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{बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] किसने निकाला था?
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-[[लाला हरदयाल]]
-[[लाला हरदयाल]]
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-[[राम मनोहर लोहिया]]
-[[राम मनोहर लोहिया]]
-[[जतीन्द्रनाथ मुखर्जी]]
-[[जतीन्द्रनाथ मुखर्जी]]
||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|80px|right|border|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका [[दर्शनशास्त्र|भारतीय दर्शनशास्त्र]] में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। उन्होंने [[भारत]] में 'कम्युनिस्ट पार्टी' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी उन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह [[वर्ष]] की सज़ा हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मानवेन्द्र नाथ राय]]
||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|100px|right|border|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका [[दर्शनशास्त्र|भारतीय दर्शनशास्त्र]] में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। उन्होंने [[भारत]] में 'कम्युनिस्ट पार्टी' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी उन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह [[वर्ष]] की सज़ा हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मानवेन्द्र नाथ राय]]
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