"वरणा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''वरणा''' नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख पाणिनि<ref>पा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "Category:पाणिनिकालीन नगर" to "Category:पाणिनिकालीन नगर Category:पाणिनिकालीन भारत") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''वरणा''' नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख [[पाणिनि]]<ref>पाणिनि 4,2,82</ref> में हुआ है। इसको वरण वृक्ष के निकट बताया गया है। | '''वरणा''' नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख [[पाणिनि]]<ref>पाणिनि 4,2,82</ref> में हुआ है। इसको वरण वृक्ष के निकट बताया गया है। यह [[सिन्धु नदी|सिन्धु]] और स्वात नदियों के बीच में स्थित एक स्थान का नाम था। आश्वकायनों का निवास इसी भूमि में था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=833|url=}}</ref> | ||
* | *वरण वृक्ष के समीप बसी होने के कारण इस बस्ती का नाम वरणा पड़ा था। | ||
* | *वरणा उस [[दुर्ग]] का नाम था, जो आश्वकायनों के राज्य में सिंधु और स्वात नदियों के मध्य में सबसे सुदृढ़ रक्षा स्थान था। | ||
*[[यूनानी]] लेखकों ने इसका नाम 'एओरनस' दिया है, जहाँ '[[अस्सकेनोई गण|अस्सकेनोई]]' (=आश्वकायन) और [[सिकंदर]] का युद्ध हुआ था।<ref>सर आरेल स्टाइन, आरक्योलॉजिकल सर्वे मेमॉयर, सं. 42, पृष्ठ 89-90</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पाणिनीकालीन भारत|लेखक=वासुदेवशरण अग्रवाल|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=84|url=}}</ref> | |||
पंक्ति 9: | पंक्ति 10: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पाणिनिकालीन नगर}} | |||
[[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:पाणिनिकालीन नगर]] | ||
[[Category:पाणिनिकालीन भारत]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
08:31, 6 मई 2018 के समय का अवतरण
वरणा नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख पाणिनि[1] में हुआ है। इसको वरण वृक्ष के निकट बताया गया है। यह सिन्धु और स्वात नदियों के बीच में स्थित एक स्थान का नाम था। आश्वकायनों का निवास इसी भूमि में था।[2]
- वरण वृक्ष के समीप बसी होने के कारण इस बस्ती का नाम वरणा पड़ा था।
- वरणा उस दुर्ग का नाम था, जो आश्वकायनों के राज्य में सिंधु और स्वात नदियों के मध्य में सबसे सुदृढ़ रक्षा स्थान था।
- यूनानी लेखकों ने इसका नाम 'एओरनस' दिया है, जहाँ 'अस्सकेनोई' (=आश्वकायन) और सिकंदर का युद्ध हुआ था।[3][4]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पाणिनि 4,2,82
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 833 |
- ↑ सर आरेल स्टाइन, आरक्योलॉजिकल सर्वे मेमॉयर, सं. 42, पृष्ठ 89-90
- ↑ पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 84 |