"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 26": अवतरणों में अंतर
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{"तुम्हारा अधिकार कर्म पर है, फल की प्राप्ति पर नहीं", यह कथन किस [[ग्रंथ]] में कहा गया है? | {"तुम्हारा अधिकार कर्म पर है, फल की प्राप्ति पर नहीं", यह कथन किस [[ग्रंथ]] में कहा गया है? | ||
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||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|right|100px|भागवत पुराण]]'[[श्रीमद्भागवत|श्रीमद्भागवतपुराण]]' [[हिन्दू]] समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख [[ग्रन्थ]] है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शनशास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और [[संस्कृति]] का विश्वकोश कहना अधिक समीचीन होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण [[हिन्दू धर्म]] की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। पुराणों के क्रम में 'श्रीमद्भागवतपुराण' का पाँचवा स्थान है, किंतु लोकप्रियता की दृष्टि से यह सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह भक्तिशाखा का अद्वितीय [[ग्रंथ]] माना जाता है और आचार्यों ने इसकी अनेक [[टीका|टीकाएँ]] की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीमद्भागवत]] | ||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|right|100px|भागवत पुराण]]'[[श्रीमद्भागवत|श्रीमद्भागवतपुराण]]' [[हिन्दू]] समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख [[ग्रन्थ]] है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शनशास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और [[संस्कृति]] का विश्वकोश कहना अधिक समीचीन होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण [[हिन्दू धर्म]] की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। पुराणों के क्रम में 'श्रीमद्भागवतपुराण' का पाँचवा स्थान है, किंतु लोकप्रियता की दृष्टि से यह सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह भक्तिशाखा का अद्वितीय [[ग्रंथ]] माना जाता है और आचार्यों ने इसकी अनेक [[टीका|टीकाएँ]] की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीमद्भागवत]] | ||
{[[आयुर्वेद]] | {[[आयुर्वेद]] अर्थात् 'जीवन का विज्ञान' का उल्लेख सर्वप्रथम कहाँ मिलता है? | ||
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-[[आरण्यक]] | -[[आरण्यक]] | ||
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||[[चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-14.jpg|right|100px|आसनस्थ जैन तीर्थंकर]][[जैन धर्म]] [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। जैन धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि उनका धर्म 'अनादि' और 'सनातन' है। सामान्यत: लोगों में यह मान्यता है कि जैन सम्प्रदाय का मूल उन प्राचीन पंरपराओं में रहा होगा, जो [[आर्य|आर्यों]] के आगमन से पूर्व इस देश में प्रचलित थीं। किंतु यदि आर्यों के आगमन के बाद से भी देखा जाये तो [[ऋषभदेव]] और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा [[वेद|वेदों]] तक पहुँचती है। जैनियों की अन्य शाखाओं में 'तेरहपंथी', 'बीसपंथी', 'तारणपंथी' और 'यापनीय' आदि कुछ और भी उप-शाखाएँ हैं। जैन धर्म की सभी शाखाओं में थोड़ा-बहुत मतभेद होने के बावजूद [[भगवान महावीर]] तथा [[अहिंसा व्रत|अहिंसा]], संयम और अनेकांतवाद में सबका समान विश्वास है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]] | ||[[चित्र:Seated-Jain-Tirthankara-Jain-Museum-Mathura-14.jpg|right|100px|आसनस्थ जैन तीर्थंकर]][[जैन धर्म]] [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। जैन धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि उनका धर्म 'अनादि' और 'सनातन' है। सामान्यत: लोगों में यह मान्यता है कि जैन सम्प्रदाय का मूल उन प्राचीन पंरपराओं में रहा होगा, जो [[आर्य|आर्यों]] के आगमन से पूर्व इस देश में प्रचलित थीं। किंतु यदि आर्यों के आगमन के बाद से भी देखा जाये तो [[ऋषभदेव]] और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा [[वेद|वेदों]] तक पहुँचती है। जैनियों की अन्य शाखाओं में 'तेरहपंथी', 'बीसपंथी', 'तारणपंथी' और 'यापनीय' आदि कुछ और भी उप-शाखाएँ हैं। जैन धर्म की सभी शाखाओं में थोड़ा-बहुत मतभेद होने के बावजूद [[भगवान महावीर]] तथा [[अहिंसा व्रत|अहिंसा]], संयम और [[अनेकांतवाद]] में सबका समान विश्वास है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]] | ||
{[[महाभारत]] का [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] अनुवाद क़्या है? | {[[महाभारत]] का [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] अनुवाद क़्या है? |
07:51, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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