"इतिहास सामान्य ज्ञान 14": अवतरणों में अंतर

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{[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना किसने की थी?
{[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना किसने की थी?
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-[[इब्राहीम क़ुतुबशाह]] ने
-[[इब्राहीम क़ुतुबशाह]]
+[[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]] ने
+[[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]
-[[मुहम्मद क़ुतुबशाह]]
-[[मुहम्मद क़ुतुबशाह]]
-[[जमशेद क़ुतुबशाह]]
-[[जमशेद क़ुतुबशाह]]
||[[चित्र:Muhammad-Quli-Qutb-Shah-Portrait.jpg|right|100px|मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]'मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह' (1580 ई. से 1612 ई.) [[गोलकुंडा]] के [[क़ुतुबशाही वंश]] का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में हुआ और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा [[कवि]] और [[संगीत]] का प्रेमी था। वह स्थापत्य आदि के कार्यों में भी बहुत रूचि लिया करता था। [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक [[हैदराबाद]] नगर की स्थापना उसने की थी। दक्कनी [[उर्दू]] में लिखित प्रथम काव्य-संग्रह या ‘दीवान’ का लेखक भी वही था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]
||[[चित्र:Muhammad-Quli-Qutb-Shah-Portrait.jpg|right|100px|मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]'मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह' (1580 ई. से 1612 ई.) [[गोलकुंडा]] के [[क़ुतुबशाही वंश]] का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में हुआ और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा [[कवि]] और [[संगीत]] का प्रेमी था। वह स्थापत्य आदि के कार्यों में भी बहुत रुचि लिया करता था। [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक [[हैदराबाद]] नगर की स्थापना उसने की थी। दक्कनी [[उर्दू]] में लिखित प्रथम काव्य-संग्रह या ‘दीवान’ का लेखक भी वही था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह]]


{[[जैन]] [[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]] द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में [[महावीर]] स्वामी ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा?
{[[जैन]] [[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]] द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में [[महावीर स्वामी]] ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा?
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-[[अहिंसा व्रत|अहिंसा]]
-[[अहिंसा व्रत|अहिंसा]]
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-अपरिग्रह
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+[[ब्रह्मचर्य]]
+[[ब्रह्मचर्य]]
||'ब्रह्मचर्य' का मूल अर्थ है 'ब्रह्म ([[वेद]] अथवा ज्ञान) की प्राप्ति का आचरण।' इसका रूढ़ प्रयोग विद्यार्थी जीवन के अर्थ में होता है। [[आर्य]] जीवन के चार [[आश्रम (जीवन अवस्थाएँ)|आश्रमों]] में प्रथम [[ब्रह्मचर्य]] है, जो विद्यार्थी जीवन की अवस्था का द्योतक है। प्राचीन समय से ही [[भारत]] में ब्रह्मचर्य का विशेष महत्त्व रहा है। कभी-कभी प्रौढ़ और वृद्ध लोग भी छात्र जीवन का निर्वाह समय-समय पर किया करते थे, जैसा कि आरुणि की कथा से ज्ञात होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मचर्य]]
||'ब्रह्मचर्य' का मूल अर्थ है 'ब्रह्म ([[वेद]] अथवा ज्ञान) की प्राप्ति का आचरण।' इसका रूढ़ प्रयोग विद्यार्थी जीवन के अर्थ में होता है। [[आर्य]] जीवन के चार [[आश्रम (जीवन अवस्थाएँ)|आश्रमों]] में प्रथम [[ब्रह्मचर्य]] है, जो विद्यार्थी जीवन की अवस्था का द्योतक है। प्राचीन समय से ही [[भारत]] में ब्रह्मचर्य का विशेष महत्त्व रहा है। कभी-कभी प्रौढ़ और वृद्ध लोग भी छात्र जीवन का निर्वाह समय-समय पर किया करते थे, जैसा कि आरुणि की कथा से ज्ञात होता है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्रह्मचर्य]]


{ऋग्वैदिक [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] क्या थी?
{ऋग्वैदिक [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] क्या थी?
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+[[संस्कृत भाषा]]
+[[संस्कृत भाषा]]
-[[पालि भाषा]]
-[[पालि भाषा]]
||'संस्कृत' [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। [[संस्कृत]] को 'देववाणी' भी कहते हैं। यह हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य [[भाषा]] है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[बंगला भाषा|बंगला]], [[उड़िया भाषा|उड़िया]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[उर्दू]] आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंज़ारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। [[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी धर्मग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]]
||'संस्कृत' [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। [[संस्कृत]] को 'देववाणी' भी कहते हैं। यह हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य [[भाषा]] है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ [[हिन्दी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[बंगला भाषा|बंगला]], [[उड़िया भाषा|उड़िया]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[उर्दू]] आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंज़ारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। [[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी धर्मग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]]


{ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था?
{ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था?
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+पितृसत्तात्मक  
+पितृसत्तात्मक  
-मातृसत्तात्मक
-मातृसत्तात्मक
-1 एवं 2 दोनों  
-उपरोक्त दोनों  
-केवल 1
-इनमें से कोई नहीं


{[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ था?
{[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ था?
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-[[गंगा]]
-[[गंगा]]
-[[यमुना]]
-[[यमुना]]
||[[चित्र:Buddha-National-Museum-Delhi.jpg|right|100px|बुद्ध प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली]]'निरंजना नदी' [[गया]] के पास बहने वाली [[फल्गु नदी]] की सहायक उपनदी है, जिसे अब 'नीलांजना नदी' कहते है। इस नदी का भगवान [[बुद्ध]] के साथ कई जगहों पर उल्लेख हुआ है। [[निरंजना नदी]] गया से दक्षिण में तीन मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है। यह नदी [[बौद्ध साहित्य]] की प्रसिद्ध नदी है। नदी के तट पर भगवान महात्मा बुद्ध को 'बुद्धत्व' (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। [[अश्वघोष]] द्वारा रचित '[[बुद्धचरित]]' में निरंजना नदी का उल्लेख कई स्थानों पर हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[निरंजना नदी]]
||[[चित्र:Buddha-National-Museum-Delhi.jpg|right|100px|बुद्ध प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली]]'निरंजना नदी' [[गया]] के पास बहने वाली [[फल्गु नदी]] की सहायक उपनदी है, जिसे अब 'नीलांजना नदी' कहते है। इस नदी का भगवान [[बुद्ध]] के साथ कई जगहों पर उल्लेख हुआ है। [[निरंजना नदी]] गया से दक्षिण में तीन मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है। यह नदी [[बौद्ध साहित्य]] की प्रसिद्ध नदी है। नदी के तट पर भगवान महात्मा बुद्ध को 'बुद्धत्व' (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। [[अश्वघोष]] द्वारा रचित '[[बुद्धचरित]]' में निरंजना नदी का उल्लेख कई स्थानों पर हुआ है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[निरंजना नदी]]
 
{[[पूर्णिमा]] की रात के बारे में कौन-सा कथन [[महात्मा बुद्ध]] के लिए महत्त्वपूर्ण है?
|type="()"}
-पूर्णिमा को ही बुद्ध का जन्म हुआ।
+[[पूर्णिमा]] को बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया।
-पूर्णिमा की ही रात को बुद्ध ने गृह-त्याग किया।
-पूर्णिमा को ही [[बुद्ध]] का [[निर्वाण|महापरिनिर्वाण]] हुआ।
||जब [[चन्द्रमा]] एवं [[बृहस्पति ग्रह|बृहस्पति]] एक ही [[नक्षत्र]] में हों और तब [[पूर्णिमा]] हो तो उस पूर्णिमा या '[[पौर्णमासी]]' को 'महा' कहा जाता है। ऐसी पौर्णमासी पर दान एवं [[उपवास]] 'अक्षय' फलदायक होता है। ऐसी पौर्णमासी को 'महाचैत्री', 'महाकार्तिकी', 'महापौषी' आदि कहा जाता है। [[सूर्य]] से चन्द्र का अन्तर जब 169° से 180° तक होता है, तब [[शुक्ल पक्ष]] की पूर्णिमा रहती है। पूर्णिमा के स्वामी स्वयं [[चंद्र देवता|चन्द्र देव]] हैं। पूर्णिमान्त काल में सूर्य एवं चन्द्र एकदम आमने-सामने (समसप्तक) होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पूर्णिमा]]
 
{[[बौद्ध धर्म]] के किस [[ग्रंथ]] में सर्वप्रथम [[संस्कृत]] का प्रयोग हुआ?
|type="()"}
-[[सुत्तपिटक]]
-[[विनयपिटक]]
+[[अभिधम्मपिटक]]
-[[महावस्तु]]
{[[बुद्ध]] ने अपने सर्वाधिक उपदेश कहाँ पर दिये?
|type="()"}
-[[वैशाली]]
+[[श्रावस्ती]]
-[[वैशाली]]
-[[राजगृह]]
||[[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[गोंडा ज़िला|गोंडा]]-[[बहराइच ज़िला|बहराइच]] ज़िलों की सीमा पर [[श्रावस्ती]] [[बौद्ध]] तीर्थ स्थान है। गोंडा-[[बलरामपुर]] से 12 मील पश्चिम में आधुनिक सहेत-महेत गाँव ही श्रावस्ती है। पहले यह [[कौशल]] देश की दूसरी राजधानी थी। भगवान [[राम]] के पुत्र [[लव कुश|लव]] ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। श्रावस्ती [[बौद्ध]] और [[जैन]] दोनों का तीर्थ स्थान है। [[तथागत]] श्रावस्ती में रहे थे। यहाँ के श्रेष्ठी अनाथपिण्डिक ने भगवान [[गौतम बुद्ध|बुद्ध]] के लिये [[जेतवन विहार|जेतवन बिहार]] बनवाया था। आजकल यहाँ बौद्ध धर्मशाला, मठ और मन्दिर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[श्रावस्ती]]
 
{[[शिव]]-भक्ति के विषय में प्रारम्भिक जानकारी निम्न में से किसमें मिलती है?
|type="()"}
+[[सैन्धव सभ्यता]] से
-[[वैदिक काल]] से
-[[संगम काल]] से
-[[मौर्य काल]] से
 
{[[राजा राममोहन राय]] के प्रथम शिष्य, जिन्होंने उनके मरणोपरांत '[[ब्रह्म समाज]]' का नेतृत्व सँभाला, कौन था?
|type="()"}
-[[द्वारकानाथ टैगोर]]
+रामचन्द्र विद्यावागीश
-[[केशवचन्द्र सेन]]
-[[देवेन्द्रनाथ टैगोर]]
</quiz>
</quiz>
|}
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13:56, 15 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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2 जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में महावीर स्वामी ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा?

अहिंसा
अत्तेय
अपरिग्रह
ब्रह्मचर्य

3 ऋग्वैदिक आर्यों की भाषा क्या थी?

द्रविड़ भाषा
प्राकृत भाषा
संस्कृत भाषा
पालि भाषा

4 ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था?

पितृसत्तात्मक
मातृसत्तात्मक
उपरोक्त दोनों
इनमें से कोई नहीं

5 बुद्ध को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ था?

निरंजना
ऋजुपालिका
गंगा
यमुना

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