"कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी": अवतरणों में अंतर
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चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है... | चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है... | ||
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती... | मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती... | ||
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती... | |||
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है... | डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है... | ||
जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है.. | जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है.. | ||
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बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में... | बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में... | ||
मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती... | मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती... | ||
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती... | |||
असफलता एक चुनौती है... स्वीकार करो... | असफलता एक चुनौती है... स्वीकार करो... | ||
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संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम... | संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम... | ||
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06:54, 16 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी
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कवि | सोहन लाल द्विवेदी |
जन्म | 22 फ़रवरी, 1906 |
मृत्यु | 1 मार्च, 1988 |
मुख्य रचनाएँ | भैरवी, पूजागीत सेवाग्राम, प्रभाती, युगाधार, कुणाल, चेतना, बाँसुरी, दूधबतासा आदि। |
अन्य जानकारी | पं. सोहनलाल द्विवेदी स्वतंत्रता आंदोलन युग के एक ऐसे विराट कवि थे, जिन्होंने जनता में राष्ट्रीय चेतना जागृति करने, उनमें देश-भक्ति की भावना भरने और नवयुवकों को देश के लिए बड़े से बड़े बलिदान के लिए प्रेरित करने में अपनी सारी शक्ति लगा दी। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती... |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- कई लोग इस रचना को हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन अमिताभ बच्चन ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है।
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