"रानी जवाहर बाई": अवतरणों में अंतर
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[[मेवाड़]] के महाराणा [[संग्राम सिंह|संग्रामसिंह]] का पुत्र विक्रमादित्य विलासी और योग्य शासक था। मेवाड़ राज्य की बागडोर जब उसके हाथ में आई तो उसके कुप्रबंधन के चलते राज्य में अव्यवस्था फैल गई। मेवाड़ की पड़ोसी रियासतें [[मालवा]] व [[गुजरात]] के पठान शासकों ने इस अराजकता का लाभ उठाकर [[चित्तौड़गढ़]] पर आक्रमण कर दिया। शक्तिहीन विक्रमादित्य मुकाबला करने में अपने आपको असमर्थ समझकर अपने प्राण बचाकर भाग खड़ा हुआ। शत्रु सेना नगर में जब प्रवेश करने वाली ही थी तो राजपूत नारियों ने "जौहर"करने की ठानी। पर अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर में जलने को उद्धत राजपूत नारियों को विक्रमादित्य की राजरानी जवाहर बाई ने ललकारते हुए कहा-"वीर क्षत्राणियों ! जौहर करके हम सिर्फ अपने सतीत्व की ही रक्षा कर पाएंगी, इससे अपने देश की रक्षा नहीं सकती। उसके लिए तो तलवार लेकर शत्रु सेना से युद्ध करना होगा। हमें हर हाल में मरना तो है ही, इसलिए चुपचाप और असहाय की भांति जौहर की ज्वालाओं में जलने से अच्छा है हम शत्रु को मार कर मरें। युद्ध में शत्रुओं का ख़ून बहाकर रणगंगा में स्नान कर अपने जीवन को ही नहीं अपनी मृत्यु को भी सार्थक बनाएँ। | [[मेवाड़]] के महाराणा [[संग्राम सिंह|संग्रामसिंह]] का पुत्र विक्रमादित्य विलासी और योग्य शासक था। मेवाड़ राज्य की बागडोर जब उसके हाथ में आई तो उसके कुप्रबंधन के चलते राज्य में अव्यवस्था फैल गई। मेवाड़ की पड़ोसी रियासतें [[मालवा]] व [[गुजरात]] के पठान शासकों ने इस अराजकता का लाभ उठाकर [[चित्तौड़गढ़]] पर आक्रमण कर दिया। शक्तिहीन विक्रमादित्य मुकाबला करने में अपने आपको असमर्थ समझकर अपने प्राण बचाकर भाग खड़ा हुआ। शत्रु सेना नगर में जब प्रवेश करने वाली ही थी तो राजपूत नारियों ने "जौहर"करने की ठानी। पर अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर में जलने को उद्धत राजपूत नारियों को विक्रमादित्य की राजरानी जवाहर बाई ने ललकारते हुए कहा-"वीर क्षत्राणियों ! जौहर करके हम सिर्फ अपने सतीत्व की ही रक्षा कर पाएंगी, इससे अपने देश की रक्षा नहीं सकती। उसके लिए तो तलवार लेकर शत्रु सेना से युद्ध करना होगा। हमें हर हाल में मरना तो है ही, इसलिए चुपचाप और असहाय की भांति जौहर की ज्वालाओं में जलने से अच्छा है हम शत्रु को मार कर मरें। युद्ध में शत्रुओं का ख़ून बहाकर रणगंगा में स्नान कर अपने जीवन को ही नहीं अपनी मृत्यु को भी सार्थक बनाएँ। | ||
रानी जवाहर बाई की इस ललकार को सुनकर जौहर को उद्धत कई अगणित राजपूत वीरांगनाएं हाथों में तलवारें थाम युद्ध के लिए उद्धत हो गई। चितौड़ के किले में एक ओर जौहर यज्ञ की प्रचंड ज्वालाएँ धधक रही थी तो दूसरी ओर एक अद्भुत आग का दरिया बह रहा था। रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में घोड़ों पर सवार, हाथों में नंगी तलवारें लिए वीर वधुओं का यह दल शत्रु सेना पर कहर ढा रहा था। इस प्रकार सतीत्व के साथ स्वत्व और देश रक्षा के लिए रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में इन क्षत्रिय वीरांगनाओं ने जो अद्भुत शौर्य प्रदर्शन किया करते हुए वीरगति प्राप्त की।<ref>{{cite web |url=http://www.gyandarpan.com/2011/03/blog-post_09.html |title=रानी जवाहर बाई |accessmonthday= 28 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ज्ञान दर्पण |language=हिंदी }} | रानी जवाहर बाई की इस ललकार को सुनकर जौहर को उद्धत कई अगणित राजपूत वीरांगनाएं हाथों में तलवारें थाम युद्ध के लिए उद्धत हो गई। चितौड़ के किले में एक ओर जौहर यज्ञ की प्रचंड ज्वालाएँ धधक रही थी तो दूसरी ओर एक अद्भुत आग का दरिया बह रहा था। रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में घोड़ों पर सवार, हाथों में नंगी तलवारें लिए वीर वधुओं का यह दल शत्रु सेना पर कहर ढा रहा था। इस प्रकार सतीत्व के साथ स्वत्व और देश रक्षा के लिए रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में इन क्षत्रिय वीरांगनाओं ने जो अद्भुत शौर्य प्रदर्शन किया करते हुए वीरगति प्राप्त की।<ref>{{cite web |url=http://www.gyandarpan.com/2011/03/blog-post_09.html |title=रानी जवाहर बाई |accessmonthday= 28 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ज्ञान दर्पण |language=हिंदी }}</ref> | ||
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06:54, 10 मई 2020 के समय का अवतरण
रानी जवाहर बाई
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पूरा नाम | रानी जवाहर बाई |
परिचय | मेवाड़ के महाराणा संग्रामसिंह के पुत्र विक्रमादित्य की महारानी थीं। |
बाहरी कड़ियाँ | सतीत्व के साथ स्वत्व और देश रक्षा के लिए रानी जवाहर बाई ने अपने नेतृत्व में अनेक क्षत्रिय वीरांगनाओं के साथ मिलकर अद्भुत शौर्य प्रदर्शन किया और वीरगति प्राप्त की |
रानी जवाहर बाई (अंग्रेज़ी: Rani Jawahar Bai) मेवाड़ के महाराणा संग्रामसिंह के पुत्र विक्रमादित्य की महारानी थीं।
इतिहास से
मेवाड़ के महाराणा संग्रामसिंह का पुत्र विक्रमादित्य विलासी और योग्य शासक था। मेवाड़ राज्य की बागडोर जब उसके हाथ में आई तो उसके कुप्रबंधन के चलते राज्य में अव्यवस्था फैल गई। मेवाड़ की पड़ोसी रियासतें मालवा व गुजरात के पठान शासकों ने इस अराजकता का लाभ उठाकर चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया। शक्तिहीन विक्रमादित्य मुकाबला करने में अपने आपको असमर्थ समझकर अपने प्राण बचाकर भाग खड़ा हुआ। शत्रु सेना नगर में जब प्रवेश करने वाली ही थी तो राजपूत नारियों ने "जौहर"करने की ठानी। पर अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर में जलने को उद्धत राजपूत नारियों को विक्रमादित्य की राजरानी जवाहर बाई ने ललकारते हुए कहा-"वीर क्षत्राणियों ! जौहर करके हम सिर्फ अपने सतीत्व की ही रक्षा कर पाएंगी, इससे अपने देश की रक्षा नहीं सकती। उसके लिए तो तलवार लेकर शत्रु सेना से युद्ध करना होगा। हमें हर हाल में मरना तो है ही, इसलिए चुपचाप और असहाय की भांति जौहर की ज्वालाओं में जलने से अच्छा है हम शत्रु को मार कर मरें। युद्ध में शत्रुओं का ख़ून बहाकर रणगंगा में स्नान कर अपने जीवन को ही नहीं अपनी मृत्यु को भी सार्थक बनाएँ। रानी जवाहर बाई की इस ललकार को सुनकर जौहर को उद्धत कई अगणित राजपूत वीरांगनाएं हाथों में तलवारें थाम युद्ध के लिए उद्धत हो गई। चितौड़ के किले में एक ओर जौहर यज्ञ की प्रचंड ज्वालाएँ धधक रही थी तो दूसरी ओर एक अद्भुत आग का दरिया बह रहा था। रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में घोड़ों पर सवार, हाथों में नंगी तलवारें लिए वीर वधुओं का यह दल शत्रु सेना पर कहर ढा रहा था। इस प्रकार सतीत्व के साथ स्वत्व और देश रक्षा के लिए रानी जवाहर बाई के नेतृत्व में इन क्षत्रिय वीरांगनाओं ने जो अद्भुत शौर्य प्रदर्शन किया करते हुए वीरगति प्राप्त की।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रानी जवाहर बाई (हिंदी) ज्ञान दर्पण। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2013।
बाहरी कड़ियाँ