"जयबाण तोप": अवतरणों में अंतर
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'''जयबाण तोप''' विश्व की सबसे बड़ी तोप है, जो [[राजस्थान]] के [[जयपुर]] की शान है। यह तोप [[जयगढ़ क़िला जयपुर|जयगढ़ क़िले]] में स्थित है और [[राजस्थान का इतिहास|राजस्थान के इतिहास]] की अमूल्य धरोहर है। जयबाण तोप की मारक क्षमता 22 मील {{मील|मील=22}} है। 1720 ई. के आसपास इस तोप की ढलाई की गई थी। | '''जयबाण तोप''' विश्व की सबसे बड़ी तोप है, जो [[राजस्थान]] के [[जयपुर]] की शान है। यह तोप [[जयगढ़ क़िला जयपुर|जयगढ़ क़िले]] में स्थित है और [[राजस्थान का इतिहास|राजस्थान के इतिहास]] की अमूल्य धरोहर है। जयबाण तोप की मारक क्षमता 22 मील {{मील|मील=22}} है। 1720 ई. के आसपास इस तोप की ढलाई की गई थी। | ||
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विश्व की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' जयगढ़ क़िले में स्थित ढलाई के कारखाने में ढाली गई थी। इसकी लंबाई 20 फीट, 2 इंच और वज़न लगभग 50 टन है। तोप की नली का व्यास | विश्व की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' जयगढ़ क़िले में स्थित ढलाई के कारखाने में ढाली गई थी। इसकी लंबाई 20 फीट, 2 इंच और वज़न लगभग 50 टन है। तोप की नली का व्यास क़रीब 11 इंच है। इसकी मारक क्षमता 22 मील है। जयबाण तोप को एक बार चलाने के लिए क़रीब 100 किलो गन पाउडर की ज़रूरत पड़ती थी। ऐसा माना जाता है कि जब जयबाण तोप को पहली बार परीक्षण फायरिंग के लिए चलाया गया था तो [[जयपुर]] से क़रीब 35 कि.मी. दूर स्थित चाकसू नामक कस्बे में गोला गिरने से एक तालाब बन गया था। | ||
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जब [[मुग़ल]] सत्रहवीं [[शताब्दी]] में अपनी ताकत खोने लगे, तो समूचे [[भारत]] में अराजकता सिर उठाने लगी थी। ऐसे समय में [[राजपूताना]] की [[आमेर]] रियासत, एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी। [[सवाई जयसिंह द्वितीय|राजा सवाई जयसिंह द्वितीय]] (1699-1743) ने अपने शासन काल के दौरान शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की सोची। इसके लिए सात मजबूत दरवाजों के साथ क़िलाबंदी की गई। हालांकि जयसिंह ने [[मराठा|मराठों]] के हमलों से बचने के लिए चारदीवारी बनवाई थी। क़िले को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए [[वर्ष]] 1720 ई. में इस तोप की ढलाई की गई।<ref>{{cite web |url=http://www.bhaskar.com/article/c-10-1519061-NOR.html|title= दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयपुर में|accessmonthday=11 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भास्कर.कॉम|language= हिन्दी}}</ref> | जब [[मुग़ल]] सत्रहवीं [[शताब्दी]] में अपनी ताकत खोने लगे, तो समूचे [[भारत]] में अराजकता सिर उठाने लगी थी। ऐसे समय में [[राजपूताना]] की [[आमेर]] रियासत, एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी। [[सवाई जयसिंह द्वितीय|राजा सवाई जयसिंह द्वितीय]] (1699-1743) ने अपने शासन काल के दौरान शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की सोची। इसके लिए सात मजबूत दरवाजों के साथ क़िलाबंदी की गई। हालांकि जयसिंह ने [[मराठा|मराठों]] के हमलों से बचने के लिए चारदीवारी बनवाई थी। क़िले को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए [[वर्ष]] 1720 ई. में इस तोप की ढलाई की गई।<ref>{{cite web |url=http://www.bhaskar.com/article/c-10-1519061-NOR.html|title= दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयपुर में|accessmonthday=11 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भास्कर.कॉम|language= हिन्दी}}</ref> |
10:45, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
जयबाण तोप
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विवरण | 'जयबाण तोप' राजस्थान के जयपुर में जयगढ़ क़िले में स्थित है। यह विश्व की सबसे बड़ी तोप है। |
राज्य | राजस्थान |
शहर | जयपुर |
निर्माणकर्ता | सवाई जयसिंह द्वितीय |
निर्माण काल | 1720 ई. |
लंबाई | लंबाई 20 फीट, 2 इंच |
वज़न | 50 टन |
मारक क्षमता | 22 मील |
अन्य जानकारी | जयबाण तोप की ढलाई1720 ई. के आसपास की गई थी। इसको एक बार चलाने के लिए क़रीब 100 कि.ग्रा. गन पाउडर की ज़रूरत पड़ती थी। |
जयबाण तोप विश्व की सबसे बड़ी तोप है, जो राजस्थान के जयपुर की शान है। यह तोप जयगढ़ क़िले में स्थित है और राजस्थान के इतिहास की अमूल्य धरोहर है। जयबाण तोप की मारक क्षमता 22 मील (लगभग 35.2 कि.मी.) है। 1720 ई. के आसपास इस तोप की ढलाई की गई थी।
आकार
विश्व की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण' जयगढ़ क़िले में स्थित ढलाई के कारखाने में ढाली गई थी। इसकी लंबाई 20 फीट, 2 इंच और वज़न लगभग 50 टन है। तोप की नली का व्यास क़रीब 11 इंच है। इसकी मारक क्षमता 22 मील है। जयबाण तोप को एक बार चलाने के लिए क़रीब 100 किलो गन पाउडर की ज़रूरत पड़ती थी। ऐसा माना जाता है कि जब जयबाण तोप को पहली बार परीक्षण फायरिंग के लिए चलाया गया था तो जयपुर से क़रीब 35 कि.मी. दूर स्थित चाकसू नामक कस्बे में गोला गिरने से एक तालाब बन गया था।
ढलाई
जब मुग़ल सत्रहवीं शताब्दी में अपनी ताकत खोने लगे, तो समूचे भारत में अराजकता सिर उठाने लगी थी। ऐसे समय में राजपूताना की आमेर रियासत, एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी। राजा सवाई जयसिंह द्वितीय (1699-1743) ने अपने शासन काल के दौरान शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की सोची। इसके लिए सात मजबूत दरवाजों के साथ क़िलाबंदी की गई। हालांकि जयसिंह ने मराठों के हमलों से बचने के लिए चारदीवारी बनवाई थी। क़िले को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिए वर्ष 1720 ई. में इस तोप की ढलाई की गई।[1]
मारक क्षमता परीक्षण
जयबाण तोप की मारक क्षमता के परीक्षण के लिए इसे क़िले के बुर्ज पर चढ़ाया गया और गोला दागा गया। गोला 22 मील दूर चाकसू नामक एक स्थान पर जाकर गिरा। विस्फोट इतना बड़ा था कि एक लंबा चौड़ा और गहरा गड्ढा बन गया। बाद में वर्षा के दिनों में इसमें पानी भरा और फिर यह कभी सूखा नहीं। इस तरह जयबाण तोप ने बनाया 'गोला ताल'। जयबाण तोप फिर कभी चली नहीं। परीक्षण के बाद ही शांति स्थापित हो गई थी। कहा जाता है कि इसके बाद किसी ने उस तरफ़ हमला करने की हिम्मत नहीं की। गोला ताल आज भी पानी से भर हुआ है और चाकसू क़स्बे के लोग इससे पानी ले रहे हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयपुर में (हिन्दी) भास्कर.कॉम। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2014।
- ↑ सहस्रनाम (हिन्दी) इण्डिया वाटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2014।
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