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-[[स्वामी श्रद्धानंद]]
-[[स्वामी श्रद्धानंद]]
+[[महात्मा हंसराज|लाला हंसराज]]
+[[महात्मा हंसराज|लाला हंसराज]]
||[[चित्र:Mahatma-Hansraj.jpg|right|150px|महात्मा हंसराज]]'महात्मा हंसराज' [[पंजाब]] के प्रसिद्ध [[आर्य समाज|आर्य समाजी]] नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में 'डी.ए.वी.' के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। [[स्वामी दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द]] की स्मृति में एक शिक्षण संस्था की स्थापना का विचार बहुत समय से [[महात्मा हंसराज]] के मन में चल रहा था, पंरन्तु धन का अभाव उनके रास्ते में आ रहा था। उनके बड़े भाई लाला मुल्कराज स्वंय भी [[आर्य समाज]] के विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने हंसराज के सामने प्रस्ताव रखा कि वे इस शिक्षा संस्था का अवैतनिक प्रधानाध्यापक बनना स्वीकार कर लें। उनके भरण-पोषण के लिए वे हंसराज को अपना आधा वेतन अर्थात तीस रुपये प्रति मास देते रहेगें। व्यक्तिगत सुख के ऊपर समाज की सेवा को प्रधानता देने वाले हंसराज ने संहर्ष ही इसे स्वीकर कर लिया। इस प्रकार [[1 जून]], [[1886]] को महात्मा हंसराज 'दयानन्द एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल', लाहौर के अवैतनिक प्रधानाध्यापक बन गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा हंसराज]]
||[[चित्र:Mahatma-Hansraj.jpg|right|100px|महात्मा हंसराज]]'महात्मा हंसराज' [[पंजाब]] के प्रसिद्ध [[आर्य समाज|आर्य समाजी]] नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में 'डी.ए.वी.' के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। [[स्वामी दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द]] की स्मृति में एक शिक्षण संस्था की स्थापना का विचार बहुत समय से [[महात्मा हंसराज]] के मन में चल रहा था, पंरन्तु धन का अभाव उनके रास्ते में आ रहा था। उनके बड़े भाई लाला मुल्कराज स्वंय भी [[आर्य समाज]] के विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने हंसराज के सामने प्रस्ताव रखा कि वे इस शिक्षा संस्था का अवैतनिक प्रधानाध्यापक बनना स्वीकार कर लें। उनके भरण-पोषण के लिए वे हंसराज को अपना आधा वेतन अर्थात् तीस रुपये प्रति मास देते रहेगें। व्यक्तिगत सुख के ऊपर समाज की सेवा को प्रधानता देने वाले हंसराज ने संहर्ष ही इसे स्वीकर कर लिया। इस प्रकार [[1 जून]], [[1886]] को महात्मा हंसराज 'दयानन्द एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल', लाहौर के अवैतनिक प्रधानाध्यापक बन गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा हंसराज]]
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11:30, 15 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण