"तुरही": अवतरणों में अंतर
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'''तुरही''' एक [[वाद्य यंत्र]] है। लगभग चार हाथ लम्बी तुरही धातु से बनी होती है। जो प्रायः मांगलिक पर्वों पर बजाई जाती है। | '''तुरही''' एक [[वाद्य यंत्र]] है। लगभग चार हाथ लम्बी तुरही धातु से बनी होती है। जो प्रायः मांगलिक पर्वों पर बजाई जाती है। | ||
* [[महाराष्ट्र]] में तुरही का बहुत प्रचार है। | * [[महाराष्ट्र]] में तुरही का बहुत प्रचार है। | ||
* तुरही में कोई छिद्र | * तुरही में कोई छिद्र नहीं होता, केवल हवा फूँककर उसके विभिन्न दवाबों, ऊँचे-नीचे स्वरों की उत्पति की जाती है। इसीलिए इसमें दो-तीन स्वर बहुत तेज आवाज़ से निकलते हैं। | ||
* इसकी आकृति अर्धचन्दाकार रूप में होती है। | * इसकी आकृति अर्धचन्दाकार रूप में होती है। | ||
* तुरही फूँककर बजाई जाती है। जो मुँह की ओर पतली और पीछे की ओर चौड़ी होती है। | * तुरही फूँककर बजाई जाती है। जो मुँह की ओर पतली और पीछे की ओर चौड़ी होती है। |
12:48, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
तुरही एक वाद्य यंत्र है। लगभग चार हाथ लम्बी तुरही धातु से बनी होती है। जो प्रायः मांगलिक पर्वों पर बजाई जाती है।
- महाराष्ट्र में तुरही का बहुत प्रचार है।
- तुरही में कोई छिद्र नहीं होता, केवल हवा फूँककर उसके विभिन्न दवाबों, ऊँचे-नीचे स्वरों की उत्पति की जाती है। इसीलिए इसमें दो-तीन स्वर बहुत तेज आवाज़ से निकलते हैं।
- इसकी आकृति अर्धचन्दाकार रूप में होती है।
- तुरही फूँककर बजाई जाती है। जो मुँह की ओर पतली और पीछे की ओर चौड़ी होती है।
- अधिकांशत: तुरही पीतल आदि की बनती है और टेढ़ी या सीधी कई प्रकार की हो सकती है।
- पहले यह लड़ाई में नगाड़े आदि के साथ बजाई जाती थी। लेकिन अब इसका प्रयोग विवाह आदि में होता है।
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