"बिहारी जी मन्दिर मथुरा": अवतरणों में अंतर
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यह समतल छत वाला दोमंज़िला मन्दिर है जिसका मुख्य द्वार उत्तरमुखी है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । मन्दिर के बाहरी स्वरूप को क्रमबद्ध पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों,बहिर्विष्टित बारजों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है । | यह समतल छत वाला दोमंज़िला मन्दिर है जिसका मुख्य द्वार उत्तरमुखी है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । मन्दिर के बाहरी स्वरूप को क्रमबद्ध पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों,बहिर्विष्टित बारजों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है । | ||
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12:45, 26 जून 2011 के समय का अवतरण
- बिहारी जी का मुख्य मन्दिर वृन्दावन में है जो बांके बिहारी मन्दिर नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर स्वामी घाट में स्थित है । इस मंदिर का निर्माण सन् 1850 में नीमच के निकट मऊ के बैंकर छक्कीलाल और कन्हैयालाल, ने 25,000 रुपये की लागत से करवाया था ।
वास्तु
यह समतल छत वाला दोमंज़िला मन्दिर है जिसका मुख्य द्वार उत्तरमुखी है । इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । मन्दिर के बाहरी स्वरूप को क्रमबद्ध पत्तीदार दरवज़ो, अलंकृत आलों,बहिर्विष्टित बारजों, जटिल पत्थर की जालियों और छज्जों द्वारा सुसज्जित किया गया है ।