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| {'[[पंच-परमेश्वर -प्रेमचंद|पंच परमेश्वर]]' के लेखक हैं-
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| -[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
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| +[[प्रेमचन्द]]
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| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
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| -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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| || [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
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| {'[[तोड़ती पत्थर -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|तोड़ती पत्थर]]' ([[कविता]]) के कवि हैं-
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| -[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
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| -[[महादेवी वर्मा]]
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| +[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
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| -[[माखन लाल चतुर्वेदी]]
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| || [[चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg|सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|100px|right]] [[हिन्दी]] के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, [[उपन्यासकार]], निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई [[रेखाचित्र]] भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
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| {'हार की जीत' ([[कहानी]]) के कहानीकार हैं-
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| +[[सुदर्शन]]
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| -[[यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र']]
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| -[[कमलेश्वर]]
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| -[[रांगेय राघव]]
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| {'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं-
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| |type="()"}
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| -[[वृन्दावन लाल वर्मा]]
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| -किशोरी लाल गोस्वामी
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| +[[इंशा अल्ला ख़ाँ]]
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| -माधव राव सप्रे
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| {'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं-
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| -बाबू तोता राम
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| -केशव राम भट्ट
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| +बाल मुकुन्द गुप्त
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| -अम्बिका दत्त व्यास
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| {'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं- | | {'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं- |
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| -[[बिहारीलाल]] | | -[[बिहारीलाल]] |
| -[[कबीर]] | | -[[कबीर]] |
| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान [[बाँदा ज़िला]]) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | | || [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान् कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान [[बाँदा ज़िला]]) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] |
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