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+[[ज्योतिबा फुले]]
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-[[भीमराव आम्बेडकर|बी. आर. अम्बेडकर]]
-[[भीमराव आम्बेडकर|बी. आर. अम्बेडकर]]
||[[चित्र:Jyotirao-phule.jpg|100px|right|border|ज्योतिबा फुले]]'ज्योतिबा फुले' [[महाराष्ट्र]] में सर्वप्रथम अछूतोद्धार और महिला शिक्षा का काम आरंभ करने वाले महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए [[ज्योतिबा फुले]] ने 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की थी। उनकी समाज सेवा देखकर [[1888]] ई. में [[मुंबई]] की एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई। ज्योतिबा ने [[ब्राह्मण]]-[[पुरोहित]] के बिना ही [[विवाह|विवाह संस्कार]] आरंभ कराया और इसे [[मुंबई उच्च न्यायालय]] से भी मान्यता मिली। वे [[बाल विवाह]] के विरोधी और [[विधवा विवाह]] के समर्थक थे। वे [[लोकमान्य बालगंगाधर तिलक]] के प्रशंसकों में थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज्योतिबा फुले]]
||[[चित्र:Jyotirao-phule.jpg|100px|right|border|ज्योतिबा फुले]]'ज्योतिबा फुले' [[महाराष्ट्र]] में सर्वप्रथम अछूतोद्धार और महिला शिक्षा का काम आरंभ करने वाले महान् भारतीय विचारक, समाज सेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए [[ज्योतिबा फुले]] ने 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की थी। उनकी समाज सेवा देखकर [[1888]] ई. में [[मुंबई]] की एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई। ज्योतिबा ने [[ब्राह्मण]]-[[पुरोहित]] के बिना ही [[विवाह|विवाह संस्कार]] आरंभ कराया और इसे [[मुंबई उच्च न्यायालय]] से भी मान्यता मिली। वे [[बाल विवाह]] के विरोधी और [[विधवा विवाह]] के समर्थक थे। वे [[लोकमान्य बालगंगाधर तिलक]] के प्रशंसकों में थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज्योतिबा फुले]]
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