"आज तुम मेरे लिए हो -हरिवंश राय बच्चन": अवतरणों में अंतर
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<poem>प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो। | <poem>प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो। | ||
मैं | मैं जगत् के ताप से डरता नहीं अब, | ||
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब, | मैं समय के शाप से डरता नहीं अब, | ||
आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो | आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो | ||
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो। | प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो। | ||
रात मेरी, रात का | रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा, | ||
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा, | आज आधे विश्व से अभिसार मेरा, | ||
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो | तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो |
08:52, 17 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
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प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
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