|
|
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) |
पंक्ति 8: |
पंक्ति 8: |
| | | | | |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {'[[वीसलदेव रासो]]' के रचनाकार का नाम क्या हैं?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[जगनिक]]
| |
| +[[नरपति नाल्ह]]
| |
| -[[चन्दबरदाई]]
| |
| -[[प्रेमचन्द]]
| |
| || वीसलदेव पश्चिमी [[राजस्थान]] के राजा थे। वीसलदेव रासो की रचना तिथि सं. 1400 वि. के आसपास की है। इसके रचयिता '''नरपति नाल्ह''' हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीसलदेव रासो]]
| |
|
| |
| {[[भूषण]] किस [[रस]] के [[कवि]] थे?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[रौद्र रस]]
| |
| -[[करुण रस]]
| |
| +[[वीर रस]]
| |
| -[[शृंगार रस]]
| |
| ||[[भक्तिकाल]] एवं [[रीतिकाल]] में परिस्थितियों के परिवर्तन के कारण वीर रस की धारा सूखती-सी प्रतीत होती है। तथापि, [[केशवदास]] का ‘[[वीरसिंहदेव चरित]]’, मान का ‘राजविलास’, [[भूषण]] का ‘शिवराजभूषण’, [[लाल कवि|लाल]] का ‘[[छत्रप्रकाश -लाल कवि|छत्रप्रकाश]]’ इत्यादि [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] में वीर रस का प्रवाह प्रवाहमान है। ‘[[रामचरितमानस]]’ यों तो [[शान्त रस]] प्रधान रचना है, तो भी [[राम]]-[[रावण]] युद्ध के प्रसंग में प्रचुर वीर रस की निष्पत्ति हुई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीर रस]]
| |
|
| |
| {'[[निराला सूर्यकान्त त्रिपाठी|निराला]]' को कैसा [[कवि]] माना जाता है?
| |
| |type="()"}
| |
| -अवसरवादी
| |
| +क्रान्तिकारी
| |
| -पलायनवादी
| |
| -भाग्यवादी
| |
|
| |
| {[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सिनेमा]]
| |
| -[[विज्ञान]]
| |
| -समाज सेवा
| |
| +[[साहित्य]]
| |
|
| |
| {'कठिन काव्य का प्रेत' किस [[कवि]] को कहा जाता हैं?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सेनापति]] को
| |
| -[[चिंतामणि त्रिपाठी|चिंतामणि]] को
| |
| -[[मतिराम]] को
| |
| +[[केशवदास]] को
| |
| ||[[चित्र:Keshavdas.jpg|right|100px|केशवदास]][[हिन्दी]] में सर्वप्रथम केशवदास जी ने ही काव्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय पद्धति से विवेचन किया। यह ठीक है कि उनके काव्य में भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष की प्रधानता है और पांडित्य प्रदर्शन के कारण उन्हें 'कठिन काव्य का प्रेत' कहकर पुकारा जाता है, किंतु उनका महत्त्व बिल्कुल समाप्त नहीं हो जाता। भाव और [[रस]] कवित्व की [[आत्मा]] है। केशव अपने रचना-चमत्कार द्वारा श्रोता और पाठकों को चमत्कृत करने के प्रयास में रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केशवदास]]
| |
|
| |
|
| {[[हिंदी|हिन्दी भाषा]] की [[लिपि]] '[[भारतीय संविधान]]' में किसे स्वीकार किया गया है? | | {[[हिंदी|हिन्दी भाषा]] की [[लिपि]] '[[भारतीय संविधान]]' में किसे स्वीकार किया गया है? |
पंक्ति 60: |
पंक्ति 23: |
| -नंददुलारे वाजपेयी | | -नंददुलारे वाजपेयी |
| -[[विष्णु शर्मा]] | | -[[विष्णु शर्मा]] |
| ||[[चित्र:Dr. Shyam Sunder Das.jpg|right|100px|श्यामसुन्दर दास]] श्यामसुन्दर दास जी की प्रारम्भ से ही [[हिन्दी]] के प्रति अनन्य निष्ठा थी। उन्होंने '[[नागरी प्रचारिणी सभा]]' की स्थापना [[16 जुलाई]], सन [[1893]] ई. को अपने विद्यार्थी काल में ही दो सहयोगियों रामनारायण मिश्र और [[ठाकुर शिव कुमार सिंह]] की सहायता से की थी। '[[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]]' में आने के पूर्व इन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] की सर्वतोमुखी समृद्धि के लिए न्यायालयों में हिन्दी प्रवेश का आन्दोलन ([[1900]] ई.), हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज ([[1899]] ई.), '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती पत्रिका]]' का सम्पादन ([[1900]] ई.), प्राचीन महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का सम्पादन और सभा-भवन का निर्माण ([[1902]] ई.), आर्य भाषा पुस्तकालय की स्थापना ([[1903]] ई.) तथा शिक्षास्तर के अनुरूप पाठ्य पुस्तकों का निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्यामसुन्दर दास]] | | ||[[चित्र:Dr. Shyam Sunder Das.jpg|right|100px|श्यामसुन्दर दास]] श्यामसुन्दर दास जी की प्रारम्भ से ही [[हिन्दी]] के प्रति अनन्य निष्ठा थी। उन्होंने '[[नागरी प्रचारिणी सभा]]' की स्थापना [[16 जुलाई]],सन्[[1893]] ई. को अपने विद्यार्थी काल में ही दो सहयोगियों रामनारायण मिश्र और [[ठाकुर शिव कुमार सिंह]] की सहायता से की थी। '[[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]]' में आने के पूर्व इन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] की सर्वतोमुखी समृद्धि के लिए न्यायालयों में हिन्दी प्रवेश का आन्दोलन ([[1900]] ई.), हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज ([[1899]] ई.), '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती पत्रिका]]' का सम्पादन ([[1900]] ई.), प्राचीन महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का सम्पादन और सभा-भवन का निर्माण ([[1902]] ई.), आर्य भाषा पुस्तकालय की स्थापना ([[1903]] ई.) तथा शिक्षास्तर के अनुरूप पाठ्य पुस्तकों का निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्यामसुन्दर दास]] |
|
| |
|
| {'अशुभ बेला' रचना किसकी है? | | {'अशुभ बेला' रचना किसकी है? |