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+[[रमेश चन्द्र दत्त]] | +[[रमेश चन्द्र दत्त]] | ||
||रमेश चन्द्र दत्त धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक, मशहूर लेखक तथा | ||रमेश चन्द्र दत्त धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक, मशहूर लेखक तथा महान् शिक्षाशास्त्री थे। वर्ष [[1899]] ई. में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के '[[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]]' की अध्यक्षता इन्होंने की थी। इनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं। इन्होंने सिविल सेवा के भारतीयकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[रमेश चन्द्र दत्त]] | ||
{निम्नांकित [[संस्कार|संस्कारों]] में से किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है? | {निम्नांकित [[संस्कार|संस्कारों]] में से किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है? | ||
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+[[समावर्तन संस्कार|समावर्तन]] | +[[समावर्तन संस्कार|समावर्तन]] | ||
-[[सीमन्तोन्नयन संस्कार|सीमन्तोन्नयन]] | -[[सीमन्तोन्नयन संस्कार|सीमन्तोन्नयन]] | ||
||[[चित्र:Vedic-Tradition-1.jpg|right|120px|वेद-वेदांग का अध्ययन]][[हिन्दू धर्म]] में मान्य [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] में '[[समावर्तन संस्कार]]' द्वादश संस्कार है। यह संस्कार विद्याध्ययन पूर्ण हो जाने पर किया जाता है। पाँच वर्ष की अवस्था तक ब्रह्मचर्यपूर्वज गुरुकुल में रहकर गुरु से समस्त [[वेद]]-[[वेदांग|वेदांगों]] की शिक्षा प्राप्त करके, शिष्य जब गुरु की कसौटी पर खरा उतर जाता था, तब गुरु उसकी शिक्षा पूर्ण होने के प्रतीकस्वरूप उसका 'समावर्तन-संस्कार' करते थे। यह [[संस्कार]] एक या अनेक शिष्यों का एक साथ भी होता था। वर्तमान युग में भी यह संस्कार विश्वविद्यालयों में होता है, किंतु उसका रूप व उद्देश्य बदल गया है। | ||[[चित्र:Vedic-Tradition-1.jpg|right|120px|वेद-वेदांग का अध्ययन]][[हिन्दू धर्म]] में मान्य [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] में '[[समावर्तन संस्कार]]' द्वादश संस्कार है। यह संस्कार विद्याध्ययन पूर्ण हो जाने पर किया जाता है। पाँच वर्ष की अवस्था तक ब्रह्मचर्यपूर्वज गुरुकुल में रहकर गुरु से समस्त [[वेद]]-[[वेदांग|वेदांगों]] की शिक्षा प्राप्त करके, शिष्य जब गुरु की कसौटी पर खरा उतर जाता था, तब गुरु उसकी शिक्षा पूर्ण होने के प्रतीकस्वरूप उसका 'समावर्तन-संस्कार' करते थे। यह [[संस्कार]] एक या अनेक शिष्यों का एक साथ भी होता था। वर्तमान युग में भी यह संस्कार विश्वविद्यालयों में होता है, किंतु उसका रूप व उद्देश्य बदल गया है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[समावर्तन संस्कार]] | ||
{निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] के भागों से कर संग्रह किया? | {निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] के भागों से कर संग्रह किया? | ||
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-[[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] | -[[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] | ||
-[[गहड़वाल वंश|गहड़वाल]] | -[[गहड़वाल वंश|गहड़वाल]] | ||
||[[चित्र:Dashavatara-Temple-Deogarh.jpg|right|120px|गुप्तकालीन दशावतार मन्दिर]]'गुप्त साम्राज्य' का उदय तीसरी सदी के अन्त में [[प्रयाग]] के निकट [[कौशाम्बी]] में हुआ। [[गुप्त वंश|गुप्त]] [[कुषाण|कुषाणों]] के सामन्त थे। इस वंश का आरंभिक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] और [[बिहार]] में था। गुप्त सम्राटों के समय में गणतंत्रीय राजव्यवस्था का ह्रास हुआ। गुप्त प्रशासन राजतंत्रात्मक व्यवस्था पर आधारित था। देवत्व का सिद्धान्त गुप्तकालीन शासकों में प्रचलित था। राजपद वंशानुगत सिद्धान्त पर चलता था। राजा अपने बड़े पुत्र को युवराज घोषित करता था। अपने उत्कर्ष के समय में [[गुप्त साम्राज्य]] उत्तर में [[हिमालय]] से लेकर दक्षिण में [[विंध्य पर्वत]] तक एवं पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] से लेकर पश्चिम में [[सौराष्ट्र]] तक फैला हुआ | ||[[चित्र:Dashavatara-Temple-Deogarh.jpg|right|120px|गुप्तकालीन दशावतार मन्दिर]]'गुप्त साम्राज्य' का उदय तीसरी सदी के अन्त में [[प्रयाग]] के निकट [[कौशाम्बी]] में हुआ। [[गुप्त वंश|गुप्त]] [[कुषाण|कुषाणों]] के सामन्त थे। इस वंश का आरंभिक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] और [[बिहार]] में था। गुप्त सम्राटों के समय में गणतंत्रीय राजव्यवस्था का ह्रास हुआ। गुप्त प्रशासन राजतंत्रात्मक व्यवस्था पर आधारित था। देवत्व का सिद्धान्त गुप्तकालीन शासकों में प्रचलित था। राजपद वंशानुगत सिद्धान्त पर चलता था। राजा अपने बड़े पुत्र को युवराज घोषित करता था। अपने उत्कर्ष के समय में [[गुप्त साम्राज्य]] उत्तर में [[हिमालय]] से लेकर दक्षिण में [[विंध्य पर्वत]] तक एवं पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] से लेकर पश्चिम में [[सौराष्ट्र]] तक फैला हुआ था।अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[गुप्त साम्राज्य]] | ||
{निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध [[वैदिक काल|वैदिक युग]] से नहीं है? | {निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध [[वैदिक काल|वैदिक युग]] से नहीं है? |
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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