"प्रधानमंत्री": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Prime-Minister's -Rights.jpg|thumb|500px|प्रधानमंत्री शक्ति केंद्रीकरण]] | |||
[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] के अनुसार प्रधानमंत्री का पद बहुत ही महत्त्वपूर्ण पद है, क्योंकि प्रधानमंत्री ही संघ कार्यपालिका का प्रमुख होता है। चूंकि [[भारत]] में [[ब्रिटेन]] के समान संसदीय शासन व्यवस्था कों अंगीकार किया गया है, इसलिए प्रधानमंत्री पद का महत्त्व और अधिक हो गया है। अनुच्छेद 74 के अनुसार प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रधान होता है। वह [[राष्ट्रपति]] के कृत्यों का संचालन करता है। | |||
{{seealso|उप प्रधानमंत्री|कार्यवाहक प्रधानमंत्री}} | |||
==चयन तथा नियुक्ति== | |||
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प्रधानमंत्री के चयन तथा नियुक्ति के सम्बन्ध में संविधान के अनुच्छेद 75 में केवल यह प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राष्ट्रपति अपने विवेकाधिकार से प्रधानमंत्री की नियुक्ति कर सकता है। सामान्य प्रथा यह है कि राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त कर सकता है जो [[लोकसभा]] में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है। जो व्यक्ति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता चुना जाता है, वह राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा करता है। इसके बाद उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है। यदि सामान्य चुनाव में कोई भी दल बहुमत नहीं प्राप्त करता, तो राष्ट्रपति लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता को या किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसे कई दलों का समर्थन प्राप्त हो, को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करके उससे यह अपेक्षा करता है कि वह एक मास के अंतर्गत लोकसभा में अपना बहुमत साबित करे। उदाहरणार्थ [[1979]] में [[चरण सिंह चौधरी|चरण सिंह]], जिन्हें कई दलों ने समर्थन दिया था, तथा [[1989]] में [[वी. पी. सिंह]] राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये थे। इसी प्रकार 1991 में जब लोकसभा के सामान्य चुनाव (मध्यावधि) में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, तब लोकसभा में सबसे बड़े देल के नेता [[पी. वी. नरसिंहराव]] को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया था। यही स्थिति 11वीं लोकसभा और फिर [[1998]] में गठित 12वीं लोकसभा में भी देखने को मिली, जब राष्ट्रपति ने लोकसभा चुनाव में किसी दल अथवा गठबंधन के बहुमत नहीं मिलने के कारण सबसे बड़ा एवं बड़े गठबंधन के नेता [[अटल बिहारी वाजपेयी]] को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। | |||
प्रधानमंत्री के चयन तथा नियुक्ति के सम्बन्ध में संविधान के अनुच्छेद 75 में केवल यह प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राष्ट्रपति अपने विवेकाधिकार से प्रधानमंत्री की नियुक्ति कर सकता है। सामान्य प्रथा यह है कि राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त कर सकता है जो [[लोकसभा]] में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है। जो व्यक्ति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता चुना जाता है, वह राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा करता है। इसके बाद उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है। यदि सामान्य चुनाव में कोई भी दल बहुमत नहीं प्राप्त करता, तो राष्ट्रपति लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता को या किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसे कई दलों का समर्थन प्राप्त हो, को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करके उससे यह अपेक्षा करता है कि वह एक मास के अंतर्गत लोकसभा में अपना बहुमत साबित करे। उदाहरणार्थ [[1979]] में चरण सिंह, जिन्हें कई दलों ने समर्थन दिया था, तथा [[1989]] में वी. पी. सिंह राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये थे। इसी प्रकार 1991 में जब लोकसभा के सामान्य चुनाव (मध्यावधि) में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, तब लोकसभा में सबसे बड़े देल के नेता [[पी. वी. नरसिंहराव]] को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया था। यही स्थिति 11वीं लोकसभा और फिर [[1998]] में गठित 12वीं लोकसभा में भी देखने को मिली, जब राष्ट्रपति ने लोकसभा चुनाव में किसी दल अथवा गठबंधन के बहुमत नहीं मिलने के कारण सबसे बड़ा एवं बड़े गठबंधन के नेता [[अटल बिहारी वाजपेयी]] को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। | |||
जब कार्यरत [[मंत्रिपरिषद]] के विरुद्ध लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा में विपक्ष के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है, लेकिन उसके इन्कार करने पर उस व्यक्ति को, जिसे कई दलों का समर्थन प्राप्त हो, सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है और उन्हें निर्देश देता है कि सरकार के गठन के पश्चात् एक मास के अंतर्गत अपना बहुमत सिद्ध करे। [[1979]] में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[मोरारजी देसाई]] के त्यागपत्र के बाद राष्ट्रपति ने लोकसभा में विपक्ष के नेता वाई. बी. चाव्हाण को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उनके इन्कार करने पर कई दलों से समर्थन प्राप्त करने वाले चरण सिंह को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। | जब कार्यरत [[मंत्रिपरिषद]] के विरुद्ध लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा में विपक्ष के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है, लेकिन उसके इन्कार करने पर उस व्यक्ति को, जिसे कई दलों का समर्थन प्राप्त हो, सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है और उन्हें निर्देश देता है कि सरकार के गठन के पश्चात् एक मास के अंतर्गत अपना बहुमत सिद्ध करे। [[1979]] में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[मोरारजी देसाई]] के त्यागपत्र के बाद राष्ट्रपति ने लोकसभा में विपक्ष के नेता वाई. बी. चाव्हाण को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उनके इन्कार करने पर कई दलों से समर्थन प्राप्त करने वाले चरण सिंह को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। | ||
==प्रधानमंत्री पद की योग्यता== | ==प्रधानमंत्री पद की योग्यता== | ||
प्रधानमंत्री की योग्यता के सम्बन्ध में संविधान में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इतना अवश्य कहा गया है कि प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होगा। लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने के लिए आवश्यक है कि नेता लोकसभा का सदस्य हो। इसलिए प्रधानमंत्री को साधारणत: लोकसभा का सदस्य होने की योग्यता रखनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति, जो कि लोकसभा का सदस्य नहीं है, प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है तो उसे छ: मास के अंतर्गत लोकसभा का सदस्य होना पड़ता है। उदाहरणार्थ, [[1967]] में [[इंदिरा गांधी]] (तत्समय राज्यसभा की सदस्य थी) तथा [[1991]] में जब पी. वी. नरसिंहराव प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किये गये, तब वे लोकसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने 6 मास के अंतर्गत लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद की सदस्यता प्राप्त की थी। प्रधानमंत्री के लिए लोकसभा की सदस्यता अनिवार्य नहीं है। उसे वस्तुत: संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन अर्थात् लोकसभा या [[राज्यसभा]] का सदस्य अनिवार्यत: होना चाहिए। [[1997]] में प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त [[इन्द्र कुमार गुजराल]] तथा बाद में [[2004]] में नियुक्त प्रधानमंत्री [[डॉ. मनमोहन सिंह]] राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। | प्रधानमंत्री की योग्यता के सम्बन्ध में संविधान में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इतना अवश्य कहा गया है कि प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होगा। लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने के लिए आवश्यक है कि नेता लोकसभा का सदस्य हो। इसलिए प्रधानमंत्री को साधारणत: लोकसभा का सदस्य होने की योग्यता रखनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति, जो कि लोकसभा का सदस्य नहीं है, प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है तो उसे छ: मास के अंतर्गत लोकसभा का सदस्य होना पड़ता है। उदाहरणार्थ, [[1967]] में [[इंदिरा गांधी]] (तत्समय राज्यसभा की सदस्य थी) तथा [[1991]] में जब पी. वी. नरसिंहराव प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किये गये, तब वे लोकसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने 6 मास के अंतर्गत लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद की सदस्यता प्राप्त की थी। प्रधानमंत्री के लिए लोकसभा की सदस्यता अनिवार्य नहीं है। उसे वस्तुत: संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन अर्थात् लोकसभा या [[राज्यसभा]] का सदस्य अनिवार्यत: होना चाहिए। [[1997]] में प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त [[इन्द्र कुमार गुजराल]] तथा बाद में [[2004]] में नियुक्त प्रधानमंत्री [[डॉ. मनमोहन सिंह]] राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। | ||
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|+भारत के प्रधानमंत्री एवं कार्यकाल | |||
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! क्रमांक | |||
! नाम | |||
! कार्यकाल | |||
! चित्र | |||
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| (1) | |||
| [[जवाहर लाल नेहरू]] | |||
| [[26 फ़रवरी]], [[1950]] से [[27 मई]], [[1964]] | |||
| [[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru.jpg|जवाहर लाल नेहरू|50px|link=जवाहर लाल नेहरू]] | |||
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| [[गुलज़ारी लाल नन्दा]] <br /> | |||
(कार्यवाहक) | |||
| [[27 मई]], [[1964]] से [[9 जून]], [[1964]] | |||
| [[चित्र:Gulzarilal-Nanda.jpg|गुलज़ारी लाल नन्दा|50px|link=गुलज़ारी लाल नन्दा]] | |||
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| (2) | |||
| [[लाल बहादुर शास्त्री]] | |||
| [[9 जून]], [[1964]] से [[11 जनवरी]], [[1966]] | |||
| [[चित्र:Lal-Bahadur-Shastri.jpg|लाल बहादुर शास्त्री|50px|link=लाल बहादुर शास्त्री]] | |||
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| [[गुलज़ारी लाल नन्दा]] <br /> | |||
(कार्यवाहक) | |||
| [[11 जनवरी]], [[1966]] से [[24 जनवरी]] [[1966]] | |||
| [[चित्र:Gulzarilal-Nanda.jpg|गुलज़ारी लाल नन्दा|50px|link=गुलज़ारी लाल नन्दा]] | |||
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| (3) | |||
| [[इंदिरा गांधी|श्रीमती इंदिरा गांधी]] | |||
| [[24 जनवरी]], [[1966]] से [[24 मार्च]], [[1977]] | |||
| [[चित्र:Indira-Gandhi.jpg|इंदिरा गांधी|50px|link=इंदिरा गांधी]] | |||
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| (4) | |||
| [[मोरारजी देसाई]] | |||
| [[24 मार्च]], [[1977]] से [[28 जुलाई]], [[1979]] | |||
| [[चित्र:Morarji Desai.jpg|मोरारजी देसाई|50px|link=मोरारजी देसाई]] | |||
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| (5) | |||
| [[चरण सिंह चौधरी]] | |||
| [[28 जुलाई]], [[1979]] से [[14 जनवरी]], [[1980]] | |||
| [[चित्र:Chaudhary-Charan-Singh.jpg|चरण सिंह चौधरी|50px|link=चरण सिंह चौधरी]] | |||
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| [[इंदिरा गांधी|श्रीमती इंदिरा गांधी]] | |||
| [[14 जनवरी]], [[1980]] से [[31 अक्टूबर]], [[1984]] | |||
| [[चित्र:Indira-Gandhi.jpg|इंदिरा गांधी|50px|link=इंदिरा गांधी]] | |||
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| (6) | |||
| [[राजीव गांधी]] | |||
| [[31 अक्टूबर]], [[1984]] से [[1 दिसम्बर]], [[1989]] | |||
| [[चित्र:Rajiv-Gandhi.jpg|राजीव गांधी|50px|link=राजीव गांधी]] | |||
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| (7) | |||
| [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] | |||
| [[1 दिसम्बर]], [[1989]] से [[10 नवम्बर]], [[1990]] | |||
| [[चित्र:V-P-Singh.jpg|विश्वनाथ प्रताप सिंह|50px|link=विश्वनाथ प्रताप सिंह]] | |||
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| (8) | |||
| [[चन्द्रशेखर|चन्द्रशेखर सिंह]] | |||
| [[10 नवम्बर]], [[1990]] से [[21 जून]], [[1991]] | |||
| [[चित्र:Chandra-Shekhar-Singh-2.jpg|चन्द्रशेखर सिंह|50px|link=चन्द्रशेखर सिंह]] | |||
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| (9) | |||
| [[पी. वी. नरसिंह राव]] | |||
| [[21 जून]], [[1991]] से [[16 मई]], [[1996]] | |||
| [[चित्र:Narsing-Rao.jpg|पी. वी. नरसिंह राव|50px|link=नरसिंह राव पी. वी.]] | |||
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| (10) | |||
| [[अटल बिहारी वाजपेयी]] | |||
| [[16 मई]], [[1996]] से [[1 जून]], [[1996]] | |||
| [[चित्र:Atal-Bihari-Vajpayee.jpg|अटल बिहारी वाजपेयी|50px|link=अटल बिहारी वाजपेयी]] | |||
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| (11) | |||
| [[एच. डी. देवगौड़ा]] | |||
| [[1 जून]], [[1996]] से [[21 अप्रैल]], [[1997]] | |||
| [[चित्र:HD Deve-Gowda.jpg|एच. डी. देवगौड़ा|50px|link=एच. डी. देवगौड़ा]] | |||
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| (12) | |||
| [[इन्द्र कुमार गुजराल]] | |||
| [[21 अप्रैल]], [[1997]] से [[19 मार्च]], [[1998]] | |||
| [[चित्र:Inder-Kumar-Gujral.jpg|इन्द्र कुमार गुजराल|50px|link=इन्द्र कुमार गुजराल]] | |||
|- | |||
| | |||
| [[अटल बिहारी वाजपेयी]] | |||
| [[19 मार्च]], [[1998]] से [[22 मई]], [[2004]] | |||
| [[चित्र:Atal-Bihari-Vajpayee.jpg|अटल बिहारी वाजपेयी|50px|link=अटल बिहारी वाजपेयी]] | |||
|- | |||
| (13) | |||
| [[डॉ. मनमोहन सिंह]] | |||
| [[22 मई]], [[2004]] से [[26 मई]], [[2014]] | |||
| [[चित्र:Manmohan-Singh.jpg|डॉ. मनमोहन सिंह|50px|link=मनमोहन सिंह]] | |||
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| (14) | |||
| [[नरेन्द्र मोदी]] | |||
| [[26 मई]], [[2014]] से अब तक | |||
| [[चित्र:Narendra-Modi.jpg|नरेन्द्र मोदी|50px|link=नरेन्द्र मोदी]] | |||
|} | |||
संसद के किसी सदन का सदस्य न होने पर भी कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हो सकता है। अनुच्छेद 75 (5) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति छ: माह के अन्दर संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं बन जाता है, तो वह प्रधानमंत्री पद पर बने नहीं रह सकता है। इसका अर्थ है कि बाहरी व्यक्ति भी प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हो सकता है। लेकिन उसे छ: महीने के भीतर संसद के किसी सदन का सदस्य बन जाना चाहिए। यदि वह इस अवधि के भीतर संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं बन पाता है तो उसे अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना पड़ेगा। ध्यातव्य है कि [[1996]] में जब [[एच. डी. देवगौड़ा]] प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे तब वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। उनकी नियुक्ति को एस. पी. आनन्द ने इस आधार पर न्यायालय में चुनौती दी थी कि इससे अनुच्छेद 14, 21 और 75 का उल्लंघन होता है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 75 (5) के अनुसार यह नियुक्ति विधिमान्य है।<ref>इन प्रधानमंत्रियों में से 3 प्रधानमंत्री, [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहर लाल नेहरू]], [[लाल बहादुर शास्त्री]] तथा [[इंदिरा गांधी|श्रीमती इंदिरा गांधी]] की मृत्यु उनके कार्यकाल के ही दौरान हुई थी। जवाहर लाल नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद दो बार [[गुलज़ारीलाल नन्दा]] ने [[कार्यवाहक प्रधानमंत्री]] के रूप में कार्य किया था। [[चौधरी चरण सिंह|चरण सिंह]] तथा [[अटल बिहारी वाजपेयी]] ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने के पहले ही त्यागपत्र दे दिया था। जबकि [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] तथा [[एच. डी. देवगौड़ा]] ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने में असफल रहने के कारण त्याग पत्र दे दिया था। | |||
*[[जवाहर लाल नेहरू]], [[इंदिरा गांधी]] तथा अटल बिहारी वाजपेयी के बाद [[मनमोहन सिंह|डॉ. मनमोहन सिंह]] चौथे प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए हैं। </ref> | |||
==पदावधि== | |||
== | |||
सामान्यतया प्रधानमंत्री अपने पद ग्रहण की तिथि से लोकसभा के अगले चुनाव के बाद मंत्रिमण्डल के गठन तक प्रधानमंत्री पद पर बना रह सकता है, लेकिन इसके पहले भी वह | सामान्यतया प्रधानमंत्री अपने पद ग्रहण की तिथि से लोकसभा के अगले चुनाव के बाद मंत्रिमण्डल के गठन तक प्रधानमंत्री पद पर बना रह सकता है, लेकिन इसके पहले भी वह | ||
#राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकता है, या | #राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकता है, या | ||
#लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण पद त्याग करता है, या | #लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण पद त्याग करता है, या | ||
#राष्ट्रपति के द्वारा बर्ख़ास्त किया जा सकता है। | #राष्ट्रपति के द्वारा बर्ख़ास्त किया जा सकता है। | ||
==वेतन एवं भत्ते== | ==वेतन एवं भत्ते== | ||
प्रधानमंत्री को प्रतिमाह | प्रधानमंत्री को प्रतिमाह '''1 लाख 25 हज़ार''' रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं। साथ ही उन्हें मुफ़्त आवास, यात्रा, चिकित्सा, टेलीफ़ोन आदि की सुविधाएँ करायी जाती हैं। भत्ते के रूप में प्रधानमंत्री को निर्वाचन क्षेत्र, आकस्मिक ख़र्च, अन्य ख़र्चे एवं डी.ए. आदि दिया जाता है। | ||
==अधिकार एवं कार्य== | ==अधिकार एवं कार्य== | ||
प्रधानमंत्री के निम्नलिखित कार्य एवं अधिकार हैं– | प्रधानमंत्री के निम्नलिखित कार्य एवं अधिकार हैं– | ||
#प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यों को नियुक्त करने, मंत्रिमण्डल से बर्ख़ास्त करने तथा मंत्रिमण्डल से उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने की सिफ़ारिश राष्ट्रपति से करता है (अनुच्छेद 75 (1))। | #प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यों को नियुक्त करने, मंत्रिमण्डल से बर्ख़ास्त करने तथा मंत्रिमण्डल से उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने की सिफ़ारिश राष्ट्रपति से करता है (अनुच्छेद 75 (1))। | ||
#वह अपने मंत्रिमण्डल के सदस्यों को विभाग का आबंटन कर सकता है तथा किसी मंत्री को एक विभाग से दूसरे विभाग में अन्तरित कर सकता है। | #वह अपने मंत्रिमण्डल के सदस्यों को विभाग का आबंटन कर सकता है तथा किसी मंत्री को एक विभाग से दूसरे विभाग में अन्तरित कर सकता है। | ||
#प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल का प्रधान होता है और उसकी मृत्यु या त्यागपत्र से मंत्रिमण्डल का विघटन हो जाता है (अनुच्छेद 74 (1))। | #प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल का प्रधान होता है और उसकी मृत्यु या त्यागपत्र से मंत्रिमण्डल का विघटन हो जाता है<ref>(अनुच्छेद 74 (1))</ref>। | ||
#प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह संघ के कार्यकलाप के प्रशासन सम्बन्धी और विधान विषयक की सूचना राष्ट्रपति को दे और यदि राष्ट्रपति किसी ऐसे विषय पर प्रधानमंत्री से सूचना मांगता है, तो प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सूचना देने के लिए बाध्य है (अनुच्छेद 78)। | #प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह संघ के कार्यकलाप के प्रशासन सम्बन्धी और विधान विषयक की सूचना राष्ट्रपति को दे और यदि राष्ट्रपति किसी ऐसे विषय पर प्रधानमंत्री से सूचना मांगता है, तो प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सूचना देने के लिए बाध्य है (अनुच्छेद 78)। | ||
#प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल की बैठक की अध्यक्षता करता है। | #प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल की बैठक की अध्यक्षता करता है। | ||
#यदि राष्ट्रपति चाहता है कि किसी बात पर मंत्रिपरिषद विचार करे तो वह प्रधानमंत्री को संसूचना देता है। | #यदि राष्ट्रपति चाहता है कि किसी बात पर मंत्रिपरिषद विचार करे तो वह प्रधानमंत्री को संसूचना देता है। | ||
==उप-प्रधानमंत्री== | ==उप-प्रधानमंत्री== | ||
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भारतीय संविधान में उप-प्रधानमंत्री पद की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद समय-समय पर इस पद की व्यवस्था की जाती रही है। इस पद का अब तक 7 बार सृजन किया गया है। पहली बार इस पद का सृजन प्रथम लोकसभा के दौरान प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया था। इस प्रकार सरदार बल्लभ भाई पटेल उप-प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले प्रथम व्यक्ति थे। | [[भारतीय संविधान]] में उप-प्रधानमंत्री पद की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद समय-समय पर इस पद की व्यवस्था की जाती रही है। इस पद का अब तक 7 बार सृजन किया गया है। पहली बार इस पद का सृजन प्रथम [[लोकसभा]] के दौरान प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया था। इस प्रकार [[सरदार बल्लभ भाई पटेल]] उप-प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले प्रथम व्यक्ति थे। | ||
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<references/> | <references/> | ||
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==संबंधित लेख== | |||
{{भारत के प्रधानमंत्री}} | |||
{{भारत के प्रधानमंत्री2}} | |||
[[Category:कार्यपालिका]] | |||
[[Category:मन्त्रिमण्डल]] | |||
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15:01, 26 मई 2014 के समय का अवतरण
भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री का पद बहुत ही महत्त्वपूर्ण पद है, क्योंकि प्रधानमंत्री ही संघ कार्यपालिका का प्रमुख होता है। चूंकि भारत में ब्रिटेन के समान संसदीय शासन व्यवस्था कों अंगीकार किया गया है, इसलिए प्रधानमंत्री पद का महत्त्व और अधिक हो गया है। अनुच्छेद 74 के अनुसार प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रधान होता है। वह राष्ट्रपति के कृत्यों का संचालन करता है। इन्हें भी देखें: उप प्रधानमंत्री एवं कार्यवाहक प्रधानमंत्री
चयन तथा नियुक्ति
प्रधानमंत्री के चयन तथा नियुक्ति के सम्बन्ध में संविधान के अनुच्छेद 75 में केवल यह प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राष्ट्रपति अपने विवेकाधिकार से प्रधानमंत्री की नियुक्ति कर सकता है। सामान्य प्रथा यह है कि राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त कर सकता है जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है। जो व्यक्ति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता चुना जाता है, वह राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा करता है। इसके बाद उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है। यदि सामान्य चुनाव में कोई भी दल बहुमत नहीं प्राप्त करता, तो राष्ट्रपति लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता को या किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसे कई दलों का समर्थन प्राप्त हो, को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करके उससे यह अपेक्षा करता है कि वह एक मास के अंतर्गत लोकसभा में अपना बहुमत साबित करे। उदाहरणार्थ 1979 में चरण सिंह, जिन्हें कई दलों ने समर्थन दिया था, तथा 1989 में वी. पी. सिंह राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये थे। इसी प्रकार 1991 में जब लोकसभा के सामान्य चुनाव (मध्यावधि) में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, तब लोकसभा में सबसे बड़े देल के नेता पी. वी. नरसिंहराव को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया था। यही स्थिति 11वीं लोकसभा और फिर 1998 में गठित 12वीं लोकसभा में भी देखने को मिली, जब राष्ट्रपति ने लोकसभा चुनाव में किसी दल अथवा गठबंधन के बहुमत नहीं मिलने के कारण सबसे बड़ा एवं बड़े गठबंधन के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
जब कार्यरत मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति लोकसभा में विपक्ष के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है, लेकिन उसके इन्कार करने पर उस व्यक्ति को, जिसे कई दलों का समर्थन प्राप्त हो, सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है और उन्हें निर्देश देता है कि सरकार के गठन के पश्चात् एक मास के अंतर्गत अपना बहुमत सिद्ध करे। 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के त्यागपत्र के बाद राष्ट्रपति ने लोकसभा में विपक्ष के नेता वाई. बी. चाव्हाण को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उनके इन्कार करने पर कई दलों से समर्थन प्राप्त करने वाले चरण सिंह को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था।
प्रधानमंत्री पद की योग्यता
प्रधानमंत्री की योग्यता के सम्बन्ध में संविधान में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इतना अवश्य कहा गया है कि प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होगा। लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने के लिए आवश्यक है कि नेता लोकसभा का सदस्य हो। इसलिए प्रधानमंत्री को साधारणत: लोकसभा का सदस्य होने की योग्यता रखनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति, जो कि लोकसभा का सदस्य नहीं है, प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाता है तो उसे छ: मास के अंतर्गत लोकसभा का सदस्य होना पड़ता है। उदाहरणार्थ, 1967 में इंदिरा गांधी (तत्समय राज्यसभा की सदस्य थी) तथा 1991 में जब पी. वी. नरसिंहराव प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किये गये, तब वे लोकसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने 6 मास के अंतर्गत लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद की सदस्यता प्राप्त की थी। प्रधानमंत्री के लिए लोकसभा की सदस्यता अनिवार्य नहीं है। उसे वस्तुत: संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन अर्थात् लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य अनिवार्यत: होना चाहिए। 1997 में प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त इन्द्र कुमार गुजराल तथा बाद में 2004 में नियुक्त प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।
संसद के किसी सदन का सदस्य न होने पर भी कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हो सकता है। अनुच्छेद 75 (5) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति छ: माह के अन्दर संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं बन जाता है, तो वह प्रधानमंत्री पद पर बने नहीं रह सकता है। इसका अर्थ है कि बाहरी व्यक्ति भी प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हो सकता है। लेकिन उसे छ: महीने के भीतर संसद के किसी सदन का सदस्य बन जाना चाहिए। यदि वह इस अवधि के भीतर संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं बन पाता है तो उसे अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना पड़ेगा। ध्यातव्य है कि 1996 में जब एच. डी. देवगौड़ा प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे तब वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। उनकी नियुक्ति को एस. पी. आनन्द ने इस आधार पर न्यायालय में चुनौती दी थी कि इससे अनुच्छेद 14, 21 और 75 का उल्लंघन होता है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 75 (5) के अनुसार यह नियुक्ति विधिमान्य है।[1]
पदावधि
सामान्यतया प्रधानमंत्री अपने पद ग्रहण की तिथि से लोकसभा के अगले चुनाव के बाद मंत्रिमण्डल के गठन तक प्रधानमंत्री पद पर बना रह सकता है, लेकिन इसके पहले भी वह
- राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकता है, या
- लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण पद त्याग करता है, या
- राष्ट्रपति के द्वारा बर्ख़ास्त किया जा सकता है।
वेतन एवं भत्ते
प्रधानमंत्री को प्रतिमाह 1 लाख 25 हज़ार रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं। साथ ही उन्हें मुफ़्त आवास, यात्रा, चिकित्सा, टेलीफ़ोन आदि की सुविधाएँ करायी जाती हैं। भत्ते के रूप में प्रधानमंत्री को निर्वाचन क्षेत्र, आकस्मिक ख़र्च, अन्य ख़र्चे एवं डी.ए. आदि दिया जाता है।
अधिकार एवं कार्य
प्रधानमंत्री के निम्नलिखित कार्य एवं अधिकार हैं–
- प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यों को नियुक्त करने, मंत्रिमण्डल से बर्ख़ास्त करने तथा मंत्रिमण्डल से उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने की सिफ़ारिश राष्ट्रपति से करता है (अनुच्छेद 75 (1))।
- वह अपने मंत्रिमण्डल के सदस्यों को विभाग का आबंटन कर सकता है तथा किसी मंत्री को एक विभाग से दूसरे विभाग में अन्तरित कर सकता है।
- प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल का प्रधान होता है और उसकी मृत्यु या त्यागपत्र से मंत्रिमण्डल का विघटन हो जाता है[2]।
- प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य है कि वह संघ के कार्यकलाप के प्रशासन सम्बन्धी और विधान विषयक की सूचना राष्ट्रपति को दे और यदि राष्ट्रपति किसी ऐसे विषय पर प्रधानमंत्री से सूचना मांगता है, तो प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सूचना देने के लिए बाध्य है (अनुच्छेद 78)।
- प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल की बैठक की अध्यक्षता करता है।
- यदि राष्ट्रपति चाहता है कि किसी बात पर मंत्रिपरिषद विचार करे तो वह प्रधानमंत्री को संसूचना देता है।
उप-प्रधानमंत्री
भारतीय संविधान में उप-प्रधानमंत्री पद की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद समय-समय पर इस पद की व्यवस्था की जाती रही है। इस पद का अब तक 7 बार सृजन किया गया है। पहली बार इस पद का सृजन प्रथम लोकसभा के दौरान प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया था। इस प्रकार सरदार बल्लभ भाई पटेल उप-प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले प्रथम व्यक्ति थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इन प्रधानमंत्रियों में से 3 प्रधानमंत्री, पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री तथा श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु उनके कार्यकाल के ही दौरान हुई थी। जवाहर लाल नेहरू तथा लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद दो बार गुलज़ारीलाल नन्दा ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। चरण सिंह तथा अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने के पहले ही त्यागपत्र दे दिया था। जबकि विश्वनाथ प्रताप सिंह तथा एच. डी. देवगौड़ा ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने में असफल रहने के कारण त्याग पत्र दे दिया था।
- जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी तथा अटल बिहारी वाजपेयी के बाद डॉ. मनमोहन सिंह चौथे प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए हैं।
- ↑ (अनुच्छेद 74 (1))