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+[[कर्णी सिंह]]
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-[[अभिनव बिन्द्रा]]
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||[[चित्र:Karni-Singh.jpg|right|100px|border|कर्णी सिंह]]'कर्णी सिंह' को प्रतियोगात्मक निशानेबाज़ी का जनक माना जा सकता है। मेजर जनरल हिज हाईनेस कर्णी सिंह [[बीकानेर]] के महाराजा थे। उनके राजा होने के कारण उनका हर अंदाज राजसी था। [[कर्णी सिंह]] की शिक्षा [[दिल्ली]] के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में तथा [[मुम्बई]] के सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुई। कर्णी सिंह ने [[मुम्बई विश्वविद्यालय]] से पी.एच.डी. की डिग्री भी हासिल की। वे देश के ऐसे पहले शूटर थे, जिन्हें [[भारत]] में पहली बार ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ देकर सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें [[1961]] में प्रदान किया गया था। कर्णी सिंह ने अपने निशानेबाज़ी के यादगार लम्हों को एक पुस्तक के रूप में भी प्रस्तुत किया, जिसका नाम है- ”फ़्रॉम रोम टू मास्को”।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्णी सिंह]]
||[[चित्र:Karni-Singh.jpg|right|100px|border|कर्णी सिंह]]'कर्णी सिंह' को प्रतियोगात्मक निशानेबाज़ी का जनक माना जा सकता है। मेजर जनरल हिज हाईनेस कर्णी सिंह [[बीकानेर]] के महाराजा थे। उनके राजा होने के कारण उनका हर अंदाज़राजसी था। [[कर्णी सिंह]] की शिक्षा [[दिल्ली]] के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में तथा [[मुम्बई]] के सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुई। कर्णी सिंह ने [[मुम्बई विश्वविद्यालय]] से पी.एच.डी. की डिग्री भी हासिल की। वे देश के ऐसे पहले शूटर थे, जिन्हें [[भारत]] में पहली बार ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ देकर सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें [[1961]] में प्रदान किया गया था। कर्णी सिंह ने अपने निशानेबाज़ी के यादगार लम्हों को एक पुस्तक के रूप में भी प्रस्तुत किया, जिसका नाम है- ”फ़्रॉम रोम टू मास्को”।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्णी सिंह]]
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