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'''कांग्रेस समाजवादी दल''' की स्थापना [[1934]] ई. में [[आचार्य नरेन्द्र देव]], [[जयप्रकाश नारायण]], मीनू मसानी एवं [[अशोक मेहता]] के प्रयत्नों से की गयी थी। इस दल का प्रथम सम्मेलन [[1934]] ई. में [[पटना]] में हुआ। इस पार्टी की स्थापना का उद्देश्य ये माँगे थीं- देश की आर्थिक विकास की प्रक्रिया राज्य द्वारा नियोजित एवं नियंत्रित हो, राजाओं और ज़मींदारों का उन्मूलन बगैर मुआवजे के किया जाए। [[जुलाई]], [[1931]] ई. में [[बिहार]] में समाजवादी दल की स्थापना जयप्रकाश नारायण, फूलन प्रसाद वर्मा एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर की। [[1933]] ई. में [[पंजाब]] में भी एक समाजवादी दल का गठन किया गया। ‘समाजवाद ही क्यों’ पुस्तक की रचना जयप्रकाश नारायण ने तथा ‘समाजवादी एवं राष्ट्रीय आन्दोलन’ पुस्तक की रचना आचार्य नरेन्द्र देव ने की थी।
==अन्य दलों की स्थापना==
==अन्य दलों की स्थापना==
कुछ अन्य लघु वामपंथी दलों की भी स्थापना की गई। [[1939]] ई. में [[सुभाषचन्द्र बोस]] ने [[महात्मा गाँधी]] से मतभेद होने पर [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] से अलग होकर मार्च, 1939 ई. में ‘[[फ़ारवर्ड ब्लॉक]]’ की स्थापना की। [[1940]] ई. में क्रांतिकारी समाजवादी दल का गठन किया गया। यह दल [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को शक्ति द्वारा [[भारत]] से निकालना चाहता था। ‘भारतीय बोल्शेविक दल’ की स्थापना 1939 ई. में एन.दत्त मजूमदार ने की। [[1942]] ई. में सौम्येन्द्रनाथ टैगोर ने ‘क्रान्तिकारी साम्यवादी दल’ का गठन किया। ट्राटस्की के समर्थक क्रान्तिकारी अजीतराय एवं इन्द्रसेन ने [[1941]] ई. में 'वोल्शेविक-लेनिनिस्ट' दल की स्थापना की। [[भारत]] में साम्यवादी दल को दिशा देने वाले एम.एन. राय ने 1940 ई. में ‘अतिवादी लोकतंत्र दल’ स्थापना की।
कुछ अन्य लघु वामपंथी दलों की भी स्थापना की गई। [[1939]] ई. में [[सुभाषचन्द्र बोस]] ने [[महात्मा गाँधी]] से मतभेद होने पर [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] से अलग होकर मार्च, 1939 ई. में ‘[[फ़ारवर्ड ब्लॉक]]’ की स्थापना की। [[1940]] ई. में क्रांतिकारी समाजवादी दल का गठन किया गया। यह दल [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को शक्ति द्वारा [[भारत]] से निकालना चाहता था। ‘भारतीय बोल्शेविक दल’ की स्थापना 1939 ई. में एन.दत्त मजूमदार ने की। [[1942]] ई. में सौम्येन्द्रनाथ टैगोर ने ‘क्रान्तिकारी साम्यवादी दल’ का गठन किया। ट्राटस्की के समर्थक क्रान्तिकारी अजीतराय एवं इन्द्रसेन ने [[1941]] ई. में 'वोल्शेविक-लेनिनिस्ट' दल की स्थापना की। [[भारत]] में साम्यवादी दल को दिशा देने वाले एम.एन. राय ने 1940 ई. में ‘अतिवादी लोकतंत्र दल’ स्थापना की।

08:40, 8 जून 2014 के समय का अवतरण

कांग्रेस समाजवादी दल
जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण
विवरण कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना 1934 ई. में आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण, मीनू मसानी एवं अशोक मेहता के प्रयत्नों से की गयी थी।
उद्देश्य देश की आर्थिक विकास की प्रक्रिया राज्य द्वारा नियोजित एवं नियंत्रित हो और राजाओं और ज़मींदारों का उन्मूलन बगैर मुआवजे के किया जाए
अन्य जानकारी ‘समाजवाद ही क्यों’ पुस्तक की रचना जयप्रकाश नारायण ने तथा ‘समाजवादी एवं राष्ट्रीय आन्दोलन’ पुस्तक की रचना आचार्य नरेन्द्र देव ने की थी।

कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना 1934 ई. में आचार्य नरेन्द्र देव, जयप्रकाश नारायण, मीनू मसानी एवं अशोक मेहता के प्रयत्नों से की गयी थी। इस दल का प्रथम सम्मेलन 1934 ई. में पटना में हुआ। इस पार्टी की स्थापना का उद्देश्य ये माँगे थीं- देश की आर्थिक विकास की प्रक्रिया राज्य द्वारा नियोजित एवं नियंत्रित हो, राजाओं और ज़मींदारों का उन्मूलन बगैर मुआवजे के किया जाए। जुलाई, 1931 ई. में बिहार में समाजवादी दल की स्थापना जयप्रकाश नारायण, फूलन प्रसाद वर्मा एवं कुछ अन्य लोगों ने मिलकर की। 1933 ई. में पंजाब में भी एक समाजवादी दल का गठन किया गया। ‘समाजवाद ही क्यों’ पुस्तक की रचना जयप्रकाश नारायण ने तथा ‘समाजवादी एवं राष्ट्रीय आन्दोलन’ पुस्तक की रचना आचार्य नरेन्द्र देव ने की थी।

अन्य दलों की स्थापना

कुछ अन्य लघु वामपंथी दलों की भी स्थापना की गई। 1939 ई. में सुभाषचन्द्र बोस ने महात्मा गाँधी से मतभेद होने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर मार्च, 1939 ई. में ‘फ़ारवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना की। 1940 ई. में क्रांतिकारी समाजवादी दल का गठन किया गया। यह दल अंग्रेज़ों को शक्ति द्वारा भारत से निकालना चाहता था। ‘भारतीय बोल्शेविक दल’ की स्थापना 1939 ई. में एन.दत्त मजूमदार ने की। 1942 ई. में सौम्येन्द्रनाथ टैगोर ने ‘क्रान्तिकारी साम्यवादी दल’ का गठन किया। ट्राटस्की के समर्थक क्रान्तिकारी अजीतराय एवं इन्द्रसेन ने 1941 ई. में 'वोल्शेविक-लेनिनिस्ट' दल की स्थापना की। भारत में साम्यवादी दल को दिशा देने वाले एम.एन. राय ने 1940 ई. में ‘अतिवादी लोकतंत्र दल’ स्थापना की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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