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{{सूचना बक्सा ऐतिहासिक पात्र
|चित्र=blankimage.jpg
|चित्र का नाम=सदाशिवराव भाऊ
|पूरा नाम=सदाशिवराव भाऊ
|अन्य नाम=
|जन्म=[[4 अगस्त]], 1730 ई.
|जन्म भूमि=
|मृत्यु तिथि=[[15 जनवरी]], 1761 ई.
|मृत्यु स्थान=
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|पति/पत्नी=
|संतान=
|उपाधि=
|शासन=
|धार्मिक मान्यता=
|राज्याभिषेक=
|युद्ध=[[उदगिरि का युद्ध]]
|प्रसिद्धि=
|निर्माण=
|सुधार-परिवर्तन=
|राजधानी=
|पूर्वाधिकारी=
|राजघराना=
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|शासन काल=
|स्मारक=
|मक़बरा=
|संबंधित लेख=[[शिवाजी]], [[शाहजी भोंसले]], [[शम्भाजी|शम्भाजी पेशवा]], [[बालाजी विश्वनाथ]], [[बाजीराव प्रथम]], [[बाजीराव द्वितीय]], [[राजाराम शिवाजी]],  [[दौलतराव शिन्दे]], [[नाना फड़नवीस]], [[दादोजी कोंडदेव]], [[मराठा साम्राज्य]]
|शीर्षक 1=
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|अन्य जानकारी=सदाशिवराव भाऊ शासन प्रबन्ध में बहुत ही कुशल था और मराठा साम्राज्य का समस्त शासन भार पेशवा ने उसी पर छोड़ दिया था।
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}}


'''सदाशिवराव भाऊ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sadashivrao Bhau'', जन्म: [[4 अगस्त]], 1730 ई.- मृत्यु: [[15 जनवरी]], 1761 ई. ) [[पेशवा]] [[बालाजी बाजीराव]] (1740-61 ई.) का चचेरा भाई था। वह शासन प्रबन्ध में बहुत ही कुशल था और [[मराठा साम्राज्य]] का समस्त शासन भार पेशवा ने उसी पर छोड़ दिया था।
*सदाशिवराव ने [[मराठा|मराठों]] की विशाल सेना को [[यूरोप|यूरोपियन]] सेना के ढंग पर व्यवस्थित किया।
*उसके पास [[इब्राहीम ख़ाँ गार्दी]] नामक [[मुसलमान]] सेनानायक के अधीन विशाल तोपख़ाना भी था।
*अपने इसी सैन्यबल के आधार पर सदाशिव भाऊ ने [[हैदराबाद]] के [[निज़ामशाही वंश|निज़ाम]] [[सलावतजंग]] को [[उदगिरि का युद्ध|उदगिरि के युद्ध]] में हरा कर भारी सफलता प्राप्त की।
*इस विजय से उसकी प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई कि उसे शीघ्र ही [[पंजाब]] प्रान्त में [[अहमदशाह अब्दाली]] की बढ़ती हुई शक्ति को नष्ट कर मराठों की सत्ता स्थापित करने के लिए भेजा गया।
*सदाशिव भाऊ कूटनीति एवं युद्ध क्षेत्र दोनों में विफल रहा था। उसके दम्भी स्वभाव के फलस्वरूप [[जाट]] लोग विमुख हो गए तथा [[राजपूत|राजपूतों]] ने भी सक्रिय सहयोग नहीं दिया।
*वह नवाब [[शुजाउद्दौला]] को भी अपने पक्ष में नहीं कर सका, हालाँकि [[मुग़ल]] बादशाह ने उसे अपना प्रतिनिधि बना रखा था।
*वह रणनीति में भी अब्दाली से मात खा गया। उसने आगे बढ़कर अब्दाली की फ़ौजों पर हमला करने के बजाये स्वयं उसके हमले का इंतज़ार किया।
*इस प्रकार उसकी विशाल सेना को [[पानीपत]] के मैदान में, जहाँ पर उसने अपनी मोर्चेबन्दी कर रखी थी, अब्दाली की फ़ौजों ने घेर लिया।
*15 जनवरी, 1761 ई. को सदाशिवराव भाऊ ने असाधारण वीरता दिखाई, किन्तु वह मारा गया।
*इस युद्ध में पराजय से [[मराठा]] शक्ति को गहरा धक्का लगा और इसी आघात से [[पेशवा]] की भी मृत्यु हो गई।

12:49, 21 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण