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'''जोजरी नदी''' का उद्गम [[राजस्थान]] में [[नागौर]] के दक्षिण भाग से होता है। यह नदी [[जोधपुर]] से बहते हुए दक्षिण-पश्चिम में [[बाड़मेर]] में प्रवेश करती है और फिर [[सिवाना]] के पास [[लूनी नदी]] में मिल जाती है।
'''जोजरी''' अथवा 'जोजड़ी नदी' का उद्गम [[राजस्थान]] में [[नागौर]] के दक्षिण भाग से होता है। यह नदी [[जोधपुर]] से बहते हुए दक्षिण-पश्चिम में [[बाड़मेर]] में प्रवेश करती है और फिर [[सिवाना]] के पास [[लूनी नदी]] में मिल जाती है।


*इस नदी के लम्बाई 150 किलोमीटर है। लूनी की सहायक नदियों में यह सबसे लम्बी नदी है।
*इस नदी के लम्बाई 150 किलोमीटर है। लूनी की सहायक नदियों में यह सबसे लम्बी नदी है।

06:59, 20 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

जोजरी अथवा 'जोजड़ी नदी' का उद्गम राजस्थान में नागौर के दक्षिण भाग से होता है। यह नदी जोधपुर से बहते हुए दक्षिण-पश्चिम में बाड़मेर में प्रवेश करती है और फिर सिवाना के पास लूनी नदी में मिल जाती है।

  • इस नदी के लम्बाई 150 किलोमीटर है। लूनी की सहायक नदियों में यह सबसे लम्बी नदी है।
  • लूनी नदी के पश्चिम की ओर चलने वाली जोजरी नदी प्राचीन सरस्वती नदी की एक धारा है, जो खेड़ तिलवाड़ा के निकट लूनी नदी में मिलती है।
  • अब जोजरी नदी का प्रवाह पथ नाममात्र का शेष रह गया है।
  • उपखण्ड के सिवाना, सिलोर, समदडी आदि क्षेत्रों मे लूनी नदी के किनारे पुराने चीजों के अवशेष मिलना साबित करता है कि इस क्षेत्र में सरस्वती नदी की धारा के किनारे प्राचीन सभ्यताएं पनपी होंगी।
  • हनुमानगढ़ से मेड़ता होकर जोधपुर, बाड़मेर क्षेत्र में बहने वाली जोजरी नदी जो आगे आकर लूनी नदी में मिल जाती है, इसके क्षेत्र में आज भी धवा-कल्याणपुर सहित अन्य स्थानों पर बड़े कोल्हू यह प्रमाणित करते हैं कि सरस्वती कालीन इस नदी के किनारे प्राचीन काल में गन्ना, चावल और कपास की खेती होती थी।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सरस्वती: द लॉस्ट रिवर ऑफ थार डेजर्ट (हिन्दी) इण्डिया वाटर पोर्टल। अभिगमन तिथि: 20 फरवरी, 2015।

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