"महाभारत सामान्य ज्ञान 15": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|120px|कृष्ण तथा अर्जुन]][[महाभारत]] [[हिन्दू धर्म]] के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक [[ग्रंथ]] है। हालाँकि इसे [[साहित्य]] की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या एक लाख है। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर | ||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|120px|कृष्ण तथा अर्जुन]][[महाभारत]] [[हिन्दू धर्म]] के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक [[ग्रंथ]] है। हालाँकि इसे [[साहित्य]] की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या एक लाख है। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान् महाभारत काल को लौहयुग से जोड़ते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||
{[[कुन्ती]] पुत्र [[अर्जुन]] के पोते का नाम क्या था? | {[[कुन्ती]] पुत्र [[अर्जुन]] के पोते का नाम क्या था? | ||
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||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|अर्जुन द्वारा कर्ण का वध]][[महाभारत]] में [[पांडव|पांडवों]] के वनवास में एक वर्ष का [[अज्ञातवास]] भी था, जो उन्होंने [[विराट नगर]] में बिताया था। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने [[विराट|राजा विराट]] के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया। यहाँ [[युधिष्ठिर]] सबसे अपरिचित रहकर 'कंक' नामक [[ब्राह्मण]] के रूप में रहने लगे। [[भीम|भीमसेन]] रसोइया 'वल्लभ' बने और [[अर्जुन]] ने अपना नाम 'बृहन्नला' रख लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बृहन्नला]] | ||[[चित्र:Karn1.jpg|right|100px|अर्जुन द्वारा कर्ण का वध]][[महाभारत]] में [[पांडव|पांडवों]] के वनवास में एक वर्ष का [[अज्ञातवास]] भी था, जो उन्होंने [[विराट नगर]] में बिताया था। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने [[विराट|राजा विराट]] के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया। यहाँ [[युधिष्ठिर]] सबसे अपरिचित रहकर 'कंक' नामक [[ब्राह्मण]] के रूप में रहने लगे। [[भीम|भीमसेन]] रसोइया 'वल्लभ' बने और [[अर्जुन]] ने अपना नाम 'बृहन्नला' रख लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बृहन्नला]] | ||
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14:25, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
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