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||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|100px|border|जयशंकर प्रसाद]]'जयशंकर प्रसाद' [[हिन्दी]] नाट्य | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|100px|border|जयशंकर प्रसाद]]'जयशंकर प्रसाद' [[हिन्दी]] नाट्य जगत् और [[कथा साहित्य]] में विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान [[कहानी]] लिखने वालों में [[जयशंकर प्रसाद]] अनुपम थे। कहा जाता है कि नौ वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने 'कलाधर' उपनाम से [[ब्रजभाषा]] में एक [[सवैया]] लिखकर अपने गुरु रसमयसिद्ध को दिखाया था। उनकी आरम्भिक रचनाएँ यद्यपि ब्रजभाषा में मिलती हैं, पर क्रमश: वे [[खड़ी बोली]] को अपनाते गये और इस समय उनकी ब्रजभाषा की जो रचनाएँ उपलब्ध हैं, उनका महत्त्व केवल ऐतिहासिक ही है। जयशंकर प्रसाद जी लिखे हुए नाटकों में [[चन्द्रगुप्त नाटक|चन्द्रगुप्त]], [[ध्रुवस्वामिनी (नाटक)|ध्रुवस्वामिनी]], [[स्कन्दगुप्त (नाटक)|स्कन्दगुप्त]], जनमेजय का नागयज्ञ, [[एक घूँट]], [[विशाख (नाटक)|विशाख]], [[अजातशत्रु नाटक -प्रसाद|अजातशत्रु]] आदि प्रमुख हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
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