवाद के अग्रदूत थे। उन्होंने भारत में उन्नाव के नाम का गौरव बढ़ाया। उमाशंकर दीक्षित ने केंद्रीय गृहमंत्री व राज्यपाल जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर रहकर स्वयं के हित लाभ को त्याग कर राष्ट्र की सच्ची सेवा की और उसके लिए सदैव समर्पित रहे। तमाम व्यस्तता के बाद भी वे लोगों से परिवार की तरह मिलते थे। वे कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे थे।

जन्म तथा शिक्षा

स्वतंत्रता सेनानी उमाशंकर दीक्षित का जन्म 12 जनवरी, 1901 ई. को उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सरूप और माता का नाम शिव प्यारी था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद उमाशंकर दीक्षित ने उच्च शिक्षा 'क्रिस्ट चर्च कॉलेज', कानपुर से प्राप्त की थी।

परिवार

उमाशंकर दीक्षित के पुत्र विनोद दीक्षित 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' (आईएएस) के सदस्य थे और उनका विवाह शीला दीक्षित से हुआ था, जो दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। उमाशंकर दीक्षित के पौत्र संदीप दीक्षित पूर्वी दिल्ली से संसद में कांग्रेस के सदस्य हैं।

स्वतंत्रता सेनानी

जब उमाशंकर दीक्षित बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र थे, तभी 'असहयोग आन्दोलन' में सम्मिलित हो गए थे। वे गणेश शंकर विद्यार्थी के सहयोगी थे। उन जीवन पर स्वामी विवेकानन्द, रामतीर्थ और गांधीजी के विचारों का गहरा प्रभाव था। जेल यात्राओं में स्वाध्याय से उन्होंने विविध विषयों का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था। मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू से उनका निकट का सम्बन्ध था।

राज्य सभा सदस्य

उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और कोषाध्यक्ष थे। वे कुछ वर्षों तक 'नेशनल हेराल्ड' आदि पत्रों के प्रबंध संचालक भी रहे थे। तदुपरान्त वे राज्य सभा के सदस्य चुन लिए गए। उनको केंद्र सरकार में नगर निर्माण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, यातायात और गृहमंत्री का पदभार सौंपा गया। वर्ष 1971 से 1975 तक उन्होंने कर्नाटक के राज्यपाल का पद भी संभाला।

राज्यपाल

  1. कर्नाटक के राज्यपाल - 1976 से 1977 तक
  2. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल - 1984 से 1986 तक

निधन

उमाशंकर दीक्षित का निधन 90 वर्ष की आयु में 30 मई, 1991 को नई दिल्ली में हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 103-104 |


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