"दल्ली-राजहरा": अवतरणों में अंतर
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*दल्ली और राजहरा [[लौह अयस्क]] की खदानों के लिए मशहूर हैं। '[[भारत सरकार]]' के उपक्रम 'स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड' यानी 'सेल' के 'भिलाई इस्पात संयंत्र' के लिए [[1955]] से दल्ली राजहरा की खदानों से ही लौह अयस्क का निर्यात होता रहा है। | *दल्ली और राजहरा [[लौह अयस्क]] की खदानों के लिए मशहूर हैं। '[[भारत सरकार]]' के उपक्रम 'स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड' यानी 'सेल' के 'भिलाई इस्पात संयंत्र' के लिए [[1955]] से दल्ली राजहरा की खदानों से ही लौह अयस्क का निर्यात होता रहा है। | ||
*सत्तर के दशक में दल्ली राजहरा उस समय चर्चा में आ गया, जब यहां शंकर गुहा नियोगी ने अपने मज़दूर संगठन का काम शुरू किया। नियमित मज़दूरों की तरह ही बोनस समेत दूसरी सुविधाओं के लिए पहली बार 'छत्तीसगढ़ खान मज़दूर संगठन' के बैनर तले 10 हज़ार से अधिक मज़दूर सड़क पर उतर आये थे।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/01/140104_shaheed_aspatal_cg_rd|title= सरकारी से अच्छा | *सत्तर के दशक में दल्ली राजहरा उस समय चर्चा में आ गया, जब यहां शंकर गुहा नियोगी ने अपने मज़दूर संगठन का काम शुरू किया। नियमित मज़दूरों की तरह ही बोनस समेत दूसरी सुविधाओं के लिए पहली बार 'छत्तीसगढ़ खान मज़दूर संगठन' के बैनर तले 10 हज़ार से अधिक मज़दूर सड़क पर उतर आये थे।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/01/140104_shaheed_aspatal_cg_rd|title= सरकारी से अच्छा मज़दूरों का अस्पताल|accessmonthday= 31 जनवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= बीबीसी हिन्दी|language= हिन्दी}}</ref> | ||
*दल्ली राजहरा जुड़वां खानें हैं और राजहरा खान समूह का हिस्सा हैं। यह कैप्टिव [[लौह अयस्क]] खानें 'भिलाई इस्पात संयंत्र' उद्यम के लिए हैं। विभिन्न प्रकार के लौह अयस्क हेमटिट और मैग्नेटाइट इस क्षेत्र से खनन होते हैं। पड़ोस में अन्य खानों का उत्पादन डोलोमाइट, चूना और अन्य कच्चे माल हैं, जो इस्पात उत्पादन में जाते हैं। | |||
*[[दुर्ग छत्तीसगढ़|दुर्ग]] से दल्ली राजहरा 83 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। यह बालोद से 25 कि.मी. दूर है और भारतीय रेलवे के पूर्वी रेल के भाग में आता है। | |||
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14:59, 6 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
दल्ली-राजहरा छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद ज़िले में एक शहर और नगरपालिका है। यहाँ 'भिलाई इस्पात सयंत्र' की लोहे की खानें हैं। कांकेर, जगदलपुर एवं नबरंगपुर इसके आसपास के अन्य नगर हैं।
- दल्ली और राजहरा लौह अयस्क की खदानों के लिए मशहूर हैं। 'भारत सरकार' के उपक्रम 'स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड' यानी 'सेल' के 'भिलाई इस्पात संयंत्र' के लिए 1955 से दल्ली राजहरा की खदानों से ही लौह अयस्क का निर्यात होता रहा है।
- सत्तर के दशक में दल्ली राजहरा उस समय चर्चा में आ गया, जब यहां शंकर गुहा नियोगी ने अपने मज़दूर संगठन का काम शुरू किया। नियमित मज़दूरों की तरह ही बोनस समेत दूसरी सुविधाओं के लिए पहली बार 'छत्तीसगढ़ खान मज़दूर संगठन' के बैनर तले 10 हज़ार से अधिक मज़दूर सड़क पर उतर आये थे।[1]
- दल्ली राजहरा जुड़वां खानें हैं और राजहरा खान समूह का हिस्सा हैं। यह कैप्टिव लौह अयस्क खानें 'भिलाई इस्पात संयंत्र' उद्यम के लिए हैं। विभिन्न प्रकार के लौह अयस्क हेमटिट और मैग्नेटाइट इस क्षेत्र से खनन होते हैं। पड़ोस में अन्य खानों का उत्पादन डोलोमाइट, चूना और अन्य कच्चे माल हैं, जो इस्पात उत्पादन में जाते हैं।
- दुर्ग से दल्ली राजहरा 83 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। यह बालोद से 25 कि.मी. दूर है और भारतीय रेलवे के पूर्वी रेल के भाग में आता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सरकारी से अच्छा मज़दूरों का अस्पताल (हिन्दी) बीबीसी हिन्दी। अभिगमन तिथि: 31 जनवरी, 2015।