"छोड़ो कल की बातें": अवतरणों में अंतर
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क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं | क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं | ||
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना | चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना | ||
नये | नये जगत् से हम भी नाता जोड़ चुके हैं | ||
नया | नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी | ||
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
अभी पलटना है रुख़ कितने दरियाओं का | अभी पलटना है रुख़ कितने दरियाओं का | ||
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने | कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने | ||
नया | नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी | ||
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को | राम की इस धरती को गौतम की भूमी को | ||
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं | सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं | ||
नया | नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी | ||
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना | सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना | ||
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो | चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो | ||
नया | नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी | ||
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... | ||
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13:51, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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