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{'मैं नास्तिक क्यों हूँ' यह लेख किस क्रांतिकारी ने अपनी शहादत से पहले | {'मैं नास्तिक क्यों हूँ' यह लेख किस क्रांतिकारी ने अपनी शहादत से पहले लिखा था? | ||
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-[[चंद्रशेखर आज़ाद]] | -[[चंद्रशेखर आज़ाद]] | ||
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-[[खुदीराम बोस]] | -[[खुदीराम बोस]] | ||
-[[रामप्रसाद बिस्मिल]] | -[[रामप्रसाद बिस्मिल]] | ||
||[[चित्र:Bhagat-Singh.gif|100px|right|border|भगत सिंह]]'भगत सिंह' का नाम विश्व में 20वीं शताब्दी के अमर शहीदों में बहुत ऊँचा है। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। [[भगत सिंह]] अपने देश के लिये ही जीये और उसी के लिए शहीद भी हो गये। [[23 मार्च]], [[1931]] की रात भगत सिंह, [[सुखदेव]] और [[राजगुरु]] अपराधी कहकर फ़ाँसी पर लटका दिए गए। यह भी माना जाता है कि मृत्युदंड के लिए [[24 मार्च]] की सुबह ही तय थी, लेकिन जन रोष से डरी [[अंग्रेज़]] सरकार ने [[23 मार्च|23]]-[[24 मार्च]] की मध्य रात्रि ही इन वीरों की जीवन लीला समाप्त कर दी और रात के अंधेरे में ही [[सतलुज नदी]] के किनारे उनका [[अंतिम संस्कार]] भी कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भगत सिंह]] | ||[[चित्र:Bhagat-Singh.gif|100px|right|border|भगत सिंह]]'भगत सिंह' का नाम विश्व में 20वीं शताब्दी के अमर शहीदों में बहुत ऊँचा है। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। [[भगत सिंह]] अपने देश के लिये ही जीये और उसी के लिए शहीद भी हो गये। [[23 मार्च]], [[1931]] की रात भगत सिंह, [[सुखदेव]] और [[राजगुरु]] अपराधी कहकर फ़ाँसी पर लटका दिए गए। यह भी माना जाता है कि मृत्युदंड के लिए [[24 मार्च]] की सुबह ही तय थी, लेकिन जन रोष से डरी [[अंग्रेज़]] सरकार ने [[23 मार्च|23]]-[[24 मार्च]] की मध्य रात्रि ही इन वीरों की जीवन लीला समाप्त कर दी और रात के अंधेरे में ही [[सतलुज नदी]] के किनारे उनका [[अंतिम संस्कार]] भी कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भगत सिंह]], [[मैं नास्तिक क्यों हूँ? -भगतसिंह|मैं नास्तिक क्यों हूँ?]] | ||
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08:43, 8 मार्च 2017 के समय का अवतरण
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