"रायगढ़ घराना": अवतरणों में अंतर
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*रायगढ़ घराने को लोकप्रिय बनाने में पंडित कार्तिक राम और उनके पुत्र पंडित रामलाल का योगदान अविस्मरणीय रहा है। | *रायगढ़ घराने को लोकप्रिय बनाने में पंडित कार्तिक राम और उनके पुत्र पंडित रामलाल का योगदान अविस्मरणीय रहा है। | ||
*जब रायगढ़ घराना मृतप्राय | *जब रायगढ़ घराना मृतप्राय सा हो गया तो पंडित कार्तिक राम की शिष्या रूपाली वालिया ने अपने सबल [[नृत्य]] और सशक्त अभिनय के माध्यम से इस घराने को पुन: जीवित करने का प्रयास किया। | ||
*रूपाली देश की अग्रणी नृत्य कलाकारों में जानी जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह रायगढ़ घराने के पर्याय के रूप में पहचानी जाती हैं। | *रूपाली देश की अग्रणी नृत्य कलाकारों में जानी जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह रायगढ़ घराने के पर्याय के रूप में पहचानी जाती हैं। | ||
13:45, 9 मई 2021 के समय का अवतरण
रायगढ़ घराना सभी घरानों के मुकाबले नया माना जाता है। इस घराने की स्थापना जयपुर घराने के पंडित जयलाल, पंडित सीताराम, हनुमान प्रसाद और लखनऊ घराने के पंडित अच्छन महाराज, पंडित शम्भू महाराज और पंडित लच्छू महाराज ने रायगढ़ के महाराजा चक्रधर सिंह से आश्रय प्राप्त करके की थी।[1]
- इस घराने ने अपने नामी कलाकारों के संरक्षण में बहुत कम समय में जो ख्याति अर्जित की, वह सराहनीय है।
- रायगढ़ घराने को लोकप्रिय बनाने में पंडित कार्तिक राम और उनके पुत्र पंडित रामलाल का योगदान अविस्मरणीय रहा है।
- जब रायगढ़ घराना मृतप्राय सा हो गया तो पंडित कार्तिक राम की शिष्या रूपाली वालिया ने अपने सबल नृत्य और सशक्त अभिनय के माध्यम से इस घराने को पुन: जीवित करने का प्रयास किया।
- रूपाली देश की अग्रणी नृत्य कलाकारों में जानी जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह रायगढ़ घराने के पर्याय के रूप में पहचानी जाती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कत्थक के मूल स्वरूप में परिवर्तन और घरानों की देन (हिंदी) journalistnishant.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 22 अक्टूबर, 2016।