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अंतरपणन के लिए यह आवश्यक है कि संदेशवहन के शीघ्र साधन विद्यमान हों और संबंधित बाज़ारों में तुरंत ही आदेश पालन कराने का समुचित प्रबंध हो। अंतरपणकर्ता चाहे तो प्रतिभूति, वस्तु या विदेशी चलन भेज दे और बदले में आवश्यक धनराशि मँगा ले, चाहे वह उस राशि को बाज़ार में जमा रहने दे, जिससे भविष्य में उस बाज़ार में क्रय होने पर वह काम आ सके।<ref name="aa">{{cite web |url= http:// | अंतरपणन के लिए यह आवश्यक है कि संदेशवहन के शीघ्र साधन विद्यमान हों और संबंधित बाज़ारों में तुरंत ही आदेश पालन कराने का समुचित प्रबंध हो। अंतरपणकर्ता चाहे तो प्रतिभूति, वस्तु या विदेशी चलन भेज दे और बदले में आवश्यक धनराशि मँगा ले, चाहे वह उस राशि को बाज़ार में जमा रहने दे, जिससे भविष्य में उस बाज़ार में क्रय होने पर वह काम आ सके।<ref name="aa">{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A4%A3%E0%A4%A8|title= अंतरपणन|accessmonthday=08 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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सोने का अंतरपणन करने के लिए यह आवश्यक होता है कि विभिन्न देशों के बाज़ारों में सोने के मूल्य की बराबर जानकारी रखी जाए, जिससे वह जहाँ भी सस्ता मिले, वहाँ से | सोने का अंतरपणन करने के लिए यह आवश्यक होता है कि विभिन्न देशों के बाज़ारों में सोने के मूल्य की बराबर जानकारी रखी जाए, जिससे वह जहाँ भी सस्ता मिले, वहाँ से ख़रीदकर अधिक मूल्य वाले बाज़ार में बेच दिया जाए। [[सोना]] ख़रीदते समय क्रय मूल्य में निम्नलिखित व्यय जोड़े जाते हैं- | ||
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==विनिमय दर== | ==विनिमय दर== | ||
इन समायोजनाओं के | इन समायोजनाओं के पश्चात् यदि विक्रय राशि क्रय राशि से अधिक हुई, तभी लाभ होगा। सामान्यत लाभ की दर बहुत कम होती है और उपर्युक्त अनुमानों तथा गणनाओं में तनिक भी त्रुटि होने से लाभ हानि में परिवर्तित हो सकता है। इसके अतिरिक्त दो देशों के चलन परिवर्तन की दर में, जिसे 'विनिमय दर' कहते हैं, घट-बढ़ होती रहती है और उसमें तनिक भी प्रतिकूल घट-बढ़ हानि का कारण बन सकती है। अत अंतरपणकर्ता को उपर्युक्त समस्त बातों का ज्ञान होना चाहिए। उसमें तुरंत निर्णय करने की योग्यता और भविष्य का यथार्थ अनुमान लगाने की सामर्थ्य भी होनी चाहिए। इतना होने पर भी कभी-कभी जोखिम का सामना करना पड़ता है।<ref name="aa"/> | ||
==विनिमय-समकरण-कोश== | ==विनिमय-समकरण-कोश== | ||
विदेशी चलन तथा प्रतिभूतियों में भी अंतरपणन इसी प्रकार किया जाता है। विदेशी चलन में अंतरपणन बहुधा दो से अधिक बाज़ारों को सम्मिलत करके होता है, जिसमें मूल्यों के अंतर से पर्याप्त लाभ उठाया जा सके। हाल ही में विभिन्न देशों में विनिमय-समकरण-कोश स्थापित कर दिए गए हैं और उनके अधिकारी विनिमय दरों को स्थिर कर देते हैं। फलस्वरूप अंतरपणन से लाभ उपार्जित करने के अवसर प्राय समाप्त हो जाते हैं। प्रतिभूतियों में अंतरपणन बहुधा विषम होता है और उसमें जोखिम भी अधिक होती है। | विदेशी चलन तथा प्रतिभूतियों में भी अंतरपणन इसी प्रकार किया जाता है। विदेशी चलन में अंतरपणन बहुधा दो से अधिक बाज़ारों को सम्मिलत करके होता है, जिसमें मूल्यों के अंतर से पर्याप्त लाभ उठाया जा सके। हाल ही में विभिन्न देशों में विनिमय-समकरण-कोश स्थापित कर दिए गए हैं और उनके अधिकारी विनिमय दरों को स्थिर कर देते हैं। फलस्वरूप अंतरपणन से लाभ उपार्जित करने के अवसर प्राय समाप्त हो जाते हैं। प्रतिभूतियों में अंतरपणन बहुधा विषम होता है और उसमें जोखिम भी अधिक होती है। |
12:22, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
अंतरपणन से तात्पर्य है- "किसी प्रतिभूति, वस्तु या विदेशी विनिमय को सस्ते बाज़ार में ख़रीदना और साथ ही साथ तेज़ बाज़ार में बेचना।" इसका उद्देश्य विभिन्न व्यापारिक केंद्रों में प्रचलित मूल्यों के अंतर से लाभ उठाना होता है। अंतरपणन इस कारण संभव होता है कि एक ही समय विभिन्न बाज़ारों में उसी प्रतिभूति, वस्तु या विदेशी चलन के विभिन्न मूल्य होते हैं, और इसका परिणाम समस्त बाज़ारों के मूल्यों में समानता स्थापित करना होता है।
अंतरपणन के लिए यह आवश्यक है कि संदेशवहन के शीघ्र साधन विद्यमान हों और संबंधित बाज़ारों में तुरंत ही आदेश पालन कराने का समुचित प्रबंध हो। अंतरपणकर्ता चाहे तो प्रतिभूति, वस्तु या विदेशी चलन भेज दे और बदले में आवश्यक धनराशि मँगा ले, चाहे वह उस राशि को बाज़ार में जमा रहने दे, जिससे भविष्य में उस बाज़ार में क्रय होने पर वह काम आ सके।[1]
स्वर्ण मूल्य एवं व्यय
सोने का अंतरपणन करने के लिए यह आवश्यक होता है कि विभिन्न देशों के बाज़ारों में सोने के मूल्य की बराबर जानकारी रखी जाए, जिससे वह जहाँ भी सस्ता मिले, वहाँ से ख़रीदकर अधिक मूल्य वाले बाज़ार में बेच दिया जाए। सोना ख़रीदते समय क्रय मूल्य में निम्नलिखित व्यय जोड़े जाते हैं-
- क्रय का कमीशन
- सोना विदेश भेजने का किराया
- बीमे की किस्त
- पैकिंग व्यय
- कांसुली बीजक लेने का व्यय
- भुगतान पाने तक का ब्याज
इसके साथ में सोना बेचकर जो मूल्य मिले, उसमें से निम्नलिखित मद घटाए जाते हैं-
- सोना गलाने का व्यय (यदि आवश्यक हो)
- आयात कर और आयात संबंधी अन्य व्यय
- बैंक कमीशन
विनिमय दर
इन समायोजनाओं के पश्चात् यदि विक्रय राशि क्रय राशि से अधिक हुई, तभी लाभ होगा। सामान्यत लाभ की दर बहुत कम होती है और उपर्युक्त अनुमानों तथा गणनाओं में तनिक भी त्रुटि होने से लाभ हानि में परिवर्तित हो सकता है। इसके अतिरिक्त दो देशों के चलन परिवर्तन की दर में, जिसे 'विनिमय दर' कहते हैं, घट-बढ़ होती रहती है और उसमें तनिक भी प्रतिकूल घट-बढ़ हानि का कारण बन सकती है। अत अंतरपणकर्ता को उपर्युक्त समस्त बातों का ज्ञान होना चाहिए। उसमें तुरंत निर्णय करने की योग्यता और भविष्य का यथार्थ अनुमान लगाने की सामर्थ्य भी होनी चाहिए। इतना होने पर भी कभी-कभी जोखिम का सामना करना पड़ता है।[1]
विनिमय-समकरण-कोश
विदेशी चलन तथा प्रतिभूतियों में भी अंतरपणन इसी प्रकार किया जाता है। विदेशी चलन में अंतरपणन बहुधा दो से अधिक बाज़ारों को सम्मिलत करके होता है, जिसमें मूल्यों के अंतर से पर्याप्त लाभ उठाया जा सके। हाल ही में विभिन्न देशों में विनिमय-समकरण-कोश स्थापित कर दिए गए हैं और उनके अधिकारी विनिमय दरों को स्थिर कर देते हैं। फलस्वरूप अंतरपणन से लाभ उपार्जित करने के अवसर प्राय समाप्त हो जाते हैं। प्रतिभूतियों में अंतरपणन बहुधा विषम होता है और उसमें जोखिम भी अधिक होती है।
एकसमान मूल्य
अंतरपणन के द्वारा प्रतिभूतियों, वस्तुओं या विदेशी विनिमय के मूल्य संसार भर में लगभग समान हो जाते हैं। अनेक अंतरपणनकर्ताओं की क्रियाओं के फलस्वरूप अंतरराष्ट्रीय बाज़ार स्थापित हो जाते हैं और बने रहते हैं, जिससे क्रेताओं तथा विक्रेताओं को बहुत सुविधा होती है। जहाँ तक वस्तुओं का संबंध है, अंतरपणन के द्वारा वस्तुओं का निर्यात अधिपूर्ति के देश से अभाव के देशों में होता रहता है, जिससे आवश्यक वस्तुओं का यथोचित वितरण संसारव्यापी आधार पर हो जाता है।[1]
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