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कुंभवार-देवानन्द-जयदेव-दिनकर-गयागजाधर-जयानन्द-त्रिविक्रम-भावशर्मा-सुरोत्तम या 'शिरोमणि'-हरिनाथ-कृष्णदत्त-काशीनाथ-बलभद्र-केशवदास-कल्याण।
कुंभवार-देवानन्द-जयदेव-दिनकर-गयागजाधर-जयानन्द-त्रिविक्रम-भावशर्मा-सुरोत्तम या 'शिरोमणि'-हरिनाथ-कृष्णदत्त-काशीनाथ-बलभद्र-केशवदास-कल्याण।


*'नखशिख', 'शिखनख' और 'बारहमासा', केशवदास की ये रचनाएँ पहले 'कविप्रिया' के ही अंतर्गत थे। आगे चलकर ये पृथक प्रचारित हुए। सम्भव है इनकी रचना 'कविप्रिया' के पूर्व हुई हो और बाद में इन सबका या किसी का उसमें समावेश किया गया हो।
*'नखशिख', 'शिखनख' और 'बारहमासा', केशवदास की ये रचनाएँ पहले 'कविप्रिया' के ही अंतर्गत थे। आगे चलकर ये पृथक् प्रचारित हुए। सम्भव है इनकी रचना 'कविप्रिया' के पूर्व हुई हो और बाद में इन सबका या किसी का उसमें समावेश किया गया हो।
*'कविप्रिया' कविशिक्षा की पुस्तक है, इसीलिए इसमें शास्त्रप्रवाह और जनप्रवाह के अतिरिक्त विदेशी साहित्यप्रवाह का भी नियोजन है।
*'कविप्रिया' कविशिक्षा की पुस्तक है, इसीलिए इसमें शास्त्रप्रवाह और जनप्रवाह के अतिरिक्त विदेशी साहित्यप्रवाह का भी नियोजन है।



13:27, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

कविप्रिया रीति काल के प्रसिद्ध कवि केशव द्वारा लिखा गया ग्रंथ है। अपने इस ग्रंथ में केशव ने 'अलंकार' शब्द को उसी व्यापक अर्थ में ग्रहण किया है, जैसे दण्डी, वामन आदि आचार्यों ने।

  • कविप्रिया कविजनों का मार्गदर्शक ग्रंथ कहा जा सकता है। इसमें कवि-कर्त्तव्यों तथा अलंकारों का विवेचन है।
  • केशव ने ‘कविप्रिया’ में वर्ण्य-विषयों की तालिका इस प्रकार दी है-

    देस, नगर, बन, बाग, गिरि, आश्रम, सरिता, ताल।
    रवि, ससि, सागर, भूमि के भूषन, रितु सब काल।।

  • केशवदास ने 'कविप्रिया' में अपना वंश परिचय विस्तार से दिया है। जिसके अनुसार वंशानुक्रम इस प्रकार है-

कुंभवार-देवानन्द-जयदेव-दिनकर-गयागजाधर-जयानन्द-त्रिविक्रम-भावशर्मा-सुरोत्तम या 'शिरोमणि'-हरिनाथ-कृष्णदत्त-काशीनाथ-बलभद्र-केशवदास-कल्याण।

  • 'नखशिख', 'शिखनख' और 'बारहमासा', केशवदास की ये रचनाएँ पहले 'कविप्रिया' के ही अंतर्गत थे। आगे चलकर ये पृथक् प्रचारित हुए। सम्भव है इनकी रचना 'कविप्रिया' के पूर्व हुई हो और बाद में इन सबका या किसी का उसमें समावेश किया गया हो।
  • 'कविप्रिया' कविशिक्षा की पुस्तक है, इसीलिए इसमें शास्त्रप्रवाह और जनप्रवाह के अतिरिक्त विदेशी साहित्यप्रवाह का भी नियोजन है।


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