"पहेली 5 सितम्बर 2014": अवतरणों में अंतर
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||[[एकलव्य]] एक [[निषाद]] बालक था, जो कि अपने स्वयं के परिश्रम से अद्भुत धर्नुधर बन गया था। वह [[द्रोणाचार्य]] को अपना इष्ट गुरु मानता था और उनकी मूर्ति बनाकर उसके समक्ष अभ्यास कर धर्नुविद्या में पारंगत हो गया था। [[अर्जुन]] के समकक्ष कोई और धर्नुधारी ना हो जाए, यह विचार कर द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ का [[अंगूठा]] माँग लिया। एकलव्य ने भी बिना किसी संकोच के हँसते-हँसते गुरु दक्षिणा में अँगूठा दे दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ | ||[[चित्र:Ekalavya.jpg|right|100px|अंगूठे का दान देते एकलव्य]][[एकलव्य]] एक [[निषाद]] बालक था, जो कि अपने स्वयं के परिश्रम से अद्भुत धर्नुधर बन गया था। वह [[द्रोणाचार्य]] को अपना इष्ट गुरु मानता था और उनकी मूर्ति बनाकर उसके समक्ष अभ्यास कर धर्नुविद्या में पारंगत हो गया था। [[अर्जुन]] के समकक्ष कोई और धर्नुधारी ना हो जाए, यह विचार कर द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ का [[अंगूठा]] माँग लिया। एकलव्य ने भी बिना किसी संकोच के हँसते-हँसते गुरु दक्षिणा में अँगूठा दे दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एकलव्य]] | ||
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 4 सितम्बर 2014]] |अगली=[[पहेली 6 सितम्बर 2014]]}} | {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 4 सितम्बर 2014]] |अगली=[[पहेली 6 सितम्बर 2014]]}} |
14:59, 6 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
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