"श्याम बहादुर वर्मा": अवतरणों में अंतर
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|अन्य जानकारी=श्याम बहादुर जी ने विवेकानंद केन्द्र की हिन्दी 'केन्द्र पत्रिका' का संपादन किया। 'हिन्दू चेतना', 'हिन्दू विश्व', 'पाञ्चजन्य', 'राष्ट्रधर्म' आदि पत्रिकाओं में वे लिखते ही थे। हिन्दुस्तान और [[नवभारत टाइम्स]] जैसे दैनिक पत्रों ने भी उन्हें प्रकाशित किया। | |||
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'''श्याम बहादुर वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shyam Bahadur Verma''; जन्म- [[10 अप्रैल]], [[1932]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[20 नवम्बर]], [[2009]], [[नई दिल्ली]]) बहुमुखी प्रतिभाशाली, अनेक विषयों के विद्वान, विचारक और [[कवि]] थे। उन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] को कई शब्दकोश प्रदान किये थे। उनके प्रत्येक कमरे में फर्श से लेकर छत तक पुस्तकें ही पुस्तकें नज़र आती थीं। श्याम बहादुर वर्मा ने विविध भाषाओं तथा ज्ञान-विज्ञान की अनेकानेक शाखाओं का गहन अध्ययन किया। [[1953]] में उन्होंने अकेले ही [[हिमालय]] को पैदल पार कर [[तिब्बत]] की यात्रा की थी। उनकी सम्पूर्ण साहित्यिक सेवाओं के लिये हिन्दी अकादमी, [[दिल्ली]] ने [[वर्ष]] [[1997]]-[[1998|98]] में उन्हें 'साहित्यकार सम्मान' प्रदान किया था। | '''श्याम बहादुर वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shyam Bahadur Verma''; जन्म- [[10 अप्रैल]], [[1932]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[20 नवम्बर]], [[2009]], [[नई दिल्ली]]) बहुमुखी प्रतिभाशाली, अनेक विषयों के विद्वान, विचारक और [[कवि]] थे। उन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] को कई शब्दकोश प्रदान किये थे। उनके प्रत्येक कमरे में फर्श से लेकर छत तक पुस्तकें ही पुस्तकें नज़र आती थीं। श्याम बहादुर वर्मा ने विविध भाषाओं तथा ज्ञान-विज्ञान की अनेकानेक शाखाओं का गहन अध्ययन किया। [[1953]] में उन्होंने अकेले ही [[हिमालय]] को पैदल पार कर [[तिब्बत]] की यात्रा की थी। उनकी सम्पूर्ण साहित्यिक सेवाओं के लिये हिन्दी अकादमी, [[दिल्ली]] ने [[वर्ष]] [[1997]]-[[1998|98]] में उन्हें 'साहित्यकार सम्मान' प्रदान किया था। | ||
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श्याम बहादुर वर्मा का जन्म 10 अप्रैल, 1932 को [[उत्तर प्रदेश]] में बरेली ज़िले के आँवला नामक नगर में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम लाल बहादुर वर्मा और [[माता]] | श्याम बहादुर वर्मा का जन्म 10 अप्रैल, 1932 को [[उत्तर प्रदेश]] में बरेली ज़िले के आँवला नामक नगर में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम लाल बहादुर वर्मा और [[माता]] विद्यावती थीं। श्रीमती विद्यावती वर्मा [[बरेली]] में बड़ी समर्पित सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता थीं और [[1960]] से हौम्योपेथी की प्रेक्टिस करती थीं। पति के निधन के बाद उन्होंने बड़ी कठिन परिस्थितियों में [[परिवार]] को न केवल चलाया अपितु बच्चों को श्रेष्ठ [[संस्कार]] भी दिए।<ref name="aa">{{cite web |url= http://panchjanya.com/arch/2009/12/6/File11.htm|title=स्व. डॉ. श्याम बहादुर वर्मा - बौद्धिक साधना में लीन स्वयंसेवक |accessmonthday= 31 दिसम्बर|accessyear=2015 |last=स्वरूप |first=देवेन्द्र |authorlink= |format= |publisher= पंचजन्या|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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==व्यावसायिक जीवन== | ==व्यावसायिक जीवन== | ||
संघ कार्य और जीविकार्जन को एक साथ जोड़कर श्याम बहादुर वर्मा संघ के आदेशानुसार [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] के अस्कोट नामक स्थान पर नारायण विद्यालय में शिक्षक बन गये। पर वहां ईसाई मिशनरियों के मतांतरण प्रयासों का विरोध करने के कारण अगले ही वर्ष [[हल्द्वानी]] आ गये। वहां उन्होंने शिशु मंदिर आरंभ किया। शिशु मंदिर को सुदृढ़ आधार देकर वे [[1956]] में [[मैनपुरी|मैनपुरी ज़िले]] के भोगांव के कॉलेज में गणित के शिक्षक बनकर पहुंच गये। भोगांव में सात वर्ष का वास्तव्य उनकी अनेकमुखी प्रतिभा व कर्तृत्व के प्रस्फुटन में मुख्य कारण बना। मैनपुरी के ज़िला कार्यवाह के नाते संघ कार्य में पूरी शक्ति लगाते हुए भी उन्होंने वहां रहकर [[अंग्रेज़ी]] और [[संस्कृत]] भाषाओं में एम.ए. की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। [[1963]] में वे भोगांव से [[बिजनौर]] के धामपुर नामक नगर के रणजीत सिंह मेमोरियल डिग्री कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक बनकर आ गये। यहां भी वे पूरी गति के साथ संघ कार्य में जुटे रहे। भोगांव और धामपुर दोनों स्थानों पर वे संघ कार्यालय में ही रहते थे।<ref name="aa"/> | संघ कार्य और जीविकार्जन को एक साथ जोड़कर श्याम बहादुर वर्मा संघ के आदेशानुसार [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] के अस्कोट नामक स्थान पर नारायण विद्यालय में शिक्षक बन गये। पर वहां ईसाई मिशनरियों के मतांतरण प्रयासों का विरोध करने के कारण अगले ही वर्ष [[हल्द्वानी]] आ गये। वहां उन्होंने शिशु मंदिर आरंभ किया। शिशु मंदिर को सुदृढ़ आधार देकर वे [[1956]] में [[मैनपुरी|मैनपुरी ज़िले]] के भोगांव के कॉलेज में गणित के शिक्षक बनकर पहुंच गये। भोगांव में सात वर्ष का वास्तव्य उनकी अनेकमुखी प्रतिभा व कर्तृत्व के प्रस्फुटन में मुख्य कारण बना। मैनपुरी के ज़िला कार्यवाह के नाते संघ कार्य में पूरी शक्ति लगाते हुए भी उन्होंने वहां रहकर [[अंग्रेज़ी]] और [[संस्कृत]] भाषाओं में एम.ए. की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। [[1963]] में वे भोगांव से [[बिजनौर]] के धामपुर नामक नगर के रणजीत सिंह मेमोरियल डिग्री कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक बनकर आ गये। यहां भी वे पूरी गति के साथ संघ कार्य में जुटे रहे। भोगांव और धामपुर दोनों स्थानों पर वे संघ कार्यालय में ही रहते थे।<ref name="aa"/> | ||
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*एम.एस-सी. (गणित)। [[संस्कृत]], [[अंग्रेज़ी]], [[हिन्दी]] तथा भारतीय इतिहास व संस्कृति में एम.ए.। प्रथम श्रेणी के विद्यार्थी रहे। भारतीय इतिहास व संस्कृति में सर्वोच्च स्थान प्राप्त। | *एम.एस-सी. (गणित)। [[संस्कृत]], [[अंग्रेज़ी]], [[हिन्दी]] तथा भारतीय इतिहास व संस्कृति में एम.ए.। प्रथम श्रेणी के विद्यार्थी रहे। [[भारतीय इतिहास]] व संस्कृति में सर्वोच्च स्थान प्राप्त। | ||
*‘हिन्दी काव्य में शक्ति तत्त्व’ पर दिल्ली विश्वविद्यालय से विद्या वाचस्पति (पी-एच.डी.)। | *‘हिन्दी काव्य में शक्ति तत्त्व’ पर दिल्ली विश्वविद्यालय से विद्या वाचस्पति (पी-एच.डी.)। | ||
*विविध भाषाओं तथा ज्ञान-विज्ञान की अनेकानेक शाखाओं का गहन आपने अध्ययन किया। | *विविध भाषाओं तथा ज्ञान-विज्ञान की अनेकानेक शाखाओं का गहन आपने अध्ययन किया। | ||
*1953 ई. में अकेले ही [[हिमालय]] को पैदल पार कर [[तिब्बत]] की यात्रा की। | *[[1953]] ई. में अकेले ही [[हिमालय]] को पैदल पार कर [[तिब्बत]] की यात्रा की। | ||
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श्याम बहादुर वर्मा
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पूरा नाम | श्याम बहादुर वर्मा |
जन्म | 10 अप्रैल, 1932 |
जन्म भूमि | बरेली, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 20 नवम्बर, 2009 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
अभिभावक | पिता- लाल बहादुर वर्मा, माता- विद्यावती वर्मा |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | ‘बृहत् विश्व सूक्ति कोश’ (तीन खण्डों में), ‘श्री अरविन्द साहित्य दर्शन’, ‘हमारे सांस्कृतिक प्रतीक’, ‘भारत का संविधान’ तथा ‘राष्ट्रनिर्माता स्वामी विवेकानन्द’ आदि। |
भाषा | हिन्दी |
शिक्षा | एम.एससी. (गणित विषय), एम.ए. ('प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति)। |
पुरस्कार-उपाधि | 'साहित्यकार सम्मान' (1997-98) |
प्रसिद्धि | विद्वान, विचारक, लेखक और कवि। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | श्याम बहादुर जी ने विवेकानंद केन्द्र की हिन्दी 'केन्द्र पत्रिका' का संपादन किया। 'हिन्दू चेतना', 'हिन्दू विश्व', 'पाञ्चजन्य', 'राष्ट्रधर्म' आदि पत्रिकाओं में वे लिखते ही थे। हिन्दुस्तान और नवभारत टाइम्स जैसे दैनिक पत्रों ने भी उन्हें प्रकाशित किया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
श्याम बहादुर वर्मा (अंग्रेज़ी: Shyam Bahadur Verma; जन्म- 10 अप्रैल, 1932, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 20 नवम्बर, 2009, नई दिल्ली) बहुमुखी प्रतिभाशाली, अनेक विषयों के विद्वान, विचारक और कवि थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य को कई शब्दकोश प्रदान किये थे। उनके प्रत्येक कमरे में फर्श से लेकर छत तक पुस्तकें ही पुस्तकें नज़र आती थीं। श्याम बहादुर वर्मा ने विविध भाषाओं तथा ज्ञान-विज्ञान की अनेकानेक शाखाओं का गहन अध्ययन किया। 1953 में उन्होंने अकेले ही हिमालय को पैदल पार कर तिब्बत की यात्रा की थी। उनकी सम्पूर्ण साहित्यिक सेवाओं के लिये हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने वर्ष 1997-98 में उन्हें 'साहित्यकार सम्मान' प्रदान किया था।
जन्म
श्याम बहादुर वर्मा का जन्म 10 अप्रैल, 1932 को उत्तर प्रदेश में बरेली ज़िले के आँवला नामक नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम लाल बहादुर वर्मा और माता विद्यावती थीं। श्रीमती विद्यावती वर्मा बरेली में बड़ी समर्पित सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता थीं और 1960 से हौम्योपेथी की प्रेक्टिस करती थीं। पति के निधन के बाद उन्होंने बड़ी कठिन परिस्थितियों में परिवार को न केवल चलाया अपितु बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार भी दिए।[1]
- शिक्षा
1946 में चौदह वर्ष की आयु में ही श्याम बहादुर वर्मा 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के स्वयंसेवक बन गये थे और 1948 में संघ पर अन्यायपूर्ण प्रतिबंध के विरोध में सत्याग्रह करके जेल गये। उन दिनों वे शाहजहांपुर में बी.एससी. के छात्र थे। 1950 में बी.एससी. पास करने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण वे एम.एससी. में प्रवेश नहीं ले पाये और एक वर्ष तक अपना पूरा समय संघ कार्य में ही लगाया। उस समय उन पर तीन धुन सवार थीं- 'संघ कार्य', 'अधिक से अधिक शिक्षार्जन' और 'परिवार को आर्थिक सहारा'। फिर वे अपने गृह जनपद बरेली आ गये और वहीं रहते हुए उन्होंने सन 1952 में 'साहित्यरत्न' और 'आयुर्वेदरत्न' की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। उनमें शिक्षार्जन की भूख बहुत प्रबल थी। अत: आर्थिक परेशानी में भी ट्यूशन पढ़ाकर बरेली कॉलेज से 1953 में गणित विषय में एम.एससी. पास कर ही लिया। उन्होंने 1967 में 'आगरा विश्वविद्यालय' से 'प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति' में एम.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी।
व्यावसायिक जीवन
संघ कार्य और जीविकार्जन को एक साथ जोड़कर श्याम बहादुर वर्मा संघ के आदेशानुसार अल्मोड़ा ज़िले के अस्कोट नामक स्थान पर नारायण विद्यालय में शिक्षक बन गये। पर वहां ईसाई मिशनरियों के मतांतरण प्रयासों का विरोध करने के कारण अगले ही वर्ष हल्द्वानी आ गये। वहां उन्होंने शिशु मंदिर आरंभ किया। शिशु मंदिर को सुदृढ़ आधार देकर वे 1956 में मैनपुरी ज़िले के भोगांव के कॉलेज में गणित के शिक्षक बनकर पहुंच गये। भोगांव में सात वर्ष का वास्तव्य उनकी अनेकमुखी प्रतिभा व कर्तृत्व के प्रस्फुटन में मुख्य कारण बना। मैनपुरी के ज़िला कार्यवाह के नाते संघ कार्य में पूरी शक्ति लगाते हुए भी उन्होंने वहां रहकर अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषाओं में एम.ए. की परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। 1963 में वे भोगांव से बिजनौर के धामपुर नामक नगर के रणजीत सिंह मेमोरियल डिग्री कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक बनकर आ गये। यहां भी वे पूरी गति के साथ संघ कार्य में जुटे रहे। भोगांव और धामपुर दोनों स्थानों पर वे संघ कार्यालय में ही रहते थे।[1]
लेखन व सम्पादन कार्य
दिल्ली आने के बाद श्याम बहादुर वर्मा संघ परिवार की अनेक संस्थाओं, जैसे विश्व हिन्दू परिषद्, भारतीय साहित्य परिषद, विवेकानंद केन्द्र आदि में सक्रिय हो गये थे। अनेक वर्षों तक उन्होंने विवेकानंद केन्द्र की हिन्दी "केन्द्र पत्रिका" का संपादन किया। "हिन्दू चेतना", "हिन्दू विश्व", "पाञ्चजन्य", "राष्ट्रधर्म" आदि पत्रिकाओं में वे लिखते ही थे, हिन्दुस्तान और नवभारत टाइम्स जैसे दैनिक पत्रों ने भी उन्हें प्रकाशित किया। 1972 में महर्षि अरविंद के जन्म शताब्दी वर्ष में उन्होंने "क्रांति योगी श्री अरविंद", "महायोगी श्री अरविंद", "श्री अरविंद साहित्य दर्शन" एवं "श्री अरविंद विचारदर्शन" नामक चार स्वतंत्र ग्रंथों का प्रकाशन किया। "राष्ट्र निर्माता स्वामी विवेकानंद" और "युग पुरुष श्री राम" जैसे प्रेरणादायी ग्रंथों की भी उन्होंने रचना की।
- शब्दकोश का निर्माण
दिल्ली की हिन्दी अकादमी ने उन्हें 1997-1998 में 'साहित्यकार सम्मान' से अभिनंदित किया था। अब वे जीवनीकार से कोशकार की दिशा में बढ़ रहे थे। तीन विशाल खंडों में प्रकाशित उनका बृहत विश्व सूक्ति कोश एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ बन चुका है। बड़े आकार के लगभग 2000 पृष्ठों के इस कोश के कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। सूक्ति कोश से निबटकर श्याम बहादुर पिछले 19 साल से आधुनिक शैली का एक "हिन्दी-हिन्दी शब्द कोश" तैयार करने की साधना में रत थे।
प्रकाशित कृतियाँ
श्याम बहादुर वर्मा की प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ इस प्रकार हैं[1]-
- ‘बृहत् विश्व सूक्ति कोश’ (तीन खण्डों में)
- ‘क्रान्तियोगी श्री अरविन्द’
- ‘महायोगी श्री अरविन्द’
- ‘श्री अरविन्द साहित्य दर्शन’
- ‘श्री अरविन्द विचार दर्शन’
- ‘हमारे सांस्कृतिक प्रतीक’
- ‘भारत के मेले’
- ‘भारत का संविधान’
- ‘मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीराम’
- ‘राष्ट्रनिर्माता स्वामी विवेकानन्द’
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- दिल्ली विश्वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. (सान्ध्य) कॉलेज में हिन्दी के वरिष्ठ प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त।
- एम.एस-सी. (गणित)। संस्कृत, अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा भारतीय इतिहास व संस्कृति में एम.ए.। प्रथम श्रेणी के विद्यार्थी रहे। भारतीय इतिहास व संस्कृति में सर्वोच्च स्थान प्राप्त।
- ‘हिन्दी काव्य में शक्ति तत्त्व’ पर दिल्ली विश्वविद्यालय से विद्या वाचस्पति (पी-एच.डी.)।
- विविध भाषाओं तथा ज्ञान-विज्ञान की अनेकानेक शाखाओं का गहन आपने अध्ययन किया।
- 1953 ई. में अकेले ही हिमालय को पैदल पार कर तिब्बत की यात्रा की।
- ‘केन्द्र भारती’ मासिक (विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी) के सम्पादक रहे।
- भारतीय अनुशीलन परिषद, बरेली (उत्तर प्रदेश) के निदेशक रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 स्वरूप, देवेन्द्र। स्व. डॉ. श्याम बहादुर वर्मा - बौद्धिक साधना में लीन स्वयंसेवक (हिन्दी) पंचजन्या। अभिगमन तिथि: 31 दिसम्बर, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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