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| {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
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| |अद्यतन=03:31, [[12 जनवरी]]-[[2017]] (IST)
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| '''भाई संतोख सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Santokh Singh'', जन्म- [[1893]], [[सिंगापुर]]; मृत्यु- [[1927]]) क्रांतिकारी और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। [[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए [[अमरीका]] में गठित '[[गदर पार्टी]]' के महामंत्री थे। संतोख सिंह [[गांधी जी]] के विचारों और [[कांग्रेस]] की नीति के विरोधी और वर्ग संघर्ष के समर्थक थे। अपने विचारों के प्रचार के लिए संतोख सिंह ने 'कीर्ति' नामक पत्रिका भी निकाली।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=570|url=}}</ref>
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| ==जन्म एवं परिचय==
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| भाई संतोख सिंह का जन्म 1893 ई. में सिंगापुर में हुआ था। [[अमृतसर]] के निवासी उनके [[पिता]] सरदार ज्वालासिंह सेना में नियुक्त थे। अमृतसर के खालसा कॉलेज में शिक्षा पाने के बाद [[1912]] में संतोख सिंह अमरीका चले गए।
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| ==क्रांतिकारी गतिविधियों==
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| अमेरिका में भाई संतोख सिंह का संपर्क प्रसिद्ध क्रांतिकारी और "[[गदर पार्टी]]" के संस्थापक [[लाला हरदयाल]] से हुआ। वे राष्ट्रवादी भावनाओं के करतार सिंह सराबा आदि कुछ अन्य [[सिक्ख|सिक्खों]] के भी संपर्क में आए। "गदर पार्टी" के महामंत्री के रूप में संतोख सिंह ने दल को काफी आगे बढ़ाया। [[भारतीय सेना]] को साथ लेकर देशव्यापी क्रांति के द्वारा ब्रिटिश सत्ता को समाप्त करने की योजना बनाई गई। [[जर्मनी]] आदि से शस्त्र भेजने की व्यवस्था हुई। [[21 फरवरी]] [[1915]] का दिन इस क्रांति के लिए निर्धारित था। इन स्थानों में नियुक्त भारतीय सैनिकों से संपर्क स्थापित करने के लिए संतोख सिंह बर्मा और मलाया गये। लेकिन [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] के एक मुखबिर कृपालसिंह के कारण यह प्रयत्न आरंभ होने से पहले ही दबा दिया गया।
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| ==आंदोलन में सम्मिलित==
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| सैनफ्रांसिस्को में कुछ अन्य साथियों के साथ संतोख सिंह पर [[1917]] में मुकदमा चला और सजा हुई। इस बीच [[रूस]] में क्रांति हो चुकी थी। जेल से रिहा होने पर संतोख सिंह रूस चले गए और कम्युनिस्ट आंदोलन में सम्मिलित हो गए। [[1924]] में [[भारत]] आकर उन्होंने [[पंजाब]] में कम्युनिस्ट आंदोलन को आगे बढ़ाया। अपने विचारों के प्रचार के लिए संतोख सिंह ने 'कीर्ति' नामक पत्रिका भी निकाली।
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| ==निधन==
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| भाई संतोख सिंह का [[1927]] में देहांत हो गया।
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| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| ==संबंधित लेख==
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| [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]] [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]][[Category:जीवनी_साहित्य]]
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| [[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]]
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| {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
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| |चित्र=Blankimage.png
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| |चित्र का नाम=भाई संतोख सिंह
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| |पूरा नाम=भाई संतोख सिंह
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| |अन्य नाम=
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| |जन्म= [[1893]]
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| |जन्म भूमि=[[सिंगापुर]]
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| |मृत्यु=[[1927]]
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| |मृत्यु स्थान=
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| |मृत्यु कारण=
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| |अभिभावक=पिता- सरदार ज्वालासिंह
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| |पति/पत्नी=
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| |संतान=
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| |स्मारक=
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| |क़ब्र=
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| |नागरिकता=भारतीय
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| |प्रसिद्धि=
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| |धर्म=[[सिक्ख]]
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| |आंदोलन=कम्युनिस्ट आंदोलन
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| |अन्य जानकारी=भारतीय सेना को साथ लेकर देशव्यापी क्रांति के द्वारा ब्रिटिश सत्ता को समाप्त करने की योजना बनाई गई। [[जर्मनी]] आदि से शस्त्र भेजने की व्यवस्था हुई।
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| |बाहरी कड़ियाँ=
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| |अद्यतन=03:31, [[12 जनवरी]]-[[2017]] (IST)
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| '''भूपेंद्रनाथ दत्त''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bhupendranath Datta'', जन्म- [[4 सितंबर]], [[1880 ]], [[कोलकाता]]; मृत्यु- [[26 दिसंबर]], [[1961]]) [[भारत]] के [[स्वतंत्रता संग्राम]] के प्रसिद्ध क्रांतिकारी तथा समाजशास्त्री थे। ये [[स्वामी विवेकानंद]] के भाई थे। भूपेंद्रनाथ दत्त युवाकाल में युगान्तर आन्दोलन से नजदीकी से जुड़े थे। अपनी गिरफ्तारी (सन् [[1907]]) तक वे युगान्तर पत्रिका के सम्पादक थे। भूपेंद्रनाथ दो बार अखिल भारतीय श्रमिक संघ के [[अध्यक्ष]] भी रहे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=579|url=}}</ref>
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| ==जन्म एवं परिचय==
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| भूपेंद्रनाथ दत्त का जन्म 4 सितंबर, 1880 ई. कोलकाता में हुआ था। इनके [[परिवार]] का [[बंगाल]] के प्रबुद्ध व्यक्तियों से निकट का संबंध था। भूपेंद्रनाथ की आरंभिक शिक्षा ईश्वर चंद्र विद्यासागर द्वारा स्थापित विद्यालय में हुई थी। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों के साथ अपना अध्ययन भी जारी रखा और [[अमेरिका]] से एम.ए. और [[जर्मनी]] से पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की।
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| ==क्रांतिकारी गतिविधियां==
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| भूपेंद्रनाथ दत्त शीघ्र ही क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए और बंगाल क्रांतिकारी दल के मुख्य पत्र 'युगांतर' के संपादक बने। [[1902]] में उन्हें राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तार करके एक [[वर्ष]] कैद की सजा दे दी गई। जेल से छूटने पर जब भूपेंद्र दत्त को अलीपुर बम कांड में फंसाने की तैयारी हो रही थीं, वे देश से बाहर अमेरिका चले गए। प्रथम विश्वयुद्ध के समय भूपेंद्रनाथ जर्मनी में थे। उन्होंने अमेरिका में स्थापित 'गदर पार्टी' से भी संबंध रखा। [[1925]] में वे [[भारत]] आए। भूपेंद्रनाथ दत्त को यह देखकर दु:ख हुआ कि स्वयं को मार्क्सवादी कहने वाले लोग भारत के [[स्वतंत्रता संग्राम]] का विरोध कर रहे हैं।
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| ==समाज सुधारक ==
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| भूपेंद्रनाथ दत्त [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। [[1930]] की कराची कांग्रेस में किसानों, मजदूरों के हिर संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार कराने में उनका बड़ा हाथ था। उसके बाद उन्होंने अपना ध्यान श्रमितों को संगठित करने पर लगाया। भूपेंद्रनाथ दो बार अखिल भारतीय श्रमिक संघ के [[अध्यक्ष]] भी रहे। समाज सुधार के कामों में भी भूपेंद्रनाथ दत्त बराबर भाग लेते रहे। वे जाति-पांत, छुआछूत और महिलाओं के प्रति भेदभाव के विरोधी थे।
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| ==लेखन कार्य==
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| भूपेंद्रनाथ अच्छे लेखक थे। उनकी लिखी हुई कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें हैं- 'डाइलेक्टिक्स ऑफ हिंदू रिचुलिक्म', 'डाइलेक्टिक्स ऑफ लैंड-इकानामिक्स ऑफ इंडिया', 'स्वामी विवेकानंद- 'पैट्रियट-प्रोफेट', 'सेकंड फ्रीडम स्ट्रगल ऑफ इंडिया', 'आरिजिन एण्ड डिवलपमेंट ऑफ इंडियन सोशल पोलिटी' आदि।
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| ==निधन==
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| [[26 दिसंबर]], [[1961]] को भूपेंद्रनाथ दत्त का [[कोलकाता]] में देहांत हो गया।
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| {लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| ==संबंधित लेख==
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| [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:साहित्यकार]]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
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