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'''नारायण दत्त तिवारी''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Narayan Dutt Tiwari'', संक्षिप्त नाम: एन. डी. तिवारी, जन्म: [[18 अक्टूबर]], [[1925]]) [[उत्तर प्रदेश]] और [[उत्तराखण्ड]] के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री थे। वह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के एक वरिष्ठ नेता हैं। एन. डी. तिवारी उत्तर प्रदेश के चार बार [[मुख्यमंत्री]] रहे और उत्तरांचल प्रदेश बनने के बाद वहाँ के तीसरे मुख्यमंत्री बने।
'''नारायण दत्त तिवारी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Narayan Dutt Tiwari'', संक्षिप्त नाम: एन. डी. तिवारी, जन्म: [[18 अक्टूबर]], [[1925]] - मृत्यु- [[18 अक्टूबर]], [[2018]]) [[उत्तर प्रदेश]] और [[उत्तराखण्ड]] के भूतपूर्व [[मुख्यमन्त्री]] थे। वह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के एक वरिष्ठ नेता हैं। एन. डी. तिवारी उत्तर प्रदेश के चार बार [[मुख्यमंत्री]] रहे और उत्तरांचल प्रदेश बनने के बाद वहाँ के तीसरे मुख्यमंत्री बने।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 18 अक्तूबर, 1925 ई. को ग्राम बल्यूरी, पदमपुरी ज़िला [[नैनीताल]] में हुआ था। उनके पिता पूरन चंद तिवारी भी [[:श्रेणी:स्वतन्त्रता सेनानी|स्वतंत्रता सेनानी]] थे। देशभक्ति की भावना से प्रेरित तिवारी जी विद्यार्थी जीवन में ही आंदोलन में सम्मिलित हो गये। और [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में गिरफ्तार कर लिए गये। जेल से छूटने पर उन्होंने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] से अपनी शिक्षा पूरी की। तभी उन्हें देश के प्रमुख नेताओं [[जवाहरलाल नेहरू]], [[मदनमोहन मालवीय|महामना मदनमोहन मालवीय]], [[नरेंद्र देव|आचार्य नरेंद्र देव]] आदि के आने का अवसर मिला और वे समाजवादी बन गए। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कुमाऊं के श्रमिक संघों के संगठन में लगकर आरम्भ किया।
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 18 अक्तूबर, 1925 ई. को ग्राम बल्यूरी, पदमपुरी ज़िला [[नैनीताल]] में हुआ था। उनके [[पिता]] पूरन चंद तिवारी भी [[:श्रेणी:स्वतन्त्रता सेनानी|स्वतंत्रता सेनानी]] थे। देशभक्ति की भावना से प्रेरित तिवारी जी विद्यार्थी जीवन में ही आंदोलन में सम्मिलित हो गये। और [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में गिरफ्तार कर लिए गये। जेल से छूटने पर उन्होंने [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] से अपनी शिक्षा पूरी की। तभी उन्हें देश के प्रमुख नेताओं [[जवाहरलाल नेहरू]], [[मदनमोहन मालवीय|महामना मदनमोहन मालवीय]], [[नरेंद्र देव|आचार्य नरेंद्र देव]] आदि के आने का अवसर मिला और वे समाजवादी बन गए। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कुमाऊं के श्रमिक संघों के संगठन में लगकर आरम्भ किया।
==राजनीतिक परिचय==
==राजनीतिक परिचय==
[[1952]] के प्रथम आम निर्वाचन में [[समाजवादी पार्टी]] की ओर से उत्तर प्रदेश [[विधान सभा]] के सदस्य चुने गये। [[1957]] में वे पुन: विधान सभा पहुँचे। परंतु [[1962]] और [[1967]] में उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच [[1965]] में वे [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गये थे। [[1969]] के मध्याविधि चुनाव में विजयी होने पर तिवाजी जी उत्तर प्रदेश में मंत्री बने। इसके बाद प्रथम बार [[1976]] में, दूसरी बार [[1984]] में, तीसरी बार [[1985]] में और चौथी बार [[1988]] में उन्होंने [[उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]] का पद संभाला।
[[1952]] के प्रथम आम निर्वाचन में [[समाजवादी पार्टी]] की ओर से उत्तर प्रदेश [[विधान सभा]] के सदस्य चुने गये। [[1957]] में वे पुन: विधान सभा पहुँचे। परंतु [[1962]] और [[1967]] में उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच [[1965]] में वे [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गये थे। [[1969]] के मध्याविधि चुनाव में विजयी होने पर तिवाजी जी उत्तर प्रदेश में मंत्री बने। इसके बाद प्रथम बार [[1976]] में, दूसरी बार [[1984]] में, तीसरी बार [[1985]] में और चौथी बार [[1988]] में उन्होंने [[उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]] का पद संभाला।
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वे केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। वे कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। [[1993]] और [[1997]] के संसदीय चुनाव में असफल रहने के बाद वे [[1999]] में फिर [[सांसद]] चुने गये। [[2002]] के निर्वाचन में [[उत्तरांचल]] में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर उन्हें वहाँ का मुख्यमंत्री बनाया गया।
वे केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। वे कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। [[1993]] और [[1997]] के संसदीय चुनाव में असफल रहने के बाद वे [[1999]] में फिर [[सांसद]] चुने गये। [[2002]] के निर्वाचन में [[उत्तरांचल]] में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर उन्हें वहाँ का मुख्यमंत्री बनाया गया।
==निधन==
[[उत्तर प्रदेश]] और [[उत्तराखंड]] के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का [[18 अक्तूबर]] [[2018]] को निधन हो गया। नारायण दत्त तिवारी का निधन दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उनके 93वें जन्मदिन के दिन ही हुआ। एनडी तिवारी बीते एक साल से बीमार चल रहे थे। वह इकलौते ऐसे शख्स थे, जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं। वह तीन बार [[उत्तरप्रदेश]] और एक बार [[उत्तराखंड]] के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एनडी तिवारी ने दोपहर दो बजकर 50 मिनट पर मैक्स अस्पताल में में आखिरी सांस ली। उन्हें 26 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।<ref>{{cite web |url=https://khabar.ndtv.com/news/india/nd-tiwari-dies-former-up-chief-minister-uttarakhand-chief-minister-pm-modi-yogi-adityanath-1934089|title=एनडी तिवारी के निधन पर PM बोले, यूपी, उत्तराखंड के औद्योगिक विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण, जानिये किसने क्या कहा...|accessmonthday=06 नवम्बर|accessyear= 2018|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>




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नारायण दत्त तिवारी
नारायण दत्त तिवारी
नारायण दत्त तिवारी
पूरा नाम नारायण दत्त तिवारी
जन्म 18 अक्टूबर, 1925
जन्म भूमि ग्राम बल्यूरी, नैनीताल
मृत्यु 18 अक्टूबर, 2018
मृत्यु स्थान दिल्ली
अभिभावक पूरन चंद तिवारी और चंद्रवती तिवारी
पति/पत्नी सुशीला तिवारी
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी समाजवादी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल
कार्य काल राज्यपाल- 22 अगस्त, 200726 दिसम्बर, 2009

मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश)- 1976–77, 1984–85, 1988–89
मुख्यमंत्री (उत्तराखंड)- 20022007

शिक्षा एम.ए.एल.एल.बी
विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी
जेल यात्रा 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में गिरफ़्तार किये गए।
अन्य जानकारी नारायण दत्त तिवारी केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं।

नारायण दत्त तिवारी (अंग्रेज़ी: Narayan Dutt Tiwari, संक्षिप्त नाम: एन. डी. तिवारी, जन्म: 18 अक्टूबर, 1925 - मृत्यु- 18 अक्टूबर, 2018) उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं। एन. डी. तिवारी उत्तर प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रहे और उत्तरांचल प्रदेश बनने के बाद वहाँ के तीसरे मुख्यमंत्री बने।

जीवन परिचय

नारायण दत्त तिवारी का जन्म 18 अक्तूबर, 1925 ई. को ग्राम बल्यूरी, पदमपुरी ज़िला नैनीताल में हुआ था। उनके पिता पूरन चंद तिवारी भी स्वतंत्रता सेनानी थे। देशभक्ति की भावना से प्रेरित तिवारी जी विद्यार्थी जीवन में ही आंदोलन में सम्मिलित हो गये। और 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में गिरफ्तार कर लिए गये। जेल से छूटने पर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। तभी उन्हें देश के प्रमुख नेताओं जवाहरलाल नेहरू, महामना मदनमोहन मालवीय, आचार्य नरेंद्र देव आदि के आने का अवसर मिला और वे समाजवादी बन गए। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कुमाऊं के श्रमिक संघों के संगठन में लगकर आरम्भ किया।

राजनीतिक परिचय

1952 के प्रथम आम निर्वाचन में समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये। 1957 में वे पुन: विधान सभा पहुँचे। परंतु 1962 और 1967 में उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच 1965 में वे कांग्रेस में सम्मिलित हो गये थे। 1969 के मध्याविधि चुनाव में विजयी होने पर तिवाजी जी उत्तर प्रदेश में मंत्री बने। इसके बाद प्रथम बार 1976 में, दूसरी बार 1984 में, तीसरी बार 1985 में और चौथी बार 1988 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला।

वे केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। वे कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1993 और 1997 के संसदीय चुनाव में असफल रहने के बाद वे 1999 में फिर सांसद चुने गये। 2002 के निर्वाचन में उत्तरांचल में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर उन्हें वहाँ का मुख्यमंत्री बनाया गया।

निधन

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का 18 अक्तूबर 2018 को निधन हो गया। नारायण दत्त तिवारी का निधन दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उनके 93वें जन्मदिन के दिन ही हुआ। एनडी तिवारी बीते एक साल से बीमार चल रहे थे। वह इकलौते ऐसे शख्स थे, जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं। वह तीन बार उत्तरप्रदेश और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एनडी तिवारी ने दोपहर दो बजकर 50 मिनट पर मैक्स अस्पताल में में आखिरी सांस ली। उन्हें 26 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- भारतीय चरित कोश|लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|पृष्ठ संख्या- 425

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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