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राजाराम किसान ने वर्ष [[1930]]-[[1931]] में अपने साथियों हरिद्वार सिंह, बैजनाथ गुप्ता और दया शंकर सिंह के साथ रेहुआलाल गंज में नमक बनाने का प्रयास किया तो फिरंगी हुकूमत के रंगरूटों ने उन्हें यातना देकर [[रायबरेली]] की जेल में ठूंस दिया। तीन माह की जेल काट कर जब यह राष्ट्रभक्त बाहर निकला तो सिर्फ यह चिंता थी कि किस तरह अंग्रेजी हुकूमत को देश से बाहर किया जाय। बकौल राजाराम किसान जब वह किसानों को संगठित कर रहे थे तो अंग्रेजों को इसकी भनक मिल जाती थी। उन्हें गिरफ्तार कर जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता था। [[14 नवंबर]], [[1940]] को जब वह [[जवाहरलाल नेहरू|पं.जवाहरलाल नेहरू]] के जन्म दिवस पर किसानों के हित में भाषण दे रहे थे तो उन्हें 9 माह के लिए जेल में बंद कर दिया। जब [[1947]] में देश आजाद हुआ तो आंखों में खुशी के आंसू छलछला आए। | राजाराम किसान ने वर्ष [[1930]]-[[1931]] में अपने साथियों हरिद्वार सिंह, बैजनाथ गुप्ता और दया शंकर सिंह के साथ रेहुआलाल गंज में नमक बनाने का प्रयास किया तो फिरंगी हुकूमत के रंगरूटों ने उन्हें यातना देकर [[रायबरेली]] की जेल में ठूंस दिया। तीन माह की जेल काट कर जब यह राष्ट्रभक्त बाहर निकला तो सिर्फ यह चिंता थी कि किस तरह अंग्रेजी हुकूमत को देश से बाहर किया जाय। बकौल राजाराम किसान जब वह किसानों को संगठित कर रहे थे तो अंग्रेजों को इसकी भनक मिल जाती थी। उन्हें गिरफ्तार कर जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता था। [[14 नवंबर]], [[1940]] को जब वह [[जवाहरलाल नेहरू|पं.जवाहरलाल नेहरू]] के जन्म दिवस पर किसानों के हित में भाषण दे रहे थे तो उन्हें 9 माह के लिए जेल में बंद कर दिया। जब [[1947]] में देश आजाद हुआ तो आंखों में खुशी के आंसू छलछला आए। | ||
== | == राजनीतिक जीवन == | ||
वर्ष [[1952]] में [[उत्तर प्रदेश]] की पहली [[विधान सभा]] में पहुंचे [[प्रतापगढ़ ज़िला]] के रामपुर ख़ास के [[विधायक]] राजाराम किसान थे। राजाराम [[ब्राह्मण]] कुल के भेड़ी शुक्ल परिवार से थे। लेकिन [[किसान आंदोलन]] से जुड़ाव के चलते शुक्ल लगाना बंद कर सिर्फ किसान का नाम जोड़ लिया। [[1952]] से [[1957]] तक राजाराम किसान रामपुर ख़ास के विधायक रहे और उसके बाद यानी [[1957]] से [[1962]] तक उनकी पत्नी अमोला देवी [[कांग्रेस]] के टिकट पर रामपुर ख़ास की [[विधायक]] रहीं। अमोला देवी का काफ़ी समय पहले निधन हो गया। | वर्ष [[1952]] में [[उत्तर प्रदेश]] की पहली [[विधान सभा]] में पहुंचे [[प्रतापगढ़ ज़िला]] के रामपुर ख़ास के [[विधायक]] राजाराम किसान थे। राजाराम [[ब्राह्मण]] कुल के भेड़ी शुक्ल परिवार से थे। लेकिन [[किसान आंदोलन]] से जुड़ाव के चलते शुक्ल लगाना बंद कर सिर्फ किसान का नाम जोड़ लिया। [[1952]] से [[1957]] तक राजाराम किसान रामपुर ख़ास के विधायक रहे और उसके बाद यानी [[1957]] से [[1962]] तक उनकी पत्नी अमोला देवी [[कांग्रेस]] के टिकट पर रामपुर ख़ास की [[विधायक]] रहीं। अमोला देवी का काफ़ी समय पहले निधन हो गया। | ||
== सम्मान == | == सम्मान == | ||
वर्ष [[2013]], [[जनवरी]] में विधान मंडल के 125वीं उत्तरशती रजत जयंती के अवसर पर [[विधान सभा|विधानसभा]] की ओर से [[1952]] की पहली विधान सभा के तीन जीवित सदस्यों नारायण दत्त तिवारी, प्रतापगढ़ के 105वर्षीय राजाराम किसान के साथ ही खीरी के 88 वर्षीय कमाल अहमद रिजवी का जब विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद व मुख्यमंत्री [[अखिलेश यादव]] ने अभिनंदन एवं सम्मानित किया। | वर्ष [[2013]], [[जनवरी]] में विधान मंडल के 125वीं उत्तरशती [[रजत जयंती]] के अवसर पर [[विधान सभा|विधानसभा]] की ओर से [[1952]] की पहली विधान सभा के तीन जीवित सदस्यों [[नारायण दत्त तिवारी]], प्रतापगढ़ के 105वर्षीय राजाराम किसान के साथ ही खीरी के 88 वर्षीय कमाल अहमद रिजवी का जब विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद व मुख्यमंत्री [[अखिलेश यादव]] ने अभिनंदन एवं सम्मानित किया। | ||
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05:00, 29 मई 2015 के समय का अवतरण
राजाराम किसान
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पूरा नाम | पंडित राजाराम शुक्ल "किसान" |
जन्म | 1917 |
जन्म भूमि | ग्राम देउम, तहसील लालगंज, प्रतापगढ़ |
पति/पत्नी | श्रीमती अमोला देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता संग्राम सेनानी |
पार्टी | काँग्रेस |
पद | विधायक (प्रतापगढ़ के रामपुर ख़ास से) |
कार्य काल | विधायक 1952 (पाँच वर्ष) |
भाषा | हिंदी, अवधी |
जेल यात्रा | 1942 |
विशेष योगदान | भारतीय किसान आन्दोलन |
राजाराम किसान (जन्म: 1917) स्वतंत्रता सेनानी और राजनितिज्ञ है। राजाराम किसान जवाहरलाल नेहरू, गांधीजी और सरोजिनी नायडू जैसे नेताओं के संपर्क में रहे।
स्वतंत्रता संगाम में योगदान
राजाराम किसान ने वर्ष 1930-1931 में अपने साथियों हरिद्वार सिंह, बैजनाथ गुप्ता और दया शंकर सिंह के साथ रेहुआलाल गंज में नमक बनाने का प्रयास किया तो फिरंगी हुकूमत के रंगरूटों ने उन्हें यातना देकर रायबरेली की जेल में ठूंस दिया। तीन माह की जेल काट कर जब यह राष्ट्रभक्त बाहर निकला तो सिर्फ यह चिंता थी कि किस तरह अंग्रेजी हुकूमत को देश से बाहर किया जाय। बकौल राजाराम किसान जब वह किसानों को संगठित कर रहे थे तो अंग्रेजों को इसकी भनक मिल जाती थी। उन्हें गिरफ्तार कर जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता था। 14 नवंबर, 1940 को जब वह पं.जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस पर किसानों के हित में भाषण दे रहे थे तो उन्हें 9 माह के लिए जेल में बंद कर दिया। जब 1947 में देश आजाद हुआ तो आंखों में खुशी के आंसू छलछला आए।
राजनीतिक जीवन
वर्ष 1952 में उत्तर प्रदेश की पहली विधान सभा में पहुंचे प्रतापगढ़ ज़िला के रामपुर ख़ास के विधायक राजाराम किसान थे। राजाराम ब्राह्मण कुल के भेड़ी शुक्ल परिवार से थे। लेकिन किसान आंदोलन से जुड़ाव के चलते शुक्ल लगाना बंद कर सिर्फ किसान का नाम जोड़ लिया। 1952 से 1957 तक राजाराम किसान रामपुर ख़ास के विधायक रहे और उसके बाद यानी 1957 से 1962 तक उनकी पत्नी अमोला देवी कांग्रेस के टिकट पर रामपुर ख़ास की विधायक रहीं। अमोला देवी का काफ़ी समय पहले निधन हो गया।
सम्मान
वर्ष 2013, जनवरी में विधान मंडल के 125वीं उत्तरशती रजत जयंती के अवसर पर विधानसभा की ओर से 1952 की पहली विधान सभा के तीन जीवित सदस्यों नारायण दत्त तिवारी, प्रतापगढ़ के 105वर्षीय राजाराम किसान के साथ ही खीरी के 88 वर्षीय कमाल अहमद रिजवी का जब विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अभिनंदन एवं सम्मानित किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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