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[[16 अप्रैल]], 1853 को 'ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे' की पहली रेलगाड़ी बम्बई (वर्तमान [[मुम्बई]]) के बोरी बंदर से थाने (वर्तमान ठाणे) के लिए रवाना हुई थी। उस समय इस रेलगाड़ी को 21 मील का रास्ता पूरा करने में 57 मिनट का समय लगा था। इस रेलगाड़ी में चार डिब्बे थे, और जिसमें लगभग 400 यात्री सवार थे। पहला रेलवे पुल जो ठाणे कोल पर स्थित है, वह वर्ष 1854 ई. में बनकर तैयार हुआ था। इस रेलगाड़ी को तीन लोकोमोटिव, जिनके नाम क्रमश: सुल्तान, सिंध और साहिब थे, खींच रहे थे। | [[16 अप्रैल]], 1853 को 'ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे' की पहली रेलगाड़ी बम्बई (वर्तमान [[मुम्बई]]) के बोरी बंदर से थाने (वर्तमान ठाणे) के लिए रवाना हुई थी। उस समय इस रेलगाड़ी को 21 मील का रास्ता पूरा करने में 57 मिनट का समय लगा था। इस रेलगाड़ी में चार डिब्बे थे, और जिसमें लगभग 400 यात्री सवार थे। पहला रेलवे पुल जो ठाणे कोल पर स्थित है, वह वर्ष 1854 ई. में बनकर तैयार हुआ था। इस रेलगाड़ी को तीन लोकोमोटिव, जिनके नाम क्रमश: सुल्तान, सिंध और साहिब थे, खींच रहे थे। | ||
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ठाणे में पाई जाने वाली अनगिनत झीलों की वजह से यह शहर 'लेक सिटी' (झीलों का शहर) के नाम से जाना जाता है। इस पूरे क्षेत्र में 30 झीलें पाई जाती हैं, जो बेहद सुंदर है। इस सभी में से सबसे खुबसूरत झील 'मसुंदा तालाब' है, जिसे स्थानीय लोग 'तलाव पल्ली' के नाम से जानते हैं। इस [[झील]] में नौका विहार और कई प्रकार के पानी के खेल खेले जा सकते हैं। इसके अलावा 'उनवन झील' भी | ठाणे में पाई जाने वाली अनगिनत झीलों की वजह से यह शहर 'लेक सिटी' (झीलों का शहर) के नाम से जाना जाता है। इस पूरे क्षेत्र में 30 झीलें पाई जाती हैं, जो बेहद सुंदर है। इस सभी में से सबसे खुबसूरत झील 'मसुंदा तालाब' है, जिसे स्थानीय लोग 'तलाव पल्ली' के नाम से जानते हैं। इस [[झील]] में नौका विहार और कई प्रकार के पानी के खेल खेले जा सकते हैं। इसके अलावा 'उनवन झील' भी काफ़ी सुंदर है, जो येउर पहाडि़यों और नीलकंठ हाइट्स के बीच स्थित है। यहां का '[[संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान]]' भी आकर्षक है, जो वन्य जीव प्रेमियों और प्रकृति पसंद लोगों को ख़ासा पंसद आता है। 'काशी मीरा' यहां का मनोरम गंतव्य स्थल है। ठाणे का 'हर हर गंगे झरना' [[भारत]] का सबसे बड़ा और कृत्रिम झरना है। यहां आने वाले श्रद्धालु वर्ग के लिए अम्बरनाथ मंदिर दर्शनीय है, जो हेंमदवाथी शैली में बना हुआ है। [[इतिहास]] प्रेमी यहां के बेसिन क़िला और जवाहर पैलेस में जा सकते हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.nativeplanet.com/thane/|title= ठाणे, झीलों का शहर|accessmonthday= 04 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नेटिव प्लेनेट|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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14:11, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
ठाणे
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विवरण | 'ठाणे' महाराष्ट्र का प्रसिद्ध शहर, जो यहाँ पाई जाने वाली अनगिनत झीलों की वजह से 'लेक सिटी' (झीलों का शहर) के नाम से जाना जाता है। |
राज्य | महाराष्ट्र |
ज़िला | ठाणे |
मुम्बई | |
ठाणे | |
क्या देखें | 'मसुंदा तालाब', 'उनवन झील', 'संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान', 'काशी मीरा', 'अम्बरनाथ मंदिर' आदि। |
एस.टी.डी. कोड | 022 |
क्षेत्रफल | 147 कि.मी.2 |
विशेष | भारत में पहली रेलगाड़ी 16 अप्रैल, 1853 को मुम्बई के बोरी बंदर से थाने (वर्तमान ठाणे) के लिए रवाना हुई थी। इस रेलगाड़ी ने 21 मील का सफ़र 57 मिनट में पूर्ण किया था। |
अन्य जानकारी | ठाणे की मराठी संस्कृति लोगों को रास आती है। गणेश चतुर्थी, गोकुल अष्टमी, दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों पर यहां के लोग धूमधाम से नाच गाना करते है। |
ठाणे भूतपूर्व थाना नगर, दक्षिण-पश्चिम भारत के महाराष्ट्र राज्य के उल्हास नदी के मुहाने पर, मुंबई के पूर्वोत्तर में स्थित है। यह पहले मुंबई का एक आवासीय उपनगर था। ठाणे पर पुर्तग़ालियों, मराठों और अंग्रेज़ों का अधिकार रह चुका है। 16 अप्रैल, 1853 ई. में मुंबई और ठाणे के बीच भारत की पहली रेल पटरी शुरू हुई थी। ठाणे अब रसायन, इंजीनियरिंग उत्पाद एवं वस्त्र का विशाल औद्योगिक केंद्र बन गया है। यहाँ पर अनेक ऐतिहासिक भवन हैं, जिनमें एक क़िला और कई चर्च शामिल है।
इतिहास
भारत के इतिहास के पन्नों पर ठाणे का महत्वपूर्ण स्थान है। ठाणे की उत्पत्ति और इसके खोजकर्ता के विषय में कुछ अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। 135 ई. से 159 ई. के दौरान ग्रीक के भूगोलशास्त्री पोटेलेमी द्वारा लिखे गए पत्रों में इस जगह को 'चेरसोनिसस' नाम से सम्बोधित किया गया था। कुछ अन्य दस्तावेजों के अनुसार 1321 ई. से 1324 ई. तक ठाणे को मुस्लिम साम्राज्य के अधीन बताया गया। इसके बाद पुर्तग़ालियों ने ठाणे में अपना निवास बनाया। बाद के समय में मराठों ने पुर्तग़ालियों को खदेड़ दिया और स्वयं को वहाँ का शासक बना लिया। लेकिन ब्रिटिश शासकों ने ठाणे पर अधिकार करके इसकी रूपरेखा ही परिवर्तित कर डाली। ठाणे को पहला नगर परिषद वर्ष 1863 ई. में मिला।
प्रथम रेलगाड़ी की शुरुआत
16 अप्रैल, 1853 को 'ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे' की पहली रेलगाड़ी बम्बई (वर्तमान मुम्बई) के बोरी बंदर से थाने (वर्तमान ठाणे) के लिए रवाना हुई थी। उस समय इस रेलगाड़ी को 21 मील का रास्ता पूरा करने में 57 मिनट का समय लगा था। इस रेलगाड़ी में चार डिब्बे थे, और जिसमें लगभग 400 यात्री सवार थे। पहला रेलवे पुल जो ठाणे कोल पर स्थित है, वह वर्ष 1854 ई. में बनकर तैयार हुआ था। इस रेलगाड़ी को तीन लोकोमोटिव, जिनके नाम क्रमश: सुल्तान, सिंध और साहिब थे, खींच रहे थे।
दर्शनीय स्थल
ठाणे में पाई जाने वाली अनगिनत झीलों की वजह से यह शहर 'लेक सिटी' (झीलों का शहर) के नाम से जाना जाता है। इस पूरे क्षेत्र में 30 झीलें पाई जाती हैं, जो बेहद सुंदर है। इस सभी में से सबसे खुबसूरत झील 'मसुंदा तालाब' है, जिसे स्थानीय लोग 'तलाव पल्ली' के नाम से जानते हैं। इस झील में नौका विहार और कई प्रकार के पानी के खेल खेले जा सकते हैं। इसके अलावा 'उनवन झील' भी काफ़ी सुंदर है, जो येउर पहाडि़यों और नीलकंठ हाइट्स के बीच स्थित है। यहां का 'संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान' भी आकर्षक है, जो वन्य जीव प्रेमियों और प्रकृति पसंद लोगों को ख़ासा पंसद आता है। 'काशी मीरा' यहां का मनोरम गंतव्य स्थल है। ठाणे का 'हर हर गंगे झरना' भारत का सबसे बड़ा और कृत्रिम झरना है। यहां आने वाले श्रद्धालु वर्ग के लिए अम्बरनाथ मंदिर दर्शनीय है, जो हेंमदवाथी शैली में बना हुआ है। इतिहास प्रेमी यहां के बेसिन क़िला और जवाहर पैलेस में जा सकते हैं।[1]
परिवार के साथ आने के लिए यह जगह उत्तम है। यहां आकर ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर खेल का मजा भी उठाया जा सकता है। यहां की मराठी संस्कृति लोगों को रास आती है। गणेश चतुर्थी, गोकुल अष्टमी, दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों पर यहां के लोग धूमधाम से नाच गाना करते है।
जलवायु
ठाणे की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मानसून है, जो उष्ण कटिबंधीय गीला और शुष्क जलवायु के बीच स्थित है। यहाँ हमेशा उच्च वर्षा की स्थिति बनी रहती है, जबकि अत्यधिक तापमान की स्थिति बहुत ही कम होती है । सामान्य स्थिति में यहाँ का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। सर्दियों में तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच, जबकि गर्मियों में तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से 41 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। कुल वर्षा में से 80 प्रतिशत वर्षा अक्टूबर-जून के दौरान होती है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा 2000-2500 मि.मी. है और नमी 61-86 प्रतिशत है। यहाँ सर्वाधिक नमी जुलाई के महीने में और सर्वाधिक शुष्कता शरद ऋतु में देखी जाती है।
कैसे पहुँचें
यहाँ आने के लिए मुम्बई तक पहुँचना चाहिए। हवाई जहाज़ से आने वाले पर्यटकों को पहले मुम्बई ही उतरना होगा, जहाँ से वह टैक्सी के द्वारा ठाणे तक पहुंच सकते हैं। रेल से आने वाले यात्री सीधे ठाणे तक आ सकते हैं और शहर में घूमने के लिए बस का चुनाव कर सकते है। असुविधा महसूस करने वाले यात्री निजी वाहन भी किराए पर ले सकते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ठाणे, झीलों का शहर (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 04 अगस्त, 2014।
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