"तारापुंज": अवतरणों में अंतर
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'''तारापुंज''' आकाश के थोड़े से स्थान में बहुत [[तारा|तारों]] का घना जमघट सा है, जो निर्मल आकाश में कहीं कहीं पर दिखाई देता है। दूरदर्शी से देखने पर इसमें हमको सैकड़ों हजारों तारे दिखलाई देते है। तारापुंजों की आकृति बहुत से विभिन्न तारों के एक दृष्टिसूत्र में होने के कारण हमें दिखाई नहीं देती। यह आकृति उनके एक सामान्य परिवार का सदस्य होने के कारण है। हियाडीज | '''तारापुंज''' आकाश के थोड़े से स्थान में बहुत [[तारा|तारों]] का घना जमघट सा है, जो निर्मल आकाश में कहीं कहीं पर दिखाई देता है। दूरदर्शी से देखने पर इसमें हमको सैकड़ों हजारों तारे दिखलाई देते है। तारापुंजों की आकृति बहुत से विभिन्न तारों के एक दृष्टिसूत्र में होने के कारण हमें दिखाई नहीं देती। यह आकृति उनके एक सामान्य परिवार का सदस्य होने के कारण है। हियाडीज <ref>Hyades</ref> आदि कुछ तारापुंज भ्रमणशील हैं। इनके सदस्यों की निजी गति के अध्ययन से पता चला है कि वे सब एक साथ एक दिशा में चलते हें, जिससे उनका पुंज आकार बना रहता है। तारापुंज के सदस्यों की रचना, उनके मूलतत्व तथा विकास में भी परस्पर घनिष्ठ संबंध रहता है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%9C|title= तारापुंज|accessmonthday= 01 अगस्त|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
==तारापुंजों के भेद== | ==तारापुंजों के भेद== | ||
तारापुंज दो श्रेणियों में विभक्त है | तारापुंज दो श्रेणियों में विभक्त है- | ||
#आकाशगंगीय अथवा खुले तारापुंज | |||
#गोलाकार तारापुंज | |||
==आकाशगंगीय तारापुंज== | गोलाकार तारापुंज भी हमारी [[आकाशगंगा]] के सदस्य हैं, तथापि इन दोनों श्रेणियों में बहुत से मौलिक भेद हैं। | ||
लगभग 400 आकाशगंगीय तारापुंज ज्ञात है। संभवत: कुल आकाशगंगीय तारापुंजों की संख्या इससे चार या पाँच गुना होगी। समीपवर्ती आकाशगंगा पद्धतियों, यथा मैगेलैनिक | ====आकाशगंगीय तारापुंज==== | ||
आकाशगंगीय तारापुज आकाशगंगा के समतल में, या उसके अति निकट, उपलब्ध होते हैं, जबकि गोलाकार तारापुंज आकाशगंगा के समतल से सभी दूरियों पर मिलते हैं। आकाशगंगीय तारापुंज सर्पिल भुजाओं के आसपास मिलते हैं तथा गोलाकार तारापुंज सर्पिल से दूर, प्राय: आकाशगंगा के केंद्रिय भागों के पास, मिलते हैं। आकाशगंगीय तारापुजों में तारों की संख्या 20 से 2,000 तक रहती है, जबकि गोलाकार तारापुंजों की संख्या 10,000 से 1,00,000 तक या उसके अधिक रहता है। | |||
आकाशगंगीय तारापुंज पॉपुलेशन प्रथम तथा गोलाकार तारापुंज पॉपुलेशन द्वितीय वर्ग में आते हैं। समीपवर्ती आकाशगंगीय तारापुंजों के तारे किसी छोटे से दूरदर्शी से विभेदित हो जाते हैं, पर गोलाकार तारापुंजों के तारों को विभेदित करने के लिये बड़े दूरदर्शियों की आवश्यकता पड़ती है। लगभग 400 आकाशगंगीय तारापुंज ज्ञात है। संभवत: कुल आकाशगंगीय तारापुंजों की संख्या इससे चार या पाँच गुना होगी। समीपवर्ती आकाशगंगा पद्धतियों, यथा मैगेलैनिक <ref>Megellanic</ref> [[मेघ |मेघों]], में भी कुछ चमकीले आकाशगंगीय तारपुंज मिलते है। पॉपुलेशन प्रथम का सदस्य होने के कारण आकाशगंगीय तारापुजों में तारा-मध्यवर्ती गैस तथा धूल मिलती है। चक्षुदृश्य आकाशगंगीय तारापुंजों में कृत्तिका तारापुंज तथा डियाडीज़ तारापुँज अति प्रसिद्ध हैं। ये दोनों वृष तारामंडल में हैं। शेष चक्षुदृश्य आकाशगंगीय तारापुंजो में परशू का दोहरा तारापुंज, उत्तर किरीट का तारापुंज (एक्स क्रूसिस), दक्षिणी स्वस्तिक का तारापुंज तथा प्रीसीप प्रमुख है।<ref name="aa"/> | |||
==कृत्तिका तारापुंज== | ====कृत्तिका तारापुंज==== | ||
कृत्तिका तारापुंज में चमकीले नीले रंग के मँझोले बी (B) वर्णक्रमी तारे हैं। धुँधले तारे इससे निम्न वर्णक्रम तथा निम्न पृष्ठीय [[ताप]] के हैं। इस पुंज के लगभग अढ़ाई सौ [[तारा|तारों]] का ज्ञान प्राप्त किया जा चुका है। इनका दृश्यनिरपेक्ष कांतिमान - 3.5 से 10.5 तक है। | कृत्तिका तारापुंज में चमकीले नीले रंग के मँझोले बी (B) वर्णक्रमी तारे हैं। धुँधले तारे इससे निम्न वर्णक्रम तथा निम्न पृष्ठीय [[ताप]] के हैं। इस पुंज के लगभग अढ़ाई सौ [[तारा|तारों]] का ज्ञान प्राप्त किया जा चुका है। इनका दृश्यनिरपेक्ष कांतिमान - 3.5 से 10.5 तक है।<ref name="aa"/> | ||
==प्रीसीप तारापुंज== | ====प्रीसीप तारापुंज==== | ||
यह भी कृत्तिका तारापुंज जैसा है। इसमें अत्यंत चमकीले तारे ए (A) वर्णक्रम के नीले तारे है तथा धुंधले तारे लाल रंग के हैं। | यह भी कृत्तिका तारापुंज जैसा है। इसमें अत्यंत चमकीले तारे ए (A) वर्णक्रम के नीले तारे है तथा धुंधले तारे लाल रंग के हैं। | ||
==हियाडीज़ तारापुंज== | ====हियाडीज़ तारापुंज==== | ||
यह भ्रमणशील तारापुंज है, जिसकी निजी गति | यह भ्रमणशील तारापुंज है, जिसकी निजी गति काफ़ी अधिक है। इससे इसके तारों को पृष्ठभूमि के तारों से आसानी से पृथक् किया जा सकता है। यह पुंज [[सूर्य]] से 130 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है। इसका बृहत् अक्ष [[आकाशगंगा]] के समतल में है तथा लघु अक्ष उसपर लंब है एवं बृहत् अक्ष का 2/3 है। इसके तारे इसके केंद्र की ओर अनियमित ढंग से केंद्रित हैं। इसके अति नीले तारे ए-2 (A-2) वर्णक्रम के हैं। इसके तारों में जी तथा के वर्णक्रम के दानव तारे भी विद्यमान हैं। | ||
==दूरियाँ तथा भौतिक विश्लेषण== | ====दूरियाँ तथा भौतिक विश्लेषण==== | ||
समीपवर्ती आकाशगंगीय तारापुंजों की दूरियाँ लंबन विधि से ज्ञात की जाती है। दूरवर्ती तारापुजों की दूरी फोटोग्राफी तथा फोटोविद्युत् विधियों से उनके वर्णसूचक | समीपवर्ती आकाशगंगीय तारापुंजों की दूरियाँ लंबन विधि से ज्ञात की जाती है। दूरवर्ती तारापुजों की दूरी फोटोग्राफी तथा फोटोविद्युत् विधियों से उनके वर्णसूचक <ref>Colour index</ref> के ज्ञान से जानी जाती हैं। इससे पता चला है कि अधिकांश अकाशगंगीय तारापुंज सूर्य से 10,000 प्रकाशवर्ष की दूरी के भीतर विद्यमान हैं। शेष की दूरियाँ भी सूर्य से 15,000 प्रकाशवर्ष से अधिक नहीं हैं। जिन तारापुंजों के कांतिमान, रंग तथा वर्णक्रम का ज्ञान प्राप्त है, उनकी संख्या कुल संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है। तथापि यह पता चला है कि इनमें प्राय: चमक तथा रंग में परस्पर संबंध है। चमक तथा रंग के अध्ययन से हमें ज्ञात लंबनों के कुछ समीपवर्ती तारे ज्ञात हुए हैं, जिनकी चमक तथा वर्णक्रम पुंज के तारों के समान हैं। इस तुलना से हम पुंज के तारों की भौतिक विशेषताओं को ज्ञात कर सकते हैं। एक ही रंग तथा वर्णक्रम के सामान्य तारों तथा पुंज के [[तारा|तारों]] का वितरण एक सा नहीं है। इस तारतम्य से यह ज्ञात होता है कि कि आकाशगंगीय तारापुंज के तारे अपेक्षाकृत नए है।<ref name="aa"/> | ||
==गोलाकार तारापुंज== | ====गोलाकार तारापुंज==== | ||
इनका यह नाम इनकी गोलीय आकृति के कारण पड़ा है। गोलाकार तारापुंज स्वत: एक ताराप्रणाली हैं, जिनका केंद्र हमारी आकाशगंगा का केंद्र है। सौ से कुछ अधिक गोलाकार तारापुंज ज्ञात हैं। संभवत: इनकी कुल संख्या इससे दूनी न होगी। इस प्रकार आकाशगंगीय तारापुंजों की अपेक्षा ये अल्पसंख्यक हैं। इनमें ओमेगा सेंटारी तथा 47-तुकाने धुँधले, चक्षुदृश्य, गोलाकार तारापुंज हैं। | इनका यह नाम इनकी गोलीय आकृति के कारण पड़ा है। गोलाकार तारापुंज स्वत: एक ताराप्रणाली हैं, जिनका केंद्र हमारी आकाशगंगा का केंद्र है। सौ से कुछ अधिक गोलाकार तारापुंज ज्ञात हैं। संभवत: इनकी कुल संख्या इससे दूनी न होगी। इस प्रकार आकाशगंगीय तारापुंजों की अपेक्षा ये अल्पसंख्यक हैं। इनमें ओमेगा सेंटारी तथा 47-तुकाने धुँधले, चक्षुदृश्य, गोलाकार तारापुंज हैं।<ref name="aa"/> | ||
====गोलाकार तारापुंजों का वितरण==== | |||
==गोलाकार तारापुंजों का वितरण== | |||
कुछ तारापुंजों को छोड़कर प्राय: सभी गोलाकार तारापुंज आकाश के आधे भाग मे विद्यमान हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई धनु [[तारामंडल]] के उस प्रदेश में हैं जो पूरे आकाश का लगभग दो प्रतिशत होगा। आकाशगंगा को सूर्यकेंद्रित मानने से इस स्थिति का ठीक कारण नहीं मिलता था, इसलिये शैप्ली ने विशेष अनुसंधान से यह ज्ञात किया कि गोलाकार तारापुंजों का केंद्र सूर्य नहीं, किंतु उससे 27,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर धनु तारामंडल के पास है। | कुछ तारापुंजों को छोड़कर प्राय: सभी गोलाकार तारापुंज आकाश के आधे भाग मे विद्यमान हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई धनु [[तारामंडल]] के उस प्रदेश में हैं जो पूरे आकाश का लगभग दो प्रतिशत होगा। आकाशगंगा को सूर्यकेंद्रित मानने से इस स्थिति का ठीक कारण नहीं मिलता था, इसलिये शैप्ली ने विशेष अनुसंधान से यह ज्ञात किया कि गोलाकार तारापुंजों का केंद्र सूर्य नहीं, किंतु उससे 27,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर धनु तारामंडल के पास है। | ||
====दूरियाँ==== | |||
==दूरियाँ== | |||
गोलाकार तारापुंजों में उपलब्ध, आर आर लाइरा तारों की सहायता से इनकी दूरियाँ ज्ञात की गई हैं। अब अधिकाश गोलाकार तारापुंजो की दूरियाँ ज्ञात हो चुकी हैं। इनकी सहायता से इनके दृश्य कांति-मान के ज्ञात होने पर इनकी पूर्ण चमक का ज्ञान हो जाता है। अत्यंत चमकीले तारापुंजों का निरपेक्ष फोटोग्राफी कांति-मान लगभग-10 तथा धुँधले तारापुंजों का लगभग-5 है। | गोलाकार तारापुंजों में उपलब्ध, आर आर लाइरा तारों की सहायता से इनकी दूरियाँ ज्ञात की गई हैं। अब अधिकाश गोलाकार तारापुंजो की दूरियाँ ज्ञात हो चुकी हैं। इनकी सहायता से इनके दृश्य कांति-मान के ज्ञात होने पर इनकी पूर्ण चमक का ज्ञान हो जाता है। अत्यंत चमकीले तारापुंजों का निरपेक्ष फोटोग्राफी कांति-मान लगभग-10 तथा धुँधले तारापुंजों का लगभग-5 है। | ||
====वेगों में तीव्रता==== | |||
==वेगों में तीव्रता== | अत्यंत दूर होने के कारण गोलाकार तारापुंजों की निजी गति ज्ञात करना कठिन है। एन. यू. मेआल <ref>Mayall</ref> ने लगभग 50 गोलाकार तारापुंजों के अघ्ययन से ज्ञात किया कि इनका त्रैज्य वेग + 290 से - 360 किमी० प्रति सेकंड है। इससे पता चलता है कि ये अति तीव्र वेग वर्ग के पिंड हैं। इनमें उपलब्ध तीव्र-वेग-वर्ग के तारे - आर आर लाइरा, आर बी टॉरी तथा डबल्यू० वर्जिनिस - भी इनके तीव्रवेगी होने की पुष्टि करते हैं।<ref name="aa"/> | ||
अत्यंत दूर होने के कारण गोलाकार तारापुंजों की निजी गति ज्ञात करना कठिन है। एन. यू. मेआल | ====गोलाकार तारापुंजों की अन्य विशेषताएँ==== | ||
==गोलाकार तारापुंजों की अन्य विशेषताएँ== | |||
गोलाकार तारापुंजों के अत्यंत चमकीले तारे लाल [[रंग]] के दानवाकार होते हैं, जिनका निरपेक्ष कांतिमान - 3 के लगभग होता है। इन पुंजों के + 4 निरपेक्ष कांतिमान से धुँधले तारों के संबंध में अभी तक कोई प्रकाशित आँकड़े नहीं मिलते। इन तारापुंजों के तारे आकाशगंगीय घूर्णन में भाग नहीं लेते। इनकी अपनी दीर्धवृत्ताकार कक्षाएँ होती हैं। इनके तारे अपने गुरुत्वाकर्षण केन्द्र के समीप अत्यंत घने होते हैं। इनमें तारातवर्ती गैस या धूल के अभाव के कारण नए [[तारा|तारों]] का जन्म नहीं होता ह। संभवत: एक पुंज के सभी [[तारा|तारे]] एक ही आयु के होते हैं। पॉपुलेशन द्वितीय के वर्ग में आने से यह स्पष्ट है कि ये आकाशगंगीय तारों से बहुत पुराने हैं। | गोलाकार तारापुंजों के अत्यंत चमकीले तारे लाल [[रंग]] के दानवाकार होते हैं, जिनका निरपेक्ष कांतिमान - 3 के लगभग होता है। इन पुंजों के + 4 निरपेक्ष कांतिमान से धुँधले तारों के संबंध में अभी तक कोई प्रकाशित आँकड़े नहीं मिलते। इन तारापुंजों के तारे आकाशगंगीय घूर्णन में भाग नहीं लेते। इनकी अपनी दीर्धवृत्ताकार कक्षाएँ होती हैं। इनके तारे अपने गुरुत्वाकर्षण केन्द्र के समीप अत्यंत घने होते हैं। इनमें तारातवर्ती गैस या धूल के अभाव के कारण नए [[तारा|तारों]] का जन्म नहीं होता ह। संभवत: एक पुंज के सभी [[तारा|तारे]] एक ही आयु के होते हैं। पॉपुलेशन द्वितीय के वर्ग में आने से यह स्पष्ट है कि ये आकाशगंगीय तारों से बहुत पुराने हैं। | ||
इन तारापुंजों में एक नवतारा तथा एक ग्राहम नीहारिका का भी पता चला है। | इन तारापुंजों में एक नवतारा तथा एक ग्राहम नीहारिका का भी पता चला है। | ||
हमारी [[आकाशगंगा]] की तरह अन्य आकाशगंगा प्रणाली में भी गोलाकार तारापुंज उपलब्ध हुए हैं। देवयानी की सर्पिल आकाशगंगा में लगभग 200 गोलाकार तारापुंज मिले हैं। मैगेलैनिक [[मेघ|मेघों]] में भी गोलाकार तारापुंजों सरीखे तारापुंज दिखलाई पड़े हैं। | हमारी [[आकाशगंगा]] की तरह अन्य आकाशगंगा प्रणाली में भी गोलाकार तारापुंज उपलब्ध हुए हैं। देवयानी की सर्पिल आकाशगंगा में लगभग 200 गोलाकार तारापुंज मिले हैं। मैगेलैनिक [[मेघ|मेघों]] में भी गोलाकार तारापुंजों सरीखे तारापुंज दिखलाई पड़े हैं।<ref name="aa"/> | ||
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12:22, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
तारापुंज आकाश के थोड़े से स्थान में बहुत तारों का घना जमघट सा है, जो निर्मल आकाश में कहीं कहीं पर दिखाई देता है। दूरदर्शी से देखने पर इसमें हमको सैकड़ों हजारों तारे दिखलाई देते है। तारापुंजों की आकृति बहुत से विभिन्न तारों के एक दृष्टिसूत्र में होने के कारण हमें दिखाई नहीं देती। यह आकृति उनके एक सामान्य परिवार का सदस्य होने के कारण है। हियाडीज [1] आदि कुछ तारापुंज भ्रमणशील हैं। इनके सदस्यों की निजी गति के अध्ययन से पता चला है कि वे सब एक साथ एक दिशा में चलते हें, जिससे उनका पुंज आकार बना रहता है। तारापुंज के सदस्यों की रचना, उनके मूलतत्व तथा विकास में भी परस्पर घनिष्ठ संबंध रहता है।[2]
तारापुंजों के भेद
तारापुंज दो श्रेणियों में विभक्त है-
- आकाशगंगीय अथवा खुले तारापुंज
- गोलाकार तारापुंज
गोलाकार तारापुंज भी हमारी आकाशगंगा के सदस्य हैं, तथापि इन दोनों श्रेणियों में बहुत से मौलिक भेद हैं।
आकाशगंगीय तारापुंज
आकाशगंगीय तारापुज आकाशगंगा के समतल में, या उसके अति निकट, उपलब्ध होते हैं, जबकि गोलाकार तारापुंज आकाशगंगा के समतल से सभी दूरियों पर मिलते हैं। आकाशगंगीय तारापुंज सर्पिल भुजाओं के आसपास मिलते हैं तथा गोलाकार तारापुंज सर्पिल से दूर, प्राय: आकाशगंगा के केंद्रिय भागों के पास, मिलते हैं। आकाशगंगीय तारापुजों में तारों की संख्या 20 से 2,000 तक रहती है, जबकि गोलाकार तारापुंजों की संख्या 10,000 से 1,00,000 तक या उसके अधिक रहता है। आकाशगंगीय तारापुंज पॉपुलेशन प्रथम तथा गोलाकार तारापुंज पॉपुलेशन द्वितीय वर्ग में आते हैं। समीपवर्ती आकाशगंगीय तारापुंजों के तारे किसी छोटे से दूरदर्शी से विभेदित हो जाते हैं, पर गोलाकार तारापुंजों के तारों को विभेदित करने के लिये बड़े दूरदर्शियों की आवश्यकता पड़ती है। लगभग 400 आकाशगंगीय तारापुंज ज्ञात है। संभवत: कुल आकाशगंगीय तारापुंजों की संख्या इससे चार या पाँच गुना होगी। समीपवर्ती आकाशगंगा पद्धतियों, यथा मैगेलैनिक [3] मेघों, में भी कुछ चमकीले आकाशगंगीय तारपुंज मिलते है। पॉपुलेशन प्रथम का सदस्य होने के कारण आकाशगंगीय तारापुजों में तारा-मध्यवर्ती गैस तथा धूल मिलती है। चक्षुदृश्य आकाशगंगीय तारापुंजों में कृत्तिका तारापुंज तथा डियाडीज़ तारापुँज अति प्रसिद्ध हैं। ये दोनों वृष तारामंडल में हैं। शेष चक्षुदृश्य आकाशगंगीय तारापुंजो में परशू का दोहरा तारापुंज, उत्तर किरीट का तारापुंज (एक्स क्रूसिस), दक्षिणी स्वस्तिक का तारापुंज तथा प्रीसीप प्रमुख है।[2]
कृत्तिका तारापुंज
कृत्तिका तारापुंज में चमकीले नीले रंग के मँझोले बी (B) वर्णक्रमी तारे हैं। धुँधले तारे इससे निम्न वर्णक्रम तथा निम्न पृष्ठीय ताप के हैं। इस पुंज के लगभग अढ़ाई सौ तारों का ज्ञान प्राप्त किया जा चुका है। इनका दृश्यनिरपेक्ष कांतिमान - 3.5 से 10.5 तक है।[2]
प्रीसीप तारापुंज
यह भी कृत्तिका तारापुंज जैसा है। इसमें अत्यंत चमकीले तारे ए (A) वर्णक्रम के नीले तारे है तथा धुंधले तारे लाल रंग के हैं।
हियाडीज़ तारापुंज
यह भ्रमणशील तारापुंज है, जिसकी निजी गति काफ़ी अधिक है। इससे इसके तारों को पृष्ठभूमि के तारों से आसानी से पृथक् किया जा सकता है। यह पुंज सूर्य से 130 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है। इसका बृहत् अक्ष आकाशगंगा के समतल में है तथा लघु अक्ष उसपर लंब है एवं बृहत् अक्ष का 2/3 है। इसके तारे इसके केंद्र की ओर अनियमित ढंग से केंद्रित हैं। इसके अति नीले तारे ए-2 (A-2) वर्णक्रम के हैं। इसके तारों में जी तथा के वर्णक्रम के दानव तारे भी विद्यमान हैं।
दूरियाँ तथा भौतिक विश्लेषण
समीपवर्ती आकाशगंगीय तारापुंजों की दूरियाँ लंबन विधि से ज्ञात की जाती है। दूरवर्ती तारापुजों की दूरी फोटोग्राफी तथा फोटोविद्युत् विधियों से उनके वर्णसूचक [4] के ज्ञान से जानी जाती हैं। इससे पता चला है कि अधिकांश अकाशगंगीय तारापुंज सूर्य से 10,000 प्रकाशवर्ष की दूरी के भीतर विद्यमान हैं। शेष की दूरियाँ भी सूर्य से 15,000 प्रकाशवर्ष से अधिक नहीं हैं। जिन तारापुंजों के कांतिमान, रंग तथा वर्णक्रम का ज्ञान प्राप्त है, उनकी संख्या कुल संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है। तथापि यह पता चला है कि इनमें प्राय: चमक तथा रंग में परस्पर संबंध है। चमक तथा रंग के अध्ययन से हमें ज्ञात लंबनों के कुछ समीपवर्ती तारे ज्ञात हुए हैं, जिनकी चमक तथा वर्णक्रम पुंज के तारों के समान हैं। इस तुलना से हम पुंज के तारों की भौतिक विशेषताओं को ज्ञात कर सकते हैं। एक ही रंग तथा वर्णक्रम के सामान्य तारों तथा पुंज के तारों का वितरण एक सा नहीं है। इस तारतम्य से यह ज्ञात होता है कि कि आकाशगंगीय तारापुंज के तारे अपेक्षाकृत नए है।[2]
गोलाकार तारापुंज
इनका यह नाम इनकी गोलीय आकृति के कारण पड़ा है। गोलाकार तारापुंज स्वत: एक ताराप्रणाली हैं, जिनका केंद्र हमारी आकाशगंगा का केंद्र है। सौ से कुछ अधिक गोलाकार तारापुंज ज्ञात हैं। संभवत: इनकी कुल संख्या इससे दूनी न होगी। इस प्रकार आकाशगंगीय तारापुंजों की अपेक्षा ये अल्पसंख्यक हैं। इनमें ओमेगा सेंटारी तथा 47-तुकाने धुँधले, चक्षुदृश्य, गोलाकार तारापुंज हैं।[2]
गोलाकार तारापुंजों का वितरण
कुछ तारापुंजों को छोड़कर प्राय: सभी गोलाकार तारापुंज आकाश के आधे भाग मे विद्यमान हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई धनु तारामंडल के उस प्रदेश में हैं जो पूरे आकाश का लगभग दो प्रतिशत होगा। आकाशगंगा को सूर्यकेंद्रित मानने से इस स्थिति का ठीक कारण नहीं मिलता था, इसलिये शैप्ली ने विशेष अनुसंधान से यह ज्ञात किया कि गोलाकार तारापुंजों का केंद्र सूर्य नहीं, किंतु उससे 27,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर धनु तारामंडल के पास है।
दूरियाँ
गोलाकार तारापुंजों में उपलब्ध, आर आर लाइरा तारों की सहायता से इनकी दूरियाँ ज्ञात की गई हैं। अब अधिकाश गोलाकार तारापुंजो की दूरियाँ ज्ञात हो चुकी हैं। इनकी सहायता से इनके दृश्य कांति-मान के ज्ञात होने पर इनकी पूर्ण चमक का ज्ञान हो जाता है। अत्यंत चमकीले तारापुंजों का निरपेक्ष फोटोग्राफी कांति-मान लगभग-10 तथा धुँधले तारापुंजों का लगभग-5 है।
वेगों में तीव्रता
अत्यंत दूर होने के कारण गोलाकार तारापुंजों की निजी गति ज्ञात करना कठिन है। एन. यू. मेआल [5] ने लगभग 50 गोलाकार तारापुंजों के अघ्ययन से ज्ञात किया कि इनका त्रैज्य वेग + 290 से - 360 किमी० प्रति सेकंड है। इससे पता चलता है कि ये अति तीव्र वेग वर्ग के पिंड हैं। इनमें उपलब्ध तीव्र-वेग-वर्ग के तारे - आर आर लाइरा, आर बी टॉरी तथा डबल्यू० वर्जिनिस - भी इनके तीव्रवेगी होने की पुष्टि करते हैं।[2]
गोलाकार तारापुंजों की अन्य विशेषताएँ
गोलाकार तारापुंजों के अत्यंत चमकीले तारे लाल रंग के दानवाकार होते हैं, जिनका निरपेक्ष कांतिमान - 3 के लगभग होता है। इन पुंजों के + 4 निरपेक्ष कांतिमान से धुँधले तारों के संबंध में अभी तक कोई प्रकाशित आँकड़े नहीं मिलते। इन तारापुंजों के तारे आकाशगंगीय घूर्णन में भाग नहीं लेते। इनकी अपनी दीर्धवृत्ताकार कक्षाएँ होती हैं। इनके तारे अपने गुरुत्वाकर्षण केन्द्र के समीप अत्यंत घने होते हैं। इनमें तारातवर्ती गैस या धूल के अभाव के कारण नए तारों का जन्म नहीं होता ह। संभवत: एक पुंज के सभी तारे एक ही आयु के होते हैं। पॉपुलेशन द्वितीय के वर्ग में आने से यह स्पष्ट है कि ये आकाशगंगीय तारों से बहुत पुराने हैं।
इन तारापुंजों में एक नवतारा तथा एक ग्राहम नीहारिका का भी पता चला है।
हमारी आकाशगंगा की तरह अन्य आकाशगंगा प्रणाली में भी गोलाकार तारापुंज उपलब्ध हुए हैं। देवयानी की सर्पिल आकाशगंगा में लगभग 200 गोलाकार तारापुंज मिले हैं। मैगेलैनिक मेघों में भी गोलाकार तारापुंजों सरीखे तारापुंज दिखलाई पड़े हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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