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|विवरण=भीमस्वामी [[संस्कृत भाषा]] के श्रेष्ठ [[कवि]] थे। | |||
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|संबंधित लेख= | |||
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'''भीमस्वामी''' [[संस्कृत भाषा]] के श्रेष्ठ [[कवि]] थे। इनकी स्थिति छठी [[शताब्दी]] ई. के अंतिम चरण में मानी जाती है। | '''भीमस्वामी''' [[संस्कृत भाषा]] के श्रेष्ठ [[कवि]] थे। इनकी स्थिति छठी [[शताब्दी]] ई. के अंतिम चरण में मानी जाती है। | ||
*इनका 'रावणार्जुनीय काव्य' प्रसिद्ध है। 27 सर्गों वाले इस काव्य में [[कार्तवीर्य अर्जुन]] तथा [[रावण]] के युद्ध का वर्णन है। | *इनका 'रावणार्जुनीय काव्य' प्रसिद्ध है। 27 सर्गों वाले इस काव्य में [[कार्तवीर्य अर्जुन]] तथा [[रावण]] के युद्ध का वर्णन है। | ||
*भट्टि काव्य की तरह इस काव्य में भी काव्य के बहाने [[संस्कृत]] व्याकरण के नियमों के उदाहरण उपस्थित किए गए हैं, जिससे काव्य पक्ष | *भट्टि काव्य की तरह इस काव्य में भी काव्य के बहाने [[संस्कृत]] [[व्याकरण]] के नियमों के उदाहरण उपस्थित किए गए हैं, जिससे काव्य पक्ष कमज़ोर हो गया है।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80|title=भीमस्वामी |accessmonthday=23 सितम्बर |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref> | ||
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11:36, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
भीमस्वामी
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विवरण | भीमस्वामी संस्कृत भाषा के श्रेष्ठ कवि थे। |
पूरा नाम | भीमस्वामी |
जन्म | छठी शताब्दी |
मुख्य रचनाएँ | रावणार्जुनीय काव्य, कार्तवीर्य अर्जुन, रावण |
भाषा | संस्कृत |
अद्यतन | 04:49, 22 जून 2017 (IST) |
भीमस्वामी संस्कृत भाषा के श्रेष्ठ कवि थे। इनकी स्थिति छठी शताब्दी ई. के अंतिम चरण में मानी जाती है।
- इनका 'रावणार्जुनीय काव्य' प्रसिद्ध है। 27 सर्गों वाले इस काव्य में कार्तवीर्य अर्जुन तथा रावण के युद्ध का वर्णन है।
- भट्टि काव्य की तरह इस काव्य में भी काव्य के बहाने संस्कृत व्याकरण के नियमों के उदाहरण उपस्थित किए गए हैं, जिससे काव्य पक्ष कमज़ोर हो गया है।[1]
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